2016-07-31 17:15:00

आप एक नेता के रूप में आगे आयें


क्राकोव रविवार 31 जुलाई 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने क्राकोव के कैम्पस मिसरिकोदिये  में 31वें विश्व युवा दिवस के अवसर पर युवाओं के साथ रात्रि जागरण प्रार्थना में भाग लिया और उन्हें अपना प्रवचन दिया।

संत पापा ने कहा कि प्रिय युवा मित्रों आप सभों के साथ जागरण प्रार्थना में होना कितना अच्छा है। रैंड ने अपनी प्रभावकारी और प्रेरणा पूर्ण साक्ष्य के बाद निवेदन करते हुए कहा, “मैं अपने सभों से विनय करता हूँ कि आप मेरे प्रिय देश हेतु प्रार्थना करें।” उसकी कहनी युद्ध, दुःख और हताहत के भरी है अतः वे हम से प्रार्थना की याचना करते हैं। इसके अच्छा और क्या हो सकता है कि हम अपने जागरण की शुरुआत प्रार्थना से करें?

संत पापा ने युवाओं से कहा कि हम दुनिया के विभिन्न महादेशों, देशों, भाषाओं और संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हम में से कुछ उन देशों के पुत्र-पुत्रियाँ हैं जो युद्ध से प्रभावित हैं। हम में से कुछ हैं जो उन देशों से आते हैं जहाँ शांति कायम है लेकिन देश में ऐसी विनाशकारी चीज़ें हो रही हैं जो रोज दिन के समाचार बनते हैं। लेकिन हम विचार करें कि विश्व के विभिन्न देशों से एक साथ हमारा यहाँ आना हमें एक साथ जोड़ता है। आज सीरिया में युद्ध की स्थिति कितनों लोगों के लिए दुःख और दर्द का कारण बन गई है। रैंड की तरह बहुत सारे युवा हमारे साथ हैं जो हम से अपने देश हेतु प्रार्थना की आशा करते हैं।

कुछ परिस्थितियाँ हम से तब तक दूर नजर आती हैं जब तक हम उनका स्पर्श नहीं करते हैं। हम उन्हें प्रोत्साहित या पसंद नहीं करते क्योंकि हम उन्हें केवल अपने मोबाईल फोन और कंप्यूटर की स्क्रीन पर ही देखते हैं। लेकिन जब हम उन देशों के लोगों से मिलते हैं तो बहुत बड़ी चीज होती है। हम यह अनुभव करते हैं कि हमें उनकी स्थिति में सम्मिलित होना चाहिए। प्रिय मित्रों, संत पापा ने युवाओं से आग्रह करते हुए कहा कि हम सीरिया और दुनिया भर में युद्ध से पीड़ितों और परिवारों हेतु प्रार्थना करें। हम हमेशा के लिए इस बात को याद रखें कि अपने भाई-बहनों के खून बहाने से हमें न्याय नहीं मिलता क्योंकि जीवन से बड़ा हमारे लिए और कुछ नहीं है। अपने प्रार्थनामय निवेदन के साथ मैं नतालिया और मिगवेल का भी धन्यवाद अदा करना चाहता हूँ जिन्होंने अपने संघर्षमय अनुभूतियों को हमारे साथ साझा किया है। आप ने हमें अपने जीवन की कठिनाइयों के बारे में और कैसे आप ने उन पर विजय पायी है इसके बारे में बतलाया। आप दोनों ईश्वरीय कृपा की जीवित निशानी हैं जिससे वे हमारे जीवन के द्वारा पूरा करना चाहते हैं।

