2016-06-26 12:26:00

प्रेम में है घृणा को पुनर्मिलन में परिणत करने की शक्ति, सन्त पापा फ्राँसिस


येरेवन, आरमेनिया, रविवार, 26 जून सन् 2016 (सेदोक): विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस, रविवार 26 जून को, एख्टमियादज़ीन के सन्त तिरिदेट उद्यान में आरमेनियाई ऑरथोडोक्स प्रेरितिक कलीसिया के शीर्ष प्राधिधर्माध्यक्ष कारेकिन द्वितीय के नेतृत्व में सम्पन्न दैवीय धर्मविधि समारोह में सहभाग लेकर तथा तुर्की के साथ आरमेनिया की बन्द सीमा की भेंट से, आरमेनिया में अपनी तीन दिवसीय प्रेरितिक यात्रा समाप्त कर रहे हैं। 24 से 26 जून तक जारी रही सन्त पापा फ्राँसिस की आरमेनियाई यात्रा इटली से बाहर उनकी 14 वीं विदेश यात्रा है।

रविवार, 26 जून का दिन सन्त पापा ने एख्टमियादज़ीन प्रेरितिक प्रासाद के एक कक्ष में  ख्रीस्तयाग अर्पण से शुरू किया। आरमेनिया में अपनी प्रेरितिक यात्रा के दौरान सन्त पापा इसी प्रासाद में पड़ाव कर रहे हैं। ख्रीस्तयाग के उपरान्त सन्त पापा ने आरमेनिया के 14 काथलिक धर्माध्यक्षों तथा उनके सहयोगी पुरोहितों से मुलाकात की और फिर दैवीय धर्मविधि समारोह में भाग लेने के लिये एख्टमियादज़ीन के सन्त तिरिदेट उद्यान के लिये प्रस्थान किया।

इससे पूर्व शनिवार 25 जून को आरमेनिया की राजधानी येरेवन के पियात्सा देल्ला रिपुब्लिका चौक में तथा इसके ओर-छोर सन्त पापा फ्राँसिस एवं आरमेनियाई ऑरथोडोक्स प्रेरितिक कलीसिया के शीर्ष प्राधिधर्माध्यक्ष कारेकिन द्वितीय के नेतृत्व में ख्रीस्तीय एकतावर्द्धक साक्षात्कार तथा शांति हेतु प्रार्थना का आयोजन किया गया था जिसमें आरमेनिया के राष्ट्रपति सर्जै सारगास्यान एवं आरमेनिया के वरिष्ठ अधिकारियों सहित लगभग 50,000 श्रद्धालु उपस्थित हुए।

इस समारोह के विषय में वाटिकन रेडियो से बातचीत में वाटिकन के प्रवक्ता फादर फेदरीको लोमबारदी ने कहा कि इस अवसर पर कहे सन्त पापा फ्राँसिस के शब्द आरमेनिया में अथवा विश्व के विभिन्न देशों में निवास करनेवाले सभी आरमेनियाई लोगों को सम्बोधित थे।

उन्होंने कहा, "इस अवसर पर सन्त पापा ने सभी आरमेनियाई लोगों से निवेदन किया है कि अपने कष्टकर अतीत के बावजूद वे अपनी पीड़ा और उत्पीड़न को ख्रीस्तीय परिप्रेक्ष्य से देखें तथा बदले की भावना पर विजयी होकर क्षमा, पुनर्मिलन एवं सम्वाद का रास्ता तैयार करें।" उन्होंने कहा कि इस अवसर पर सन्त पापा फ्राँसिस ने एक बार फिर इस तथ्य पर बल दिया है कि "ख्रीस्तीय सन्देश सदैव आशा के प्रति अभिमुख रहता तथा पुनर्मिलन के निर्माण में सक्षम बनता है।"   

येरेवन में शनिवार 25 जून को ख्रीस्तीय एकतावर्द्धक साक्षात्कार तथा शांति हेतु प्रार्थना के दौरान सभी उपस्थित लोगों ने अपनी अपनी भाषाओं में "हे पिता हमारे प्रार्थना का पाठ किया"। इस अवसर पर सन्त पापा ने आरमेनियाई लोगों से कहा कि बड़े से बड़ा दुःख "भविष्य के लिये शांति का बीज बन सकता है।"

उन्होंने कहा, "प्रेम से संचारित स्मृति नवीन एवं अप्रत्याशित पथ की खोज में सक्षम बनती है जहाँ घृणा के षड़यंत्र पुनर्मिलन की योजनाएँ बन जाती, जहाँ सबके बेहतर भविष्य की आशा जगृत होती है। उन्होंने, विशेष रूप से, आरमेनिया एवं तुर्की का आह्वान किया कि वे "शांति एवं पुनर्मिलन" का पथ अपनायें तथा मंगलयाचना की कि नागोरनो-काराबाख में शांति का बीज प्रस्फुटित हो।" समारोह के समापन पर सन्त पापा फ्राँसिस तथा प्राधिधर्माध्यक्ष कारेकिन द्वितीय ने मिलकर नोवा का नाव के सदृश बने एक गमले में लगे पौधे पर जलार्पण किया। पौधे की मिट्टी आरमेनियाई बच्चों द्वारा नवजीवन के प्रतीक रूप में इकट्ठी की गई थी।








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