वाटिकन सिटी, मंगलवार, 28 जून 2016 (सेदोक): कॉन्सटेनटीनोपल के प्राधिधर्माध्यक्ष बारथोलोम प्रथम ने रोम के संरक्षक सन्त पेत्रुस एवं पौलुस के महापर्व के उपलक्ष्य में सन्त पापा फ्राँसिस को एक पत्र लिखकर महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ अर्पित कीं तथा इस उपलक्ष्य में एक साथ समारोह मनाने पर हर्ष व्यक्त किया।
प्रतिवर्ष सन्त पेत्रुस एवं सन्त पौलुस के महापर्व के उपलक्ष्य में 29 जून को कुस्तुनतुनिया से पूर्वी रीति की ख्रीस्तीय एकतावर्द्धक कलीसिया का एक प्रतिनिधिमण्डल रोम आता है।
सन्त पापा फ्राँसिस को लिखे पत्र में प्राधिधर्माध्यक्ष बारथोलोम प्रथम ने हाल ही में ग्रीस के लेसबोस में हुई मुलाकात को याद किया।
इस अवसर पर रोम के परमाध्यक्ष सन्त पापा फ्राँसिस के साथ कुस्तुनतुनिया और ग्रीस की कलीसियाओं के ख्रीस्तीय प्राधिधर्माध्यक्षों ने मिलकर शरणार्थियों एवं आप्रवासियों की व्यथा पर विश्व का ध्यान आकर्षित किया था।
सन्त पापा फ्राँसिस को लिखे पत्र में प्राधिधर्माध्यक्ष बारथोलोम प्रथम ने कहा, "वर्तमान युग में जारी शरणार्थियों एवं आप्रवासियों के संकट ने यह स्पष्ट दर्शा दिया है कि यूरोपीय राष्ट्रों को भ्रातृत्व एवं सामाजिक न्याय सम्बन्धी प्राचीन ख्रीस्तीय सिद्धान्तों के आधार पर इस समस्या का समाधान ढूँढ़ना होगा।"
उन्होंने लिखा, "हमारा मानना है कि ख्रीस्तीय मूल का सन्दर्भ दिये बिना यूरोपीय सभ्यता को समझा नहीं जा सकता तथा उसका भविष्य धर्म के प्रति उदासीन समाज अथवा विभिन्न प्रकार के चरमपंथ पर आधारित नहीं हो सकता।" उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि ख्रीस्तीय धर्म के मूल्यों से पोषित "एकात्मता की संस्कृति" उच्च स्तरीय जीवन शैली, इन्टरनेट तथा वैश्वीकरण के द्वारा ही बरकरार नहीं रखी जा सकती।
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