2016-06-23 15:09:00

आर्मीनिया के लोगों को संत पापा का वीडियो संदेश


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 23 जून 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने आर्मीनिया में अपनी प्रेरितिक यात्रा के पूर्व वहाँ के लोगों को एक वीडियो संदेश प्रेषित कर कहा कि वे सुसमाचार के सेवक एवं शांति के अग्रदूत बनकर उनके बीच आना चाहते हैं ताकि शांति के हर प्रयास में उनकी मदद कर सकें।

इताली भाषा में प्रेषित अपने वीडियो संदेश में संत पापा ने इच्छा व्यक्त की कि वे मेल-मिलाप के रास्ते पर उनका साथ देना चाहते हैं जो आशा का निर्माण करता है।

उन्होंने संदेश में आर्मीनियाई लोगों के साथ मुलाकात की उत्सुकता जाहिर करते हुए कहा, ″कुछ ही दिनों में मुझे आर्मीनिया में आपके साथ होने का आनन्द प्राप्त होगा। अभी से ही, मैं आपको निमंत्रण देता हूँ कि आप इस प्रेरितिक यात्रा की सफलता हेतु प्रार्थना करें।″

उन्होंने कहा, ″ईश्वर की सहायता से मैं आपके पास उस चीज को पूरा करने आ रहा हूँ जैसा कि प्रतीक चिन्ह में लिखा है, ‘प्रथम ख्रीस्तीय समुदाय का दौरा।’ जयन्ती वर्ष में मैं एक तीर्थयात्री के रूप में आ रहा हूँ ताकि आपके विश्वास के स्रोत, पूर्वजों की प्राचीन प्रज्ञा एवं उनके पद्चिन्हों को प्राप्त कर सकूँ जो सदा के लिए आपके लोकप्रिय पत्थर के स्मारक में खुदी हुई है।

संत पापा ने आर्मीनिया जाने के उद्देश्य को प्रकट करते हुए कहा कि वे एक भाई के रूप में वहाँ आ रहे हैं, वे उनके चेहरे देखना चाहते हैं, उनके साथ प्रार्थना करना तथा मित्रता के उपहार को बांटना चाहते हैं।

संत पापा ने इतिहास की दुःखद बातों का स्मरण करते हुए कहा कि उनका इतिहास तथा प्रियजनों के साथ घटित बातें उनके मन में प्रशंसा और दु:ख उत्पन्न करते हैं। प्रशंसा इसलिए कि वे येसु के क्रूस एवं अपनी प्रज्ञा की नींव पर स्थापित हैं जहाँ से ऊपर उठकर एक नई शुरूआत कर सकते हैं, उस दुःख के बावजूद जो मानव स्मृति में सबसे दर्दनाक प्रतीत होता है।

संत पापा ने लोगों को सम्बोधित कर दुःख को अपने ऊपर हावी नहीं होने देने की सलाह देते हुए कहा कि उन दुःखद यादों को वे अपने हृदय में राज करने न दें, जब बुराई हमारे ऊपर हमला करे तब भी। हम अपने आप को न छोड़ दें हम नूह के समान दृढ़ बनें जिन्होंने बाढ़ में भी लगातार स्वर्ग की ओर निहारते रहे तथा कबूतर को बार-बार तब तक बाहर उड़ाया जब तक कि उसने जैतून की टहनी को उसके पास नहीं लाया। यह इस बात का संकेत था कि जीवन पुनः आरम्भ किया जा सकता है तथा भविष्य की आशा की जा सकती है।

विदित हो कि संत पापा फ्राँसिस 24 से 26 जून तक आर्मीनिया की प्रेरितिक यात्रा करेंगे। जहाँ युद्ध के समय लाखों ख्रीस्तीयों को मृत्यु के घाट उतारा गया था।








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