हमें किसी की निंदा या किसी से लड़ाई करने का वक्त नहीं है। हम किसी को मारना, घृणा के बदले घृणा, हिंसा के बदले और अधिक हिंसा नहीं करना है। हम यहाँ हैं क्योंकि ईश्वर ने हमें यहाँ एकत्रित किया है। विश्व में हो रहे युद्ध का प्रतिउत्तर हमारी ओर से भ्रातृत्व है जिसे हम भाईचारा, एकता की संज्ञा देते हैं। यह एक परिवार का नाम है। हम विश्व के कोने-कोने से इस वास्तविकता को बयाँ करने आते हैं कि हम सभी प्रार्थना करने जमा हुए हैं। विश्व में व्याप्त युद्ध के विरूद्ध हमारा शब्द, हमारा सर्वोत्तम उत्तर प्रार्थनामय एकता हो। संत पापा ने कहा कि आइए हम एक क्षण मौन होकर प्रार्थना करें। आइए हम येसु के सामने हमारे मित्रों के द्वारा दिये गये साक्ष्यों को रखें और अपने को उनके साथ संलग्न करें “जिनके लिए परिवार अर्थहीन है, जो उसे सिर्फ खाने और सोने की जगह मानते हैं”, जो अपनी गलती और पापों के कारण अपने में भय का अनुभव करते और अपने को समाज से अगल पाते हैं। आइए हम अपने हृदय के अंतस्थल में होने वाले संघर्ष को ईश्वर के सामने रखें।

मौन प्रार्थना के उपरान्त संत पापा ने कहा कि इस प्रार्थना के दौरान मैं पेन्तेकोस्त के दिन में प्रेरितों की स्थिति को याद करता हूँ। उनकी याद हमें ईश्वरीय मनोकामना की सराहना करने हेतु प्रेरित करे जहाँ वे हमें अपने कामों को हमारे द्वारा पूरा करना चाहते हैं। उस दिन शिष्य डर के मारे अपने को कमरे में बंद किये हुए थे। उनमें भय समाया हुआ था और वे एक छोटे से कमरे में चुपचाप शक्तिहीन पड़े हुए थे। इस परिस्थिति में कुछ अद्भुत घटना घटी। पवित्र आत्मा उनके ऊपर आग की भाँति जीभ के रुप में उतरा और बैठ गया और वे उत्साह और जोश से भर गये।

हमने तीन साक्ष्यों को सुना है। हमारे हृदय हमारे मित्रों की कहनियों और जीवन से प्रभावित हुए हैं। उन्होंने चेलों के समान अपने जीवन में डर का अनुभव किया जहां उन्हें लगा मानो सारी चीजें बिखर कर समाप्त हो गई हैं। इस प्रकार का भय संत पापा ने कहा कि हमें अपने अन्दर बन्द, कैद कर देता है। इस प्रकार का डर हमें शक्तिहीन बना देता है और हमें ऐसा प्रतीत होता है मानो इस दुनिया में, इस शहर में और हमारे समुदाय में हमारे सपनों से लिए, एक नई दुनिया की सोच हेतु कोई स्थान नहीं रह गया है। यह हमारे जीवन में सबसे बुरी चीजों में से एक हो सकती है। जब हम अपने में शक्तिहीनता का अनुभव करते तो हम दूसरों से नहीं मिल पाते और इस भांति  हम आश्चर्यजनक चीजों को देखने से वंचित हो जाते हैं। इस तरह हम दूसरों से मिलने, मित्रता करने, अपने सपनों को एक-दूसरे से साझा करने, दूसरों के साथ चलने में अपने को असमर्थ पाते हैं।

संत पापा ने कहा कि हमारे जीवन में इससे भी बढ़कर और एक खतरनाक चीज है जो हमें शक्ति हीन बना देती है। हम इसे बहुधा अपने में अनुभव नहीं करते हैं। मैं इसे “सोफा में बैठने की खुशी” कहता हूँ। दूसरे शब्दों में हम अपने जीवन में खुशी का अनुभव करने हेतु एक अच्छा सोफा की कामना करते हैं। हम इसमें आराम, शांति और सुरक्षा का अनुभव करते हैं। आज कल के सोफें जो हमारे यहाँ उपलब्ध हैं जहाँ स्वतः हमारी मालिश होती जो हमें अच्छी निद्रा प्रदान करती है। उन पर पड़े रह कर हम दुनिया से दूर वीडियो गेम और कंप्यूटर के सामने अपना समय व्यतीत करते हैं। यह हमें सभी प्रकार के दर्द और डर से दूर करती है जो हमें अपने घरों में कामों, चिंताओं और सभी बातों से दूर रखती है इसे हम “सोफा की खुशी” कह सकते हैं। संत पापा ने कहा कि यह हमारे लिए सबसे हानिकारक और घातक शक्तिहीनता है क्योंकि हम धीरे-धीरे बिना अनुभव किये सो जाते, झपकी लेने लगते और शिथिल हो जाते हैं। बहुत से लोग वास्तव में यह पसन्द करते हैं कि उनके बच्चे सोफा में सुस्त रहें।

