संयुक्त राष्ट्र, शनिवार, 16 जुलाई 2016 (वीआर सेदोक): अमरीका में वाटिकन के स्थायी पर्यवेक्षक एवं वाटिकन के प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष
बेर्नादितो औज़ा ने मानवाधिकार पर संयुक्त राष्ट्र के उच्च स्तरीय विषयगत बहस में कहा
कि विश्वभर में मानव अधिकार की रक्षा करने एवं उसको प्रोत्साहन देने में संयुक्त राष्ट्र
की एक विशेष भूमिका है।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की सत्तरवीं
वर्षगाँठ एवं अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार अनुबंध की पच्चासवीं सालगिरह के उपलक्ष्य में
चिंतन पर, इस बात को उचित करार दिया कि अंतरराष्ट्रीय नियमों एवं अंतरराष्ट्रीय मानव
अधिकार कानूनों की स्थापना हेतु उसके योगदान पर गौर किया जाए।
उन्होंने मानव प्रतिष्ठा एवं मानव अधिकार
के प्रति सम्मान को एक नैतिक उपलब्धि मानते हुए कहा कि उसे हमेशा कृतज्ञता, दृढ़ता एवं
व्यक्ति, समाज तथा राज्य द्वारा लिये गये ठोस निर्णय पर निर्मित होना चाहिए।
औजा ने कहा कि यह बाद-विवाद ऐसे समय रखा गया है जब मानव प्रतिष्ठा एवं उनके अधिकारों की उपेक्षा की जा रही है। विभिन्न रूपों में उसे दबाया एवं उनका उलंघन किया जा रहा है। देशों के नागरिक, युद्ध और संघर्षों के शिकार बन रहे हैं। व्यक्ति तस्करी, गुलामी, यौन अथवा अंग शोषण, नैतिक एवं धार्मिक अल्पसंख्यक अत्याचार के निशाने पर हैं। समाज फेंकने की संस्कृति से प्रभावित हैं तथा लाखों लोग अपनी जान जोखिम में डालकर
अत्याचार से भागने का प्रयास कर रहे हैं। कई लोग गरीबी एवं भेदभाव के शिकार हैं।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति की प्रतिष्ठा
एवं उनके अधिकारों के मूल्य को नहीं समझने के कारण बहुत सारे लोगों को पीछे छोड़ दिया
गया है जो विवाद के महत्व को प्रकट कर रहा है और जिसके लिए ठोस कदम उठाये जाने की आवश्यकता
है। उन्होंने कहा कि मानव प्रतिष्ठा एवं अधिकार के प्रति सम्मान को प्रोत्साहन दिये जाने
हेतु आवश्यक है कि उसके स्रोत एवं नींव को समझा जाए।
उन्होंने कहा कि मानव प्रतिष्ठा प्रत्येक
मानव प्राणी एवं मानव जीवन के लिए गर्भ में पड़ने के प्रथम क्षण से ही प्राप्त है। यह
ऐसा नहीं है जिसे हम शरीर के विकास, मानसिक क्षमता अथवा किसी प्रकार के विशेषाधिकार द्वारा
प्राप्त करते हैं।
उन्होंने याद किया कि संयुक्त राष्ट्र
ने मानव अधिकार एवं प्रतिष्ठा की रक्षा एवं विकास हेतु बहुत बड़ा योगदान दिया है, विशेषकर,
कमजोर एवं असहाय लोगों की मदद द्वारा किन्तु उन्होंने यह भी याद दिलाया कि अब भी बहुत
कुछ करना बाकी है। महाधर्माध्यक्ष ने इस बात पर बल दिया कि हम मानव अधिकार एवं प्रतिष्ठा
के प्रति सम्मान की संस्कृति को प्रोत्साहन एवं दृढ़ता प्रदान करते हुए भावी पीढ़ी के
लिए एक बेहतर वार्तावरण तैयार करें।
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