2016-08-01 14:17:00

आतंकवाद एक अमानवीय बुराई, उसकी जड़ धर्म नहीं, धन रूपी मूर्ति की पूजा है, संत पापा


विमान, सोमवार, 1 अगस्त 2016 (वीआर सेदोक): पोलैंड की पाँच दिवसीय प्रेरितिक यात्रा समाप्त कर संत पापा फ्राँसिस 31 जुलाई को रोम वापस लौटे। यात्रा के दौरान प्रेस सम्मेलन में उन्होंने पत्रकारों से कई मुद्दों पर बातें की जिनमें उन्होंने आज की प्रमुख समस्या, आतंकवाद की कड़ी आलोचना करते हुए इसे एक अमानवीय बुराई कहा तथा बतलाया कि उसकी जड़ सच्चा धर्म नहीं अपितु धन रूपी मूर्ति की पूजा है।

पत्रकारों के कार्यों की सराहना करते हुए संत पापा ने उन्हें धन्यवाद दिया तथा कहा, ″शुभ संध्या, आप सभी के कार्यों एवं आपके साथ के लिए धन्यवाद।″

उन्होंने वाटिकन प्रेस के महानिदेशक एवं वाटिकन प्रवक्ता जेस्विट फा. फेदरिको लोम्बारदी को विशेष धन्यवाद दिया जो 1 अगस्त से सेवानिवृत हो जाने के कारण, यह उनकी आखरी यात्रा है। संत पापा ने कहा, ″मैं फादर लोम्बारदी और मौरो को धन्यवाद देना चाहता हूँ क्योंकि वे हमारे साथ अंतिम यात्रा कर रहे हैं। फा. लोम्बारदी ने 25 से अधिक सालों तक वाटिकन रेडियो की सेवा की जिसमें 10 साल उन्होंने विमानयात्रा में सेवा दी जबकि मौरो ने 37 सालों तक विमान में सामानों की देखरेख की है।″

पोलैंड की पत्रकार मगदलेना वोलिनस्का ने संत पापा से पहला सवाल किया कि उन्हें पोलैंड कैसा लगा। इसके उत्तर में संत पापा ने कहा कि पोलैंड उनके लिए खास लगा क्योंकि एक समय इसपर  आक्रमण किया गया था किन्तु युवाओं को देखकर लगा कि यह पुनः सुन्दर हो गया है। पोलैंड की जनता अत्यन्त उत्साही है।    

दूसरे प्रश्न पर पोलैंड की उर्सुला ने संत पापा से पूछा कि उन्होंने युवाओं को जो संदेश दिया वह अत्यन्त हृदय स्पर्शी था और युवाओं के अनुकूल भी इसकी तैयारी उन्होंने किस तरह की थी?

इसके उत्तर में संत पापा ने कहा, ″मैं युवाओं से बात करना एवं उन्हें सुनना पसंद करता हूँ। मुझे कई बार मुश्किल हो जाता है क्योंकि वे ऐसे सवाल पूछ देते हैं जिसपर मैं विचार नहीं किया होता हूँ अथवा आधा विचार किया होता हूँ। युवा चंचल एवं सक्रिय होते हैं। मैं उनकी भाषा को अपनाने का प्रयास करता हूँ और कई बार मुझे पूछना पड़ता है कि इसका अर्थ क्या है और वे मुझे उसका अर्थ समझाते हैं। मैं उनसे बात करने में आनन्द लेता हूँ। वे हमारे भविष्य हैं और हमें उन से वार्ता -लाप करना चाहिए।″ संत पापा ने कहा कि युवाओं के साथ भूत और वर्तमान की घटनाओं के बारे चर्चा करना महत्वपूर्ण है जिसके लिए वे युवाओं एवं दादा-दादी के बीच सम्बध को प्रोत्साहन देते हैं। उन्होंने कहा कि दादा-दादी का तात्पर्य बुजुर्गों से हैं। आपस में बात-चीत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके द्वारा बुजुर्ग और युवा एक दूसरे से सीखते हैं। 

संत पापा से पूछे जाने पर कि ख्रीस्तयाग के दौरान गिर जाने के बाद भी वे दूसरे दिन कुशलता पूर्वक अपना कार्य करते रहे इसका कारण क्या था इसके जवाब में उन्होंने कहा कि गिरने के पूर्व वे माता मरियम को निहार रहे थे जिसके कारण उन्हें सीढ़ी का ख्याल नहीं था। उन्होंने कहा कि जब उन्हें गिरने का एहसास हुआ तो उन्होंने बचने का प्रयास नहीं किया क्योंकि यदि वे बचने का प्रयास किये होते तो उस क्रम में अधिक चोट आ सकती थी।

फ्राँसिसी फादर जैक्स हामेल की हत्या ‘इस्लाम’ के नाम पर किये जाने के संबंध में प्रश्न करते हुए एक पत्रकार ने संत पापा से पूछा कि उन्होंने इस हत्या के बारे अपने किसी भी वक्तव्य में इस्लाम शब्द का प्रयोग नहीं किया है बल्कि इसे आतंकवादी कार्य कहा है। संत पापा ने इसका उत्तर देते हुए कहा कि यदि इस्लाम धर्म में हिंसा की बात की जाए तो न केवल इस्लाम धर्म मानने वाले हिंसक हैं बल्कि काथलिक भी क्योंकि समाचार पत्रों में हर रोज कुछ न कुछ हिंसा की घटनाएँ पढ़ने को अवश्य मिलती हैं किन्तु इसके कारण सभी काथलिकों को हिंसक नहीं कहा जा सकता है, उसी तरह इस्लाम धर्म मानने वाले सभी लोगों को एक ही समान नहीं समझा जा सकता है। उन्होंने कहा कि लगभग सभी धर्मों में रूढिवादी लोगों का एक दल होता है। संत पापा ने कहा कि इस्लाम धर्म को हिंसा से जोड़ना सही नहीं है क्योंकि वे भी ‘शांति एवं वार्ता’ की तलाश करते हैं। उन्होंने बतलाया कि अफ्रीकी देशों में मुसलमान भी गिरजा जा कर प्रार्थना करते हैं और बहुत सारे लोग माता मरियम की विशेष भक्ति करते हैं किन्तु कुछ ऐसे लोग हैं जो निरुद्देश्य और बेरोजगार हैं तथा मादक पदार्थों का सेवन करते हैं एवं चरमपंथी दलों में शामिल हो जाते हैं। संत पापा ने आई एस दल के सदस्यों को इस्लाम से अलग करते हुए एक चरमपंथी दल कहा तथा कहा कि इस्लाम को आतंकवादी कहना सही और न्योचित नहीं है। संत पापा ने धन की पूजा को आतंकवाद की जड़ कहा जो धन को अपने केंद्र में रखता और व्यक्ति की अवहेलना करता है।

 








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