संत पापा ने कहा प्रिय युवा मित्रों हम दुनिया में यूं ही पड़े रहने हेतु नहीं जन्मे हैं। नहीं, हमारा जन्म एक विशेष उद्देश्य से हुआ है कि हम दुनिया में अपनी एक छाप छोड़ जायें। दुनिया से हमारा यूँ ही चला जाना हमारे लिए बहुत दुःख की बात है और जब हम आराम और भौतिकतावाद रूपी जिन्दगी का चुनाव करते तो हम अपनी स्वतंत्रता खो देते हैं।

यह एक बहुत बड़ी शक्तिहीनता की निशानी है। जब कभी हम खुशी की बात सोचते और शांति में आराम से निद्रा हेतु चल जाते तो हम अपने जीवन को एक प्रकार के भ्रम में जीते हैं। निश्चय रुप में नशीली चीजें बुरी हैं लेकिन समाज में बहुत सारी दूसरी नशीली चीजें हैं हम जिसके गुलाम हो सकते हैं। वे एक तरह से हमारे सबसे बड़े धन हमारी स्वतंत्रता को लूट ले जा सकती हैं।

मेरे मित्रों येसु ख्रीस्त चुनौतियों के प्रभु हैं जो हमें और “अधिक” करने हेतु निमंत्रण देते हैं। वे आराम, सुरक्षा और सहज जीवन के मालिक नहीं हैं। उनका अनुसरण करना हम में एक साहस की माँग करता है। वे हमें आराम से बहर निकल कर एक नई राह में चलने हेतु बुलाते हैं। वे हमें चुनौतियों का सामना करने हेतु बुलाते हैं जो खुशी का संचार करती हैं वह खुशी जो येसु के प्रेम से प्रस्फुटित होती और हर एक करुणा के कार्य द्वारा अन्यों के हृदय में संचित होती है। वे हमें अपनी राह में चलने हेतु बुलाते हैं जहाँ हम भूखे-प्यासे, नंगे, बीमारों, मुश्किल में पड़े हमारे मित्रों, क़ैदख़ानों में पड़े लोगों, प्रवासियों और शरणार्थियों और हमारे पड़ोस के परित्यक्त लोगों में उनसे मिलते हैं। हम येसु की राह का चुनाव करें जो हमें एक विचारक, राजनीतिज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता बनने हेतु प्रेरित करता है। वे हमारे जीवन को दूसरों के लिए एक उपहार स्वरूप देते हेतु सुसमाचार का प्रचार करने को कहते हैं।

आप कहेंगे लेकिन पापा वह सभों के लिए नहीं वरन् कुछेक के लिए हैं जो चुने गये हैं। सच है जो चुने गये हैं उन्हें अपना जीवन दूसरों की सेवा हेतु देना है। पेन्तोकोस्त के दिन जिस तरह पवित्र आत्मा चेलों के हृदयों को परिवर्तित कर दिया उसी तरह उन्होंने हमारे मित्रों के साथ भी किया जिन्होंने आज हमारे साथ अपने जीवन को साझा किया और अपना साक्ष्य दिया है। हम येसु के कामों में अपना हाथ बंटाने हेतु बुलाये जाते हैं। वे हम पर अपनी निगाहें आशा और विश्वास के साथ टिकाये हुए हैं। वे हमारे जीवन की सभी दीवारों को तोड़ते हैं। वे हमारे जीवन के द्वारों, सपनों और हमारी अंतः दृष्टि को खोलने आते हैं जिससे हम चीजों को देख सकें। वे हमसे उन सारी चीजों को दूर करते हैं जो हमें अन्दर से बन्द कर देतीं हैं। वे आपको सपने देखने को कहते हैं क्योंकि वे आपके सपनों के द्वारा अपने कामों को दुनिया में पूरा करना चाहते हैं और जब तक हम अपना सर्वोत्तम नहीं देते दुनिया का बदलाव कभी नहीं हो सकता है।

