2016-08-06 16:41:00

हिरोसिमा एवं नागासाकी में परमाणु बम गिराये जाने की 71वीं वर्षगाँठ पर वाटिकन का संदेश


वाटिकन सिटी, शनिवार, 6 अगस्त 2016 (वीआर सेदोक): वाटिकन ने जापान के हिरोसिमा एवं नागासाकी में परमाणु बम गिराये जाने की 71वीं वर्षगाँठ पर एक संदेश प्रेषित कर परमाणु बम के शिकार लोगों के प्रति एकात्मता व्यक्त की।

न्याय एवं शांति के लिए बनी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल पीटर टर्कसन की ओर से समिति के सदस्य जेस्विट फादर माइकेल चरनी ने 6 अगस्त को, टोक्यो स्थित संयुक्त राष्ट्र विश्व विद्यालय में, ‘शांति के लिए धर्म’ के तत्वाधान में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा, ″यह हमेशा ही एक महत्वपूर्ण कृपा है कि हिरोसिमा और नागासाकी में हुए परमाणु बम-विस्फोट की यादगारी मनायी जाए। मेरे लिए यहाँ उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति, जापान की कलीसिया एवं समस्त जापान की जनता के लिए एकात्मता एवं आशा हेतु प्रार्थना करना एक विशेष सम्मान की बात है।″  

हज़ार सालों से ख्रीस्तीय प्रभु के रूपांतरण का त्योहार मनाते आ रहे हैं। यह त्योहार ख्रीस्त की महिमा को प्रकट करता है तथा येसु को सुनने एवं उनका अनुसरण करने की मांग करता है। उनकी महिमा प्रकट हुई है क्योंकि संत पापा फ्राँसिस ने 1 मार्च 2015 को कहा था कि ″पिता की इच्छा के पूर्ण पालन ने उनके मानवीय स्वभाव को ईश्वरीय महिमा में रूपांतरित कर दिया है जो प्रेम और दया हैं।″

उन्होंने कहा कि 6 अगस्त को हम 38 साल पहले संत पापा पौल षष्ठम के निधन की भी याद करते हैं जिन्होंने 4 नवम्बर 1965 ई. में संयुक्त राष्ट्र में यह घोषित की थी, ″एक व्यक्ति के विरूद्ध दूसरा फिर कभी नहीं, नहीं, कभी नहीं...। युद्ध फिर कभी नहीं।″

फादर चरनी ने प्रार्थना का आह्वान करते हुए कहा कि धन्य संत पापा पौल षष्ठम की इन चुनौतीपूर्ण प्रोत्साहनों के साथ हम प्रार्थना करें तथा परमाणु बम के शिकार लोगों एवं विश्व भर में युद्ध एवं आतंकवाद के शिकार लोगों के प्रति एकात्मता प्रदर्शित करें।   

फादर ने परमाणु बम विस्फोट की 71वीं वर्षगाँठ को महत्वपूर्ण कहा क्योंकि संत पापा फ्राँसिस ने इस वर्ष को करुणा की जयन्ती वर्ष घोषित किया है जो प्रत्येक व्यक्ति को अपने पापमय एवं दुखद क्षणों को पुनः झाँक कर देखने का अवसर प्रदान करता है, निराश होने और टूट जाने के लिए नहीं किन्तु ईश्वर की प्रेमी कृपा को क्षमाशीलता एवं चंगाई के साथ अपने अंदर प्रवेश करने देने के लिए। 

हमारे स्वर्गीय पिता हमारे लिए अपने हृदय का द्वार खोलने से कभी नहीं थकते, वे हमें प्यार करते हैं तथा अपना प्रेम बांटने से कभी ऊबते नहीं। त्रिएक ईश्वर के हृदय तथा ईश्वर के रहस्य की गहराई से करुणा की नदी निकलती और अनवरत बहती रहती है। कलीसिया घोषणा करने एवं जीने के द्वारा इस करुणा की साक्षी बनने के लिए बुलायी गयी है। उन्होंने प्रार्थना की कि ईश्वर हमारे सभी दोष गुनाहों को दया की महा नदी में धो दे।

उन्होंने कहा कि करुणा के वर्ष में परमाणु बम की 71वीँ यादगार हमें प्रेरित करे, शिक्षा दे एवं हमारा मार्गदर्शन करे ताकि हम दया के लिए उदार बन सकें जिसको स्वर्गीय पिता हमारे हृदयों में भर देना चाहते हैं।

विदित हो कि द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापान के हिरोसिमा और नागासाकी में 6 से 9 अगस्त के बीच परमाणु बम बरसाया गया था जिसने उन शहरों को पूरी तरह नष्ट कर दिया था और जिसका असर अब भी देखने को मिलता है।








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