2016-07-07 13:17:00

बयालिस पाकिस्तानी ख्रीस्तीय आतंकवाद के आरोप से बरी


इस्लामाबाद, बृहस्तपतिवार, 7 जुलाई 2016 (एशिया समाचार) : ब्रिटिश पाकिस्तानी क्रिश्चियन एसोसिएशन (बीपीसीए), की मदद से 42 ख्रीस्तीयों के खिलाफ आतंकवाद के झूठे आरोप को खारिज़ कर दिया गया है और पुलिस जिन्होंने उन्हें गिरफतार किया था उनके विरुध भ्रष्टाचार के तहत जांच जारी है।

लाहौर उच्च न्यायालय ने गुलबर्ग पुलिस स्टेशन के प्रमुख और अन्य अधिकारियों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज कराई, जिन्होंने देश के आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत अवैध तरीके से ख्रीस्तीयों को गिरफ्तार किया और अनावश्यक हिंसा का इस्तेमाल किया।

बीपीसीए के वकील हफीजा ने सफलतापूर्वक ख्रीस्तीयों को बेगुनाह साबित कर दिया। केस मई में शुरू हुआ जब कुछ पुलिस अधिकारियों ने पंजाब विधानसभा के एक पूर्व सदस्य एवं क्रिस्चयन लाईफ मिनिस्ट्री प्रोटेस्टेंट कलीसिया के प्रमुख कमल और 41 अन्य ख्रीस्तीयों को क्रिस्चियन टाऊन से गिरफ्तार कर लिया था।

प्रार्थना के लिए जमा हुए ख्रीस्तीयों ने गिरजाघर के सामने दो युवकों को बेरहमी से पुलिस द्वारा पीटे जाने की चीखें सुनी और उन्हें बचाने बाहर निकले। पुलिस ने पीटना बंद किया पर वहाँ उपस्थित बच्चों और महिलाओं सहित सबों को गिरफतार किया। पादरी और अन्य पुरुषों के हिरासत में रखकर उन्हें बेरहमी से पीटा गया। पिटाई की वजह से पादरी को उच्च रक्तचाप के कारण दो दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।

पुलिस प्रमुख वहीद शाहिद और अन्य पुलिस अधिकारियों ने अपने बचाव में कहा कि उन्हें इत्तला दे दी गई थी कि वहाँ अवैध शराब बनाया जाता है। अवैध मादक पेय बनाने के सबूत के अभाव में पुलिस अधिकारियों के “स्थगन आदेश” की याचिका को खारिज कर दिया गया। लाहौर उच्च न्यायालय ने पुलिस के आचार-व्यवहार की जांच का आदेश दिया।

बीपीसीए के अध्यक्ष विल्सन चौधरी इस परिणाम से खुश थे। उन्होंने कहा, “ऐसे देश में जहाँ ख्रीस्तीयें को बहिष्कृत व अछूत माना जाता है, न्याय पाना बहुत ही दुर्लभ है।"








All the contents on this site are copyrighted ©.