आप के लिए यह समय व्यर्थ में बिताने हेतु नहीं है। आज दुनिया की माँग है कि आप एक नेता के रूप में आगे आयें क्योंकि जब हम जीवन में किसी काम को करने की ठान लेते तो हमारा जीवन और अधिक सुन्दर हो जाता है। इतिहास हमें हमारे आत्म सम्मान की रक्षा हेतु बुलाता है जिससे कोई हमारे लिए भविष्य का चुनाव न करे। पेन्तोकोस्त के दिन की तरह येसु हमारे जीवन के द्वारा एक महान कार्य करना चाहते हैं। वे हमें विश्व के लिए मेल-मिलाप और एकता की निशानी बना चाहते हैं। वे आप से और आप के हाथों द्वारा आज संसार का निर्माण करते और करना चाहते हैं।

आप कहेंगे लेकिन पापा मेरी तो कमजोरियाँ हैं, मैं तो पापी हूँ मैं क्या कर सकता हूँ? संत पापा ने कहा कि येसु जब हमें बुलाते हैं तो वे यह नहीं देखते कि हम क्या हैं और हम कैसे थे, या हमने क्या किया और क्या नहीं किया है। ठीक इसके विपरीत जब वे हमें बुलाते हैं तो वे सभी चीजों के बारे सोचते हैं। वे भविष्य की ओर देखते हैं और आप का ध्यान भविष्य की ओर इंगित करते हैं।

अतः प्रिय मित्रों आज येसु हमें आहृवान देते हैं जिससे हम अपने जीवन में एक छाप, एक इतिहास छोड़ सकें। जीवन को विभाजित करनी वाली चीज़ें हमें सहज लगती हैं जो हमें क्षीण-भिन्न कर देतीं हैं। लोग हमें यह विश्वास दिलाते हैं कि अपने को बन्द रखना उत्तम है जो हमें जोखिमों से सुरक्षित रखता है। आज दुनिया आप से सीखना चाहती है कि विभिन्नता, आपसी वार्ता और विभिन्न संस्कृतियों के बीच कैसे सामंजस्य बना कर रहने की जरूर है क्योंकि वे हमारे लिए खतरा नहीं लेकिन एक अवसर प्रदान करते हैं। आप साहस के साथ दीवारों के बदले सेतुओं का निर्माण करें। क्या आप को पता है कि सबसे पहले सेतु का निर्माण कब किया गया। इस सेतु का निर्माण हम अभी एक दूसरे के हाथों को पकड़ते हुए करें। संत पापा ने कहा कि आइए हम अपनी हाथों को एक दूसरे की ओर बढ़ते हुए इसका निर्माण करें। यह भ्रातृत्व का सबसे बड़ा सेतु है जिसे संसार को भी बनाने सीखा है। हम तस्वीरों के लिए इसका निर्माण नहीं वरन् सच्चे अर्थ में इसकी रचना करें। इस मानवीय सेतु के द्वारा समाज में दूसरे अन्य सेतुओं का निर्माण हो, जो इतिहास बनें।

येसु जो सत्य, मार्ग और जीवन हैं आप सभों को एक छाप छोड़कर जाने हेतु बुलाते हैं। वे इसे हमारे जीवन से शुरू करने को कहते हैं। वे जो सत्य हैं हमें बिखराव के मार्ग, खोखलापन और अस्वीकृति का परित्याग करने हेतु कहते हैं। क्या आप तैयार हैं? इसका उत्तर क्या आप अपने हाथों और पैरों के द्वारा येसु को देंगे जो हमारे जीवन का सत्य मार्ग और जीवन हैं।








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