2016-06-22 14:52:00

प्रभु यदि आप चाहें तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं


वाटिकन सिटी, बुधवार 22 जून 2016, (सेदोक, वी.आर.) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर,  धर्मग्रन्थ पर आधारित ईश्वर की करुणा विषय पर अपनी धर्मशिक्षा माला को आगे बढ़ते हुए, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को इतालवी भाषा में कहा,

प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात,

“प्रभु यदि आप चाहें तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं।” (लूका.5.12) यह चाह कोढ़ी व्यक्ति की है जहाँ वे येसु से न केवल चंगाई वरन् पूर्ण शारीरिक और हृदय शुद्धिकरण की बात को दिखलाता है। वास्तव में कोढ़ बीमारी ईश्वर की ओर से एक श्राप समझी जाती थी। कोढ़ी को सामान्य लोगों से दूर रहना पड़ता था। वह मन्दिर और पवित्र स्थानों में प्रवेश नहीं कर सकता था। वह मनुष्यों और ईश्वर से अलग रहता था।

फिर भी वह कोढ़ ग्रस्त व्यक्ति येसु के मिलने हेतु समाज के नियमों का उल्लंघन करने से नहीं डरता है। जब उसकी मुलाकात येसु से होती तो वह उनके चरणों में गिर कर गिड़गिड़ाता है “यदि आप चाहें तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं।” यह उसके विश्वास को दिखलाता है। वह येसु पर विश्वास करता है कि वे निश्चित रुप से उसे चंगा कर सकते हैं पर यह उनकी इच्छा पर निर्भर है। यह उस व्यक्ति का विश्वास है जिसके कारण वह प्रतिबंधित नियमों को तोड़ते हुए येसु से मिलने की चाह रखता और मिलने पर घुटना टेकते हुए “प्रभु” कहता है। कोढ़ी की प्रार्थना हमें यह बतलाती है कि जब हम येसु से मिलने जाते हैं तो हमें लम्बी प्रार्थना करने की जरूरत नहीं है, केवल कुछ वाक्य जो हमारे पूर्ण विश्वास एवं उनकी सर्व शक्ति और अच्छाई को व्यक्त करती हो।

येसु उस व्यक्ति से बहुत अधिक प्रभावित होते हैं। संत मारकुस अपने सुसमाचार में इस बात पर बल देते हुए कहते हैं, “येसु को तरस हो आया, उन्होंने अपना हाथ बढ़कर यह कहते हुए उसका स्पर्श किया, मैं यही चाहता हूँ-शुद्ध हो जाओ।” (मार.1.14) येसु के कार्य जो वचनों के द्वारा पूरे होते हैं हमें करुणा का एहसास दिलाते हैं जो मूसा के नियमानुसार प्रतिबंधित थे।(लेवी13.45-46) येसु अपना हाथ बढ़ते और उसका स्पर्श करते हैं। हम कितनी बार एक गरीब व्यक्ति से मिलते जो हमारे पास आता है। हम भी उसे अपनी करुणा और उदारता दिखलाते लेकिन साधारणतः उसका स्पर्श नहीं करते हैं। हम दान स्वरूप पैसे देते लेकिन उसके हाथों को छूने से कतराते हैं। हम भूल जाते हैं कि वह येसु का शरीर है। येसु हमें गरीबों का स्पर्श करने से नहीं डरने की शिक्षा देते हैं क्योंकि वे उनमें हैं। उनका स्पर्श करना हमें हमारी पाखंडता से शुद्ध करता है।

कोढ़ी व्यक्ति को शुद्ध करने के बाद वे उससे कहते हैं कि वह इस बात की चर्चा किसी से न करे वरन् जाकर अपने को याजक को दिखलाये और अपने शुद्धीकरण के लिए मूसा द्वारा निर्धारित भेंट चढ़ाये, जिससे उसका स्वास्थ्यलाभ प्रमाणित हो जाये। (लूका. 5.14) येसु के द्वारा निर्धारित ये बातें तीन चीजों की ओर इंगित करती हैं। पहला कृपा जो हम में क्रियाशील है उसे सनसनी फैलाने की जरूरत नहीं है वास्तव में वह शांति में रहती और दिखावा नहीं करती। पवित्रता के मार्ग में यह शांत भाव से हमारे घावों की मरहम पट्टी करती और हमारे हृदय को ईश्वर के हृदय से संयुक्त करती है। दूसरा याजकों को दिखलाते हुए पापमोचन का बलिदान चढ़ाने के द्वारा कोढ़ी व्यक्ति विश्वासियों के सामाजिक जीवन में सम्मिलित किया जाता है। यह उसके पूर्ण स्वास्थ्यलाभ को दिखलाता है। और अंत में अपने को याजकों के सामने प्रस्तुत करते हुए कोढ़ी येसु और उनके मुक्तिदायी अधिकार का साक्ष्य देता है। येसु की करुणा में कोढ़ी की चंगाई उसके विश्वास को मजबूती प्रदान करती और वह प्रेरितिक कार्य में लग जाता है।

हम ईमानदारी पूर्वक अपने बारे में, अपनी तकलीफों के बारे में सोचें। हम कितनी बार अच्छे आचरण का दिखावा करते हैं। हम येसु के पास आ कर घुटने टेकते हुए प्रार्थना करें, “प्रभु, यदि आप चाहें तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं।”

इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सभी तीर्थ यात्रियों और विश्वासियों का अभिवादन करते हुए कहा,

मैं अँग्रेज़ी बोलने वाले तीर्थयात्रियों का जो इस आमदर्शन समारोह में उपस्थित हैं, विशेषकर इंग्लैण्ड, स्कॉटलैण्ड, स्वीडेन, माल्टा, स्वीडेन, चीन, इन्डोनेशिया, जापान, और संयुक्त राज्य अमरीका से आये आप सबों का अभिवादन करता हूँ। मैं विशेष रूप से उपस्थित विद्यार्थियों के विभिन्न समुदायों का अभिवादन करता हूँ। मेरी प्रार्थनामय शुभकामनाएँ आप के साथ हो जिससे करुणा की जयन्ती वर्ष आपके और आपके परिवार हेतु आध्यात्मिक नवीकरण का समय हो। येसु ख्रीस्त की खुशी और शांति आप सभों के साथ बनी रहे। इतना कहने के बाद संत पापा ने सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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