2016-07-30 12:25:00

क्रेकाव के ईश्वरीय करुणा को समर्पित पुण्य स्थलों पर सन्त पापा फ्राँसिस


क्रेकाव, पोलैण्ड, शनिवार, 30 जुलाई 2016 (सेदोक): पोलैण्ड की प्रेरितिक यात्रा का तीसरा दिन दुःख और पीड़ा को समर्पित रहा तो इसका चौथा दिन यानि शनिवार 30 जुलाई का दिन ईश्वरीय, करुणा एवं क्षमा पर केन्द्रित रहा। क्रेकाव में सन्त पापा ने दो पुण्य स्थलों की भेंट कर ईश्वर की दया के महत्व को रेखांकित किया।

क्रेकाव के महाधर्माध्यक्षीय निवास से मात्र छः किलो मीटर की दूरी पर ईश्वरीय करुणा को समर्पित पुण्य स्थल एवं महागिरजाघर है जहाँ शनिवार को, दया की रानी माँ मरियम को समर्पित धर्मसंघ की 150 धर्मबहनों सहित लगभग 300 श्रद्धालुओं ने सन्त पापा के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। इसी महागिरजाघर में पोलैण्ड की सन्त फाओस्तीना कोवाल्स्का को समर्पित प्रार्थनालय में सन्त पापा फ्राँसिस ने सन्त की समाधि पर श्रद्धार्पण किया।

कई बार पीड़ित प्रभु येसु ख्रीस्त के दर्शन पा लेने के बाद 20 वर्ष की आयु में ही फाओस्तीना कोवाल्स्का वॉरसो स्थित दया की रानी माँ मरियम को समर्पित धर्मसंघ में भर्ती हो गई थीं तथा यहाँ रसोई, सिलाई, कपड़े धोने और सभी घरेलु कामों में लग गई थी। त्याग, तपस्या, उपवास एवं परहेज़ों से परिपूर्ण जीवन चर्या के कारण उनका शरीर जर्जर हो उठा था तथा युवाकाल में ही वे तपेदिक की बीमारी से ग्रस्त हो गई। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि मरिया फाओस्तीना कोवाल्स्का की सामान्य और साधरण जीवनशैली में ईश्वर के साथ संयुक्त रहने की अविश्वसनीय गहराई छिपी थी। दीर्घकालीन पीड़ा के उपरान्त 05 अक्टूबर सन् 1938 ई. को, 33 वर्ष का आयु में ही धर्मबहन फाओस्तीना का निधन हो गया था।

सन् 1980 में ईश्वरीय करुणा पर प्रकाशित सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय का दूसरा विश्व पत्र इसी विनीत धर्मबहन के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से प्रेरित है। 18 अप्रैल को जॉन पौल द्वितीय ने धर्मबहन फाओस्तीना को धन्य घोषित कर वेदी का सम्मान प्रदान किया था तथा इसी अवसर पर यह घोषणा की थी कि प्रतिवर्ष पास्का के बाद पड़नेवाले पहला रविवार ईश्वरीय करुणा को समर्पित रहेगा जैसा कि मरिया फाओस्तीना ने अपनी डायरी में लिखा था। सन् 2000 में मरिया फाओस्तीना को सन्त घोषित किया गया था।

पोलैण्ड की सन्त मरिया फाओस्तीना की समाधि पर प्रार्थना अर्पित करने के बाद शनिवार को सन्त पापा ने ईश्वरीय करुणा को समर्पित महागिरजाघर एवं सन्त जॉन पौल द्वितीय को समर्पित पुण्य स्थल के बीच पड़नेवाले उद्यान में कुछेक युवाओं के पापस्वीकार सुनें तथा उन्हें ईश्वरीय क्षमा और कृपा से अनुगृहीत किया। तदोपरान्त, उन्होंने सन्त जॉन पौल द्वितीय को समर्पित पुण्य स्थल की ओर प्रस्थान किया जो इस स्थल से केवल एक किलोमीटर दूर है। यह पुण्य स्थल सन् 2013 एवं 2015 के बीच निर्मित "डरो मत" नामक सन्त जॉन पौल द्वितीय कॉम्प्लेक्स का केन्द्रबिन्दु है जिसके अन्तर में जॉन पौल द्वितीय को समर्पित एक संग्रहालय भी है।

सन्त जॉन पौल द्वितीय को समर्पित पुण्य स्थल पर इस महान सन्त पापा के रक्त एवं उनके द्वारा धारित क्रूस को पवित्र अवशेष रूप में सुरक्षित रखा गया है। इसके अतिरिक्त, वह अंगरखा भी दर्शन का लक्ष्य बना है जिसे उन्होंने, स्वतः पर हुए जानलेवा हमले के वक्त, 13 मई सन् 1981 को धारण किया था। इसी पवित्र स्थल के निकट सन्त पापा फ्राँसिस ने शनिवार, 30 जुलाई को पोलैण्ड के याजकवर्ग तथा गुरुकुल छात्रों के लिये ख्रीस्तयाग अर्पित कर उन्हें अपना सन्देश दिया। 

पोलिश समाचार पत्रों पर यदि दृष्टि डालें तो इनके मुखपृष्ठों पर शनिवार को बीमार बच्चों से मुलाकात, युवाओं के साथ क्रूस यात्रा तथा आऊशविट्स बिरकेनाओं की तस्वीरों ने सम्पूर्ण विश्व में शुक्रवार को सम्पन्न घटनाओं की झलक प्रेषित की। पोलैण्ड के "गाज़ेत्ता विरबोर्स्का" प्रमुख अख़बार के मुखपृष्ट पर सन्त पापा फ्राँसिस की एक विशाल तस्वीर के बगल में यह प्रश्न जुड़ा थाः "क्या सन्त पापा फ्राँसिस की यात्रा पोलैण्ड में परिवर्तन ला सकेगी?"








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