2016-06-13 16:36:00

विश्व खाद्य हेतु कार्यक्रम समिति के कार्यकर्ताओं को संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, सोमवार, 13 जून 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन में आयोजित विश्व हेतु खाद्य कार्यक्रम समिति के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।

उन्होंने कहा कि विश्व हेतु खाद्य कार्यक्रम ने आप सभों को एक बड़ी प्रेरिताई का कार्य सौंपा है। आप के प्रेरितिक कार्य की सफलता विभागीय विवरणों को पूरा करने में नहीं अपितु आपकी पहल, कल्पनाशक्ति और प्रतिदिन के कार्य को व्यावसायिक रूप से संपादित करने में है जैसे कि आप नये और प्रभावकारी ढ़ग से विश्व के असंख्य कुपोषितों और भूख से पीड़ितों की तकलीफों को जड़ से खत्म करने हेतु कार्य करते हैं। वे हमारी ओर सेवा हेतु आशा की नजरें टिकाये हुए हैं अतः यह आपके लिए आवश्यक है कि आप अपने कागजी कार्य तक ही सीमित न रहें बल्कि उन दस्तावेजों के पीछे सचमुच एक दुखित व्यक्ति की कहनी की ओर ध्यान दें। आप यह देखने की कोशिश करें कि हरएक दस्तावेज के पीछे मानव का एक चेहरा है जो आपकी सेवा के माँग करता है। गरीबों की कराह को सुनना आपको विभागीय कागजी कार्यों की खाना पूर्ति से ऊपर उठायेंगा। हमारे कार्य भुखमरी जैसी एक भंयकर घटना को जड़ से उखाड़ने हेतु पर्याप्त नहीं है।  

भूख विश्व शांति के मार्ग में एक सबसे बड़ी बाधा है। इस बाधा को हम अध्ययन के माध्यम से दूर नहीं कर सकते हैं। हमें इसके तत्काल समाधान हेतु निर्णायक कदम उठाने की आवश्यकता है। हममें से प्रत्येक जन को अपने तरीके इस मानवीय भूख निवारण हेतु एक निर्णायक प्रयास करने की जरुरत है जो कितने ही भाई-बहनों की जीवन अवधि को कम कर देता है।

मानव का सामाजिक, औद्योगिक और आर्थिक विकास इस बात पर निर्भर करता है कि प्रत्येक परिवार, समुदाय और हर व्यक्ति के मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति हो। इसका अर्थ यही है कि आपके कार्य किसी अमूर्त विचार की सेवा और उसकी सुरक्षा हेतु नहीं वरन् मानव जीवन की रक्षा हेतु होनी है। अत्यन्त गरीब और पिछड़े क्षेत्रों में आपात कालीन अवसरों में खाद्य सामग्री की पूर्ति के अलावा आर्थिक, औद्योगिक संभावनाओं और नौकरी मुहैया करने की भी जरूरत है जिससे स्थानीय लोग आकस्मिक आपदाओं के समय में आत्मा निर्भर हो सकें।

संत पापा ने कहा कि मैं यहाँ भौतिक वस्तुओं के बारे में नहीं कह रहा हूँ। हमें आज नौतिक समर्पण की जरूरत है जिसके द्वारा हम एक दूसरे के प्रति अपने उत्तरदायित्व और समूचे कार्यक्रम के प्रति समर्पित रह सकें। आप इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने और अपने समर्पण से इसकी रक्षा करने हेतु बुलाये गये हैं जो देखