2016-08-10 15:29:00

सरकार नागरिकों के जीवन अधिकार की रक्षा करे, पाकिस्तानी कलीसिया


क्वेटा, बुधवार, 10 अगस्त 2016 (एशिया समाचार): "बलुचिस्तान को पिछले 15 वर्षों में 1400 से अधिक हिंसक घटनाओं का सामना करना पड़ा है। मासूमों की हत्या, अस्पतालों को निशाना बनाना एक अमानवीय कृत्य है। सरकार को कड़ी कार्रवाई लेनी होगी। काथलिक कलीसिया विशेषकर दुःख की घड़ी में हमेशा जनता के पक्ष में ही रहेगी।" न्याय और शांति हेतु राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष तथा  फैसलाबाद के धर्माध्यक्ष अरशद यूसुफ ने क्वेटा में हुए नरसंहार पर उक्त टिप्पणी की।

आत्मघाती हमलावर आइसिस का सदस्य था जिसने  खुद को नगर निगम के एक अस्पताल के अंदर विस्फोट कर दिया। नवीनतम आंकड़े के मुताबिक 74 लोग मारे गए और 200 लोग घायल हो गए।। इस हमले में मारे गए अधिकतर लोग पेशे से वकील थे जो बलूचिस्तान बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बिलाल अनवर कासी, जो पहले दिन में मारा गया था, की हत्या पर शोक प्रकट करने के लिए एकत्रित हुए थे।

बम स्कवाड ने पुष्टि की है कि आत्मघाती हमले से विस्फोट हुआ था और अधिकतम हताहत करने के लिए धातु गेंदों का भी इस्तेमाल किया गया था। पाकिस्तान तालिबान, तहरीक—ए—तालिबान (टीटीपी से अलग हुए गुट जमात उल अहरार, (जेयूए आज़ाद लोगों का समूह) ने इस हमले की ज़िम्मेदारी ली है. जेएयू ने क्वेटा शहर में किए अपने हमले को उस तुफ़ानी मुहिम (अल राद) का हिस्सा बताया है जो उसने पाकिस्तान में इस्लामी कानून शरियत को लागू करने के लिए छेड़ी हुई है। बलूचिस्तान के वकीलों को हमले का निशाना बनाया गया क्योंकि उन्होंने सभी प्रांत में शरीयत कानून की शुरूआत का विरोध किया था।

पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार यह बम विस्फोट 2016 का सबसे बड़ा नरसंहार है। "क्वेटा में जो हुआ उसकी हम जोरदार निंदा करते हैं। इस अमानवीय कृत्य को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।" उक्त बयान पर धर्माध्यक्ष अरशद,  फादर इम्मानुएल यूसुफ मानी और धर्माध्यक्षीय आयोग के सदस्य शेन सेसिल चौधरी ने हस्ताक्षर किया।

 








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