2016-06-15 16:31:00

प्रवासियों के अधिकार : संयुक्त राष्ट्र में परमधर्मपीठ के पर्यवेक्षक


वाटिकन सिटी, बुधवार,15 जून 2016 (वीआर सेदोक) : संयुक्त राष्ट्र में वाटिकन के प्रतिनिधि ने जेनेवा में मानवाधिकार परिषद में, प्रवासियों विशेष रूप से बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की रक्षा के अनुकूल नीतियों की आवश्यकता पर जोर दिया।

संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष इवान युरकोविच ने मंगलवार 14 जून को जेनेवा में मानवाधिकार परिषद के 32 वें सत्र में प्रवासियों के प्रति संत पापा की अपील के दुहराते हुए कहा कि प्रवासियों को "राष्ट्रीय स्थिरता के लिए खतरा" के रुप में नहीं देखना चाहिए। उन्हें उनके अधिकारों और आकांक्षाओं की चिंता किये बिना, बेईमान लोगों के हाथों उनके शोषण के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है।

उन्होंने प्रवासियों को स्वीकार करने वाले देशों को प्रवासियों के सकारात्मक योगदान पर मूल्यांकन के महत्व पर बल दिया। कई देशों में वयोवृद्धों की संख्या अधिक होने एवं नई पीढ़ी में कमी के  कारण आबादी में गिरावट क समस्या है।

 उन्होंने कहा कि देश की प्रगति और कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए आप्रवासियों को नए कौशल का ज्ञान और प्रशिक्षण दिया जा सकता है जिससे वे अपने मूल देश वापस भेजे जाने पर अपने परिवारों और देश के विकास में अपना योगदान दे सकते हैं।

महाधर्माध्यक्ष इवान युरकोविच ने कहा कि अक्सर आप्रावासियों को खतरनाक व अशोभनीय स्थिति में काम करना और रहना पड़ता है। उन्हें भेदभाव और नकारात्मक रूढ़िबद्धता का सामना करना पड़ता है। उनके लिए सामाजिक, शैक्षिक और स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की कोई व्यवस्था नहीं है।

उन्होंने कहा कि शिक्षा ही सबसे प्रभावी उपकरणों में से एक है जो लोगों में संदेह, उदासीनता और पूर्वाग्रहों को दूर कर सकती है और सभी लोगों को एक उत्तरदायी और समावेशी समाज के निर्माण में एक साथ काम करने के लिए सशक्त बनाती है।








All the contents on this site are copyrighted ©.