वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 22 जुलाई 2016 (सेदोक) विगत महीनों में मिस्र के ख्रीस्तीयों ने अपने ऊपर हो रहे अत्याचार में वृद्धि का अनुभव किया है उक्त बातें विश्व ख्रीस्तीय एकता हेतु कार्यरत मिस्र के एक अधिवक्ता ने कही।
इस सप्ताह हुए एक अन्य घटना में एक ख्रीस्तीय को मुस्लिम भीड़ ने चाकू से गोद कर मार डाला जिसके कारण ख्रीस्तीय समुदाय में तनाव उत्पन्न हो गया है।
वाटिकन रेडियो की जोर्जिया गोराती से वार्ता करते हुए सीएसडबल्यू के अधिवक्ता ने बतलाया कि सन् 2013 में मुस्लिम ब्रदरहुड के राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी के निष्कासन के बाद ईसाइयों के खिलाफ हमलों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि यद्यपि मिस्र के शहरों में आक्रमण विरले ही दिखाई देते हैं लेकिन दुर्भाग्यवश ऊपरी मिस्र ने "नियमित रूप से छोटे पैमाने पर सांप्रदायिक हमलों" का अनुभव किया है।
विगत महीनों में "ईसाई समुदायों के खिलाफ हमलों की बाढ़" विभिन्न कारणों से देखने को मिला है। उन्होंने कहा कि हिंसा के मुख्य कारण ख्रीस्तीयों के मकान और काथलीक पुरुषों का मुस्लिम महिलाओं के साथ दोस्ताना संबंध है। हालांकि कई ईसाइयों ने राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल सीसी के एकात्मक बयान को "प्रोत्साहित और सराहना" की लेकिन यह व्यवहार और कार्यों में नहीं झलकता है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा सेवा इन घटनाओं के प्रति काररवाई करने में सुषुप्त दिखाई देते हैं और बहुत बार इन घटनाओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है।
सीएसडबल्यू के अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने "प्रथागत सुलह हेतु बैठकों" की माँग की जिसके तहत गांव के बुजुर्गों और धार्मिक नेताओं अत्याचारियों की सज़ा हेतु मापदंड निर्धारित कर सकें जिससे समुदायों में सामंजस्य बनी रहे।
उन्होंने कहा कि संत पापा बहुधा अन्तर धार्मिक वार्ता की बात कहते हैं जिसे अलेक्जेंड्रिया के प्राधिधर्माध्यक्ष तावादोरोस द्वितीय ने भी स्वीकारा है लेकिन यह सरकार और धार्मिक नेताओं पर निर्भर करता है कि वे इसे देश में बहाल करें जिससे समाज में व्यवस्था कायम रह सकें।
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