2016-08-08 16:27:00

एक युवा इराकी की चौंकाने वाली प्रार्थना


क्राकॉव, सोमवार, 8 अगस्त 2016 (सीएनए): ″मैं येसु से क्षमा की कृपा की याचना करती हूँ जब कभी प्रार्थनालय में ‘दिव्य करूणा’ की प्रार्थना करती हूँ किन्तु हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त के दुःखभोग एवं मृत्य द्वारा हमपर और संसार पर दया कर, बोलने के बदले, आईएस एवं संसार पर दया कर की प्रार्थना करती हूँ।″ यह बात 25 वर्षीय शाबो ने सीएनए से कही जिसके परिवार के कई लोगों को आईएस ने मार डाला है।

शाबो ने 29 जुलाई को पोलैंड में आयोजित विश्व युवा दिवस में साक्ष्य दिया था कि किस तरह अत्यन्त दुखद परिस्थिति ने उसके परिवार को ईराक से पलायन करने हेतु मजबूर किया तथा 2014 में आईएस के आतंक ने उनके दुःखों को बढ़ा दिया।

सीएनए को दिए एक साक्षात्कार में उसने कहा कि विश्व युवा दिवस में उसे साक्ष्य देने के लिए अंतिम समय में सूचना दी गयी तथा उसे कहा गया कि अपने साक्ष्य में वह क्षमाशीलता की बात को शामिल करे। उसने बतलाया कि उसका पहला जवाब था ″मैं आईएस को क्षमा नहीं करती हूँ। मैंने उनके कारण बहुत कष्ट सहा है। मुझे हर रोज उनकी याद आती है। उनके प्रति मन में अब भी बहुत गुस्सा और नाराज़गी है अतः क्षमाशीलता की राह मेरे लिए बहुत कठिन है।″  

शाबो अपने बारे बतलाते हुए कहती है, ″मैं एक चमत्कारी बच्ची थी।″ उसने कहा कि उसकी माँ आठ महीने से गर्भवती थी जब परिवार ने ईराक छोड़कर पलायन करने का निश्चय किया क्योंकि गल्फ देशों में युद्ध के कारण उनके शहर में बम गिराये जाने की धमकी दी जा रही थी। वे उन हज़ारों लोगों में से थे जिन्होंने तुर्की पार करने के लिए खड़ी-पहाड़ों की खतरनाक यात्रा करने का निश्चय किया था।

उसने याद किया कि यात्रा में कितने लोगों की मौत हो गयी थी जिसमें उसकी आठ साल की चचेरी बहन भी थी। शाबो बताती है कि उसके चाचा अपनी बेटी को पहाड़ पर दफनाना नहीं चाहते थे अतः उन्होंने उसे तुर्की तक अपने साथ लिया।

जब परिवार सीमा पार चली गयी तब उन्होंने मृतक को पेड़ के नीचे दफनाया जहाँ एक महीना बाद उसी पेड़ के नीचे उसकी माँ ने शाबो को जन्म दिया।  

शाबो ने बतलाया कि 2014 से आईएस का प्रभाव बढ़ा जिसने उन लोगों का जीवन और दूभर कर दिया जो उनकी विचारधारा को नहीं अपना रहे थे, लोग अपना घर छोड़कर भागने लगे। उसने बतलाया कि आतंकियों ने आक्रमण में उनके कई रिश्तेदारों को निर्दयता पूर्वक मार डाला गया। परिवार में आईएस द्वारा ढाहे गये अथाह दुःख के कारण ही उन्होंने उनके मन-परिवर्तन के लिए प्रार्थना करना आरम्भ किया है।








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