2016-06-25 15:00:00

आर्मीनिया के सिविल अधिकारियों और राजनयिकों को संत पापा का संबोधन


येरेवान, बृहस्पतिवार, 25 जून 2016 (वीआर सेदोक): आर्मीनिया में अपनी प्रेरितिक यात्रा के दौरान 24 जून को संत पापा फ्राँसिस ने येरेवान स्थित राष्ट्रपति भवन में आर्मीनिया के राष्ट्रपति सैरज़ सरगस्यान, राजनायिकों एवं अन्य सरकारी अधिकारियों से मुलाकात की।

उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा, ″मुझे यहाँ आकर आर्मीनिया की प्रिय भूमि में पाँव रखते हुए बड़ी खुशी हो रही है। प्राचीन एवं समृद्ध परम्परा के लोगों से मुलाकात करना, एक ऐसी जनता जिसने अपने विश्वास का साहसिक साक्ष्य दिया है एवं जिसके लिए उन्होंने बहुत दुःख उठाया है और ऐसी परिस्थितियों के बावजूद उसने निरंतर पुनःजन्म लेने की शक्ति को प्रदर्शित किया है।″

प्रेरितिक यात्रा हेतु आर्मीनिया में निमंत्रण दिये जाने तथा पिछले वर्ष वाटिकन में उनसे मुलाकात करने के लिए संत पापा ने राष्ट्रपति सैरज़ सर्गस्यान को धन्यवाद दिया।

उन्होंने याद किया कि राष्ट्रपति द्वारा वाटिकन दौरा करने का वह अवसर, आर्मीनिया में महा बुराई ‘मेतज़ येग्घहेर्न’ की एक सौवीं सालगिरह पर आयोजित था। उन्होंने कहा, ″इस महा बुराई ने आपके लोगों को मारा तथा लोगों की एक बड़ी संख्या के लिए मृत्यु का कारण बन गया।″ यह अत्यन्त दुःखद है कि पिछली शताब्दी में जातिगत विचारधारा या धार्मिक उद्देश्यों ने उत्पीड़कों के मन को अंधा कर दिया था जिसके कारण उन्होंने पूरे देश के लोगों के विनाश की योजना बना डाली थी।

संत पापा ने आर्मीनिया के उन लोगों के प्रति श्रद्धां अर्पित की जो अपने इतिहास के सबसे दुखद पलों में भी सुसमाचार के प्रकाश से प्रज्वलित रहे। उन्होंने कहा, ″वे ख्रीस्त के क्रूस तथा पुनरुत्थान से बल पाकर पुनः उठे तथा सम्मान के साथ अपनी यात्रा में आगे बढ़े। यह उनके ख्रीस्तीय विश्वास की गहराई को दर्शाता है तथा सांत्वना एवं आशा के इसके असीम खजाने को।″

संत पापा ने लोगों के प्रति आशा व्यक्त करते हुए कहा कि उन दुखद अनुभूतियों द्वारा मानवता यह सीख पायेगी कि सम्मान एवं विवेक पूर्ण कार्यों द्वारा किस तरह उन दुखद घटनाओं को दोहराये जाने से बचा जा सकता है।

संत पापा ने कहा कि काथलिक कलीसिया उन लोगों का साथ देना चाहती है जिनके हृदय में सभ्यता का भविष्य एवं मानव व्यक्ति के अधिकारों के प्रति सम्मान की भावना है ताकि हमारी दुनिया में आध्यात्मिक मूल्यों की विजय हो एवं उसकी सुन्दरता एवं अर्थ को दूषित करने का प्रयास करने वाले लोगों को प्रकाश में लाया जा सके। इस प्रकार यह अत्यन्त महत्वपूर्ण है कि जो लोग ईश्वर पर विश्वास की घोषणा करते हैं वे एकजुट हों जिससे कि उन लोगों को अलग किया जा सके जो धर्म का प्रयोग युद्ध भड़काने, शोषण, हिंसक अत्याचार एवं दमन हेतु करते तथा ईश्वर के पवित्र नाम का प्रयोग अपनी सफाई में करते हैं।

संत पापा ने गौर किया कि आरम्भिक कलीसिया में हुए शहादत से कहीं अधिक, आज खासकर, ख्रीस्तीय विश्व के विभिन्न हिस्सों में, अपने विश्वास की अभिव्यक्ति के लिए भेदभाव तथा अत्याचार का सामना कर रहे हैं। विश्व के कई हिस्सों में संघर्ष का समाधान अब भी नहीं हो पाया है जिसके कारण दुःख, विनाश तथा मजबूरन विस्थापन का शिकार होना पड़ रहा है। इसके मद्देनजर यह आवश्यक है कि देश के भविष्य के प्रति जिम्मेदार लोग साहसिक कदम उठायें तथा बिना देर उन दुःखों का अन्त करने हेतु पहल करें। उनका पहला कार्य है शांति की स्थापना करना, सुरक्षा बहाल करना, अत्याचार के शिकार लोगों को स्वीकारना तथा न्याय एवं सतत विकास को प्रोत्साहन देना। संत पापा ने लोगों को विश्व के प्रति योगदान देने का प्रोत्साहन देते हुए कहा, ″मैं आपको प्रोत्साहन देता हूँ कि आप अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपना बहुमूल्य सहयोग देने से न चूक जाएँ।

संत पापा ने आर्मीनिया में काथलिक कलीसिया के योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस देश की काथलिक कलीसिया अपने सीमित संसाधनों के बावजूद समाज के विकास हेतु उदारता पूर्वक अपना सहयोग देती है, खासकर, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा एवं उदारतापूर्ण सहयोगों के माध्यम से ग़रीबों एवं कमजोर लोगों के बीच कार्य करने के द्वारा। संत पापा ने काथलिकों द्वारा संचालित विभिन्न संस्थाओं को उनके योगदान के लिए उन्हें बधाई दिया।

उन्होंने प्रार्थना की कि ईश्वर आर्मीनिया को आशीष दे तथा उसकी रक्षा करे।








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