2016-08-16 14:47:00

कटक-भुनेश्वर के पूर्व महाधर्माध्यक्ष रफाएल चेन्नथ नहीं रहे


मुम्बई, मंगलवार,16 अगस्त 2016 (ऊकान) : कटक-भुनेश्वर धर्मप्रांत के सेवानिवृत महाधर्माध्यक्ष रफाएल चेन्नथ एसवीडी का निधन रविवार 14अगस्त को मुम्बई के होली स्पीरिट अस्पताल में हुआ। वे 82 वर्ष के थे।

उनका अंतिम संस्कार 17 अगस्त 2016 को पूर्वाहन 3 बजे, मुंबई में अंधेरी ईस्ट के महाकाली केव्स रोड स्थित सेक्रेड हार्ट गिरजाघर में आयोजित किया है।

उड़ीसा राज्य में कटक-भुनेश्वर महाधर्मप्रांत के अंतरगत कंधमाल जिला आता है जहाँ सन् 2008 में भारत के आधुनिक इतिहास में सबसे भयानक ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा हुई थी। महाधर्माध्यक्ष चेन्नथ को अपने महाधर्मप्रांत के कंधमाल में ख्रीस्तीयों के खिलाफ भयानक हमलों की वजह से बहुत दुःख का सामना करना पड़ा।

महाधर्माध्यक्ष ने सबसे भयानक उत्पीड़न के समय बिखर रहे विश्वासियों की बड़े साहस के साथ अगुवाई की। हिंसा के दौरान 60,000 लोगों को जीवन बचाने के लिए जंगलों में पलायन करना पड़ा था।  हमलावरों द्वारा 6000 से अधिक घरों को नष्ट कर दिया गया था। 100 से अधिक स्त्रियों और पुरुषों की हत्याएँ की गई थी और बहुत सी महिलाओं सहित काथलिक धर्मबहनों के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था.

महाधर्माध्यक्ष चेन्नथ ने सन् 2008 में ख्रीस्तीय समुदाय को निशाना बनाये गये हिंसा के खिलाफ पीड़ितों के मुआवजे की जनयाचिका उच्चतम न्यायालय में दायर की थी। 2 अगस्त 2016 को न्यायालय ने महाधर्माध्यक्ष चेन्नथ के पक्ष में फैसला सुनाया। उन्होंने न्याय के लिए लड़ाई लड़ी थी।

जब उड़ीसा सरकार ने कंधमाल पीड़ितों के बीच राहत सामग्री वितरित करने के लिए, गैर सरकारी संगठनों और नागरिक समाज को इनकार कर दिया था तो महाधर्माध्यक्ष चेन्नथ सुप्रीम कोर्ट में मामलों को ले लिया और राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया गया था।

उनकी सेवानिवृत्ति के समय महाधर्माध्यक्ष चेन्नथ ने एक शत्रुतापूर्ण वातावरण में विश्वासी बने रहने का एक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए कंधमाल के ख्रीस्तीयों की सराहना की थी। उन्होंने कहा था, “आपलोगों ने मौत का सामना कर विश्वास को ऊंचाइयों तक उठाया है। मुझे आप पर गर्व है।”

महाधर्माध्यक्ष चेन्नथ का जन्म 30 दिसम्बर सन् 1934 ई में केरल स्थित त्रिचूर जिले के मानालूर में हुआ था। वे त्रिचूर सीरो मलाबार महाधर्मप्रांत के पाल्लीस्सेरी संत मरिया पल्ली के निवासी थे। स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने दिव्य वचन के समुदाय में प्रवेश किया। 28 वर्ष की उम्र में 20 सितम्बर 1963 को पुरोहित अभिषेक हुआ। 39 वर्ष की उम्र में 18 मई 1974 को वे सम्बलपुर के धर्माध्यक्ष बने।

50 वर्ष की आयु में वे 1 जुलाई 1985 को कटक-भुवनेश्वर के महाधर्माध्यक्ष के रूप में नियुक्त हुए और 11 अगस्त 1985 को कटक-भुवनेश्वर महानगर महाधर्मप्रांत के पांचवें महाधर्माध्यक्ष के रूप में अपना कार्यभार शुरु किया था। 76 साल की उम्र में 11 फरवरी, 2011 को वे महाधर्माध्यक्ष के कार्यालय से सेवानिवृत्त हुए।

सेवानिवृति के बाद उन्होंने अपने दिव्य वचन धर्मसमाज के सदस्यों के साथ मुम्बई के अंधेरी सोवेरदिया एसवीडी हाऊस में जीवन बिताया। वे 53 वर्ष पुरोहित और 42 वर्ष तक धर्माध्यक्ष रहे।








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