2016-06-14 11:41:00

प्रेरक मोतीः सन्त मेथोदियुस प्रथम (788/800 ई.- 847ई.) (14 जून)


वाटिकन सिटी, 14 जून सन् 2016:

सन्त मेथोदियुस का जन्म इटली स्थित सीराकूज़ के एक धन सम्पन्न परिवार में हुआ था। युवा मेथोदियुस को उच्च शिक्षा के लिये कॉन्सटेनटीनोपल भेज दिया गया था ताकि शिक्षा समाप्त कर वे राजदरबार में उच्च पद हासिल कर सकें किन्तु मेथोदियुस धर्मसमाजी जीवन के प्रति आकर्षित रहे तथा सीराकूज़ लौटने के बजाय उन्होंने बिथिनिया के मठ में प्रवेश कर लिया।

सन् 813 ई. में आरमेनिया के सम्राट लियो पंचम गद्दी पर बैठे जिन्होंने सम्पूर्ण कॉन्सटेनटीनोपल तथा आस पास के सभी क्षेत्रों से मूर्तियों को हटाये जाने का आदेश जारी कर दिया। सम्राट का मूर्तिभंजन अभियान लम्बे समय तक चलता रहा जिसके दौरान बहुत से धर्मपरायण लोगों को उत्पीड़ित किया गया। इसी दौरान कॉन्सटेनटीनोपल के ख्रीस्तीय प्राधिधर्माध्यक्ष निसोफोरुस को सम्राट ने देश से निष्कासित कर दिया। सन् 815 ई. में, मेथोदियुस को निष्कासित प्राधिधर्माध्यक्ष का प्रतिनिधि बनाकर रोम प्रेषित किया गया। सन् 821 ई. में मेथोदियुस रोम से लौटे। जब सम्राट को पता चला कि मेथोदियुस निष्कासित प्राधिधर्माध्यक्ष का साथ दे रहे थे तो उन्होंने उन्हें गिरफ्तार करवा लिया। मेथोदियुस को कोड़े लगाये गये तथा सात साल की क़ैद का दण्ड दे दिया गया।

सम्राट लियो पंचम की मृत्यु के बाद, सन् 829 ई. में मेथोदियुस रिहा कर दिये गये। जब महारानी थेओदोरा ने राज्य की बागडोर हाथ में ली तब उन्होंने एक बार फिर ख्रीस्तीय धर्म को संरक्षण दिया तथा मठवासी भिक्षुओं एवं उनके कार्यों को समर्थन दिया। उनके शासनकाल में मेथोदियुस को राजदरबार में महत्व दिया जाने लगा तथा कॉन्सटेनटीनोपल का प्राधिधर्माध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया। बहुत लम्बे समय तक मूर्तिभंजन अभियान के तहत उत्पीड़ित ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों को राहत मिली तथा पवित्र प्रतिमाओं का पुनर्प्रतिष्ठापन सम्भव हुआ।

मेथोदियुस प्रथम एक सिद्धहस्त लेखक थे जिनके द्वारा लिखा सन्त थेओपानेस का जीवन चरित्र विख्यात है। मेथोदियुस, सन् 843 ई. से 847 ई. तक, कॉन्सटेनटीनोपल के प्राधिधर्माध्यक्ष थे। 14 जून, सन् 847 ई. को प्राधिधर्माध्यक्ष मेथोदियुस प्रथम का निधन हो गया था। उनका पर्व 14 जून को मनाया जाता है।  

चिन्तनः कठिन घड़ियों में भी हम अपने विश्वास का परित्याग नहीं करें बल्कि सतत् प्रार्थना द्वारा सत्य के साक्षी बनें।








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