2016-07-29 12:20:00

सन्त पापा ने की आऊशविट्स-बिरकेनाओ नाज़ी नज़रबन्दी शिविरों की भेंट


ऑसविएखिम, पोलैण्ड, शुक्रवार, 29 जुलाई 2016 (सेदोक): सन्त पापा फ्रांसिस ने, शुक्रवार, 29 जुलाई को क्रेकाव से लगभग 30 किलो मीटर की दूरी पर स्थित आऊशविट्स-बिरकेनाओ नाज़ी नज़रबन्दी शिविरों की भेंट कर उन लगभग दस लाख लोगों को याद किया जो एडोल्फ हिटलर की सेना द्वारा मार डाले गये थे। इनमें अधिकांश यहूदी थे। 

सन् 1939 ई. में हिटलर की जर्मन सेना ने पोलैण्ड पर धावा बोल दिया था तथा उसे अपने कब्ज़े में कर लिया था। इसके 17 दिनों बाद ही सोवियत सेना पोलैण्ड के ऑसविएखिम नगर में प्रवेश कर गई जिसके बाद से नगर दो भागों में विभाजित हो गया। हिटलर की नाज़ी सेना द्वारा अधिकृत क्षेत्र को आऊशविट्स का नाम दे दिया गया तथा यहां आऊशविट्स-बिरकेनाओ नज़रबन्दी शिविरों की स्थापना कर दी गई। पहले-पहल इन शिविरों में केवल राजनैतिक बन्दियों को रखा जाता था किन्तु बाद में यहूदियों को इनमें नज़रबन्द कर दिया गया तथा बलात श्रम के लिये बाध्य किया गया। जो लोग काम करने के लिये लायक नहीं थे उन्हें मार डाला गया था।

आऊशविट्स-बिरकेनाओ नाज़ी नज़रबन्दी शिविरों की भेंट करनेवाले सन्त पापा फ्राँसिस काथलिक कलीसिया के तीसरे परमाध्यक्ष हैं। इनसे पूर्व सन् 1979 ई. में सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय तथा सन् 2006 में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें इन ख़ौफनाक शिविरों की भेंट कर चुके हैं जहाँ इन्सानियत की सारी हदों को तोड़कर हिंसा और घृणा का भद्दा प्रदर्शन किया गया था तथा लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था।

आऊशविट्स नज़रबन्दी शिविर के उस कुख्यात प्रवेश द्वार पर सन्त पापा फ्राँसिस कुछ क्षणों रुक गये जिसपर "आरबाईट माख्ट फ्राय"  यानि श्रम स्वतंत्र करता है व्यंगात्मक  शब्द अंकित हैं। तदोपरान्त, एक मोटर गाड़ी पर सवार हो सन्त पापा ने शिविर के विभिन्न खण्डों  का दौरा किया। 11 वें खण्ड पर रुककर वे एक तख्ती पर बैठ गये। इस स्थल पर अपना सिर झुकाये सन्त पापा फ्राँसिस लम्बे क्षणों तक मौन प्रार्थना और चिन्तन करते रहे। पोलिश काथलिक पुरोहित शहीद सन्त मैक्सीमिलियान कोल्बे के कक्ष में उन्होंने शीष नवाया जिन्हें शिविर के अन्य क़ैदियों की मदद करने के लिये फाँसी लगा दी गई थी। इस वर्ष सन्त मैक्सीमिलियान कोल्बे की शहादत की 75 वीं पुण्य तिथी है।

आऊशविट्स नाज़ी नज़रबन्दी शिविर में ही सन्त पापा ने, उत्पीड़न का शिकार बने किन्तु बच निकले, दस व्यक्तियों से मुलाकात की तथा उनके प्रति गहन सहानुभूति का प्रदर्शन किया। इनमें से एक ने सन्त पापा को एक जलती मोमबत्ती अर्पित जिसे लेकर सन्त पापा ने उस दीप को प्रज्वलित किया जिसे उन्होंने अपनी भेंट की स्मृति में उपहार स्वरूप आऊशविट्स के संग्रहालय को अर्पित किया है। इस अवसर पर पोलैण्ड की प्रधान मंत्री बेआता मरिया ज़िडलो भी उपस्थित थीं।

आऊशविट्स में सन्त पापा फ्राँसिस की भावपूर्ण भेंट ने द्वितीय विश्व युद्ध इस भयंकर स्मरण स्थल को विश्वव्यापी अर्थ प्रदान कर दिया है ताकि विश्व की वर्तमान एवं भावी पीढ़ियाँ, इसकी स्मृति को बरकरार रखते हुए, हिंसा एवं घृणा का परित्याग करें तथा प्रेम एवं शांति को विकसित होने दें।








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