2016-08-17 15:17:00

रोटियों के चमत्कार पर संत पापा की धर्मशिक्षा


वाटिकन सिटी, बुधवार 17 अगस्त 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, पौल षष्टम् के सभागार में जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों के साथ करुणा की अपनी धर्मशिक्षा माला को आगे बढ़ते हुए कहा

प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात,

आज हम रोटियों के चमत्कार पर चिंतन करेंगे। सुसमाचार रचयिता संत मत्ती हमें बतलाते हैं कि येसु को योहन बपतिस्ता के शहादत की खबर मिली और वे नाव में चढ़कर एकांत में जाना चाहते हैं जिससे वे प्रार्थना कर सकें। लेकिन लोगों को पता चल जाता है कि येसु कहाँ जाने वाले हैं और वे उनसे पहले ही पैदल उस स्थान पर पहुँच जाते हैं। वहाँ पहुँचने पर येसु एक बड़ी भीड़ को देखते और करुणा भर जाते अतः वे रोगियों को चंगा करते हैं। भीड़ ने योहन बपतिस्ता की बातों को सुनी थी जिन्होंने येसु के बारे में साक्ष्य देते हुए कहा था,“मेरे बाद जो आने वाले हैं वे मुझ से भी महान हैं।” (मति. 3.11) अतः भीड़ येसु को छोड़ना नहीं चाहती है येसु जहाँ जाते वे उनकी बातों को सुनने और रोगियों की चंगाई हेतु वहाँ उनके पास आ पहुँच हैं और येसु यह देख का द्रवित हो जाते हैं। एक ओर येसु अपने लिए थोड़ा समय निकालना चाहते तो दूसरी ओर वे भीड़ को यूँ ही छोड़ना भी नहीं चाहते हैं। उनका हृदय अपने लोगों के लिए करुणा से भरा है। वे उनके साथ रहते, वे हमारे निकट रहते और हमें अपना प्रेम प्रदर्शित करते हैं।

शाम ढ़लने पर येसु अपने लोगों हेतु जो थके-माँदे और भूखे हैं खाने की व्यवस्था करते हैं। याहवे ने जैसे अपने लोगों को मरुभूमि में मन्ना खिलाया था (नि.16. 1-36) येसु वैसे ही अपने पीछे आने वालों की चिंता करते हैं। वे इसमें अपने चेलों को भी शामिल करते हैं। वास्तव में येसु उनसे कहते हैं, “तुम ही उन्हें खाने को कुछ दो।” चेले कुछ रोटियाँ और मछलियाँ जो उनके पास हैं उसे येसु के पास ले आते हैं येसु उन्हें तोड़ कर शिष्यों को देते और वे उन्हें भीड़ में बाँटते हैं। येसु लोगों की आवश्यकता की पूर्ति करते और उन्हें अपनी करुणा के भागीदार बनाते हैं।

संत पापा ने कहा आइए हम येसु के इस आशीष पर मनन करें, “उन्होंने पाँच रोटियों और दो मछलियों को लेकर स्वर्ग की ओर आँखें उठाते हुए आशीष की प्रार्थना पढ़ी और रोटी तोड़कर उन्हें दिया।” जैसे हम देखते हैं यह हमारा ध्यान अंतिम बयारी की ओर करता है जहाँ येसु ने यूख्रारीस्त संस्कार की स्थापना की जिसे पुरोहित पवित्र बलिदान अर्पित करते समय दुहराते हैं। ख्रीस्तीयों के समुदाय का जन्म और पुनर्जन्म सदैव यूख्रारीस्त बलिदान में होता है। येसु का शरीर और रक्त हम प्रत्येक को और हर समुदाय को एक विशेष पहचान प्रदान करती हैं। अतः रोटी जिसके द्वारा हमरा पोषण होता है हमारी एकता और सेवा की एक मजबूत निशानी है। इस तरह येसु के सानिध्य में रहना हमें अपने दैनिक जीवन में उदासीन नहीं वरन् हमें अपने भाई-बहनों से संयुक्त करता है जिसके द्वारा हम उन्हें करुणा और ख्रीस्त के प्रेम की निशानी प्रदान करते हैं। येसु हमें अन्यों तक पहुंचने और उन्हें अपने प्रेम और दया की निशानी से अंगीकृत करने का आहृवान करते हैं।

संत पापा ने कहा कि रोटी का चमत्कार सबों के खाकर तृप्त होने से समाप्त होता है। येसु अपने चेलों को अपने निर्देशानुसार कार्य करने को कहते हैं और इस प्रकार वे जीवन और समुदाय के सेवक बनते हैं। इस तरह वे कलीसिया में, परिवारों, समुदायों, पल्लियों और हमारे कार्य स्थलों में हम सबों के द्वारा अपने करुणामय कार्यों की प्रत्यक्ष निशानी प्रस्तुत करते हैं जो लोगों के बीच एकता और शांति बहाल करती है क्योंकि हमारी यह एकता ही हमारा जीवन है।

इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सभों का अभिवादन करते हुए कहा, मैं अँग्रेज़ी बोलने वाले तीर्थयात्रियों का जो इस आमदर्शन समारोह में उपस्थित हैं, विशेषकर आयरलैण्ड, स्वीडेन, घाना, नाईजीरिया, चीन और संयुक्त राज्य अमरीका से आये आप सबों का अभिवादन करता हूँ। मेरी प्रार्थनामय शुभकामनाएँ आप के साथ रहे जिससे करुणा का जयन्ती वर्ष आपके और आपके परिवार हेतु आध्यात्मिक नवीकरण का अवसर बने। येसु ख्रीस्त की खुशी और शांति आप सभों के साथ बनी रहे। इतना कहने के बाद संत पापा ने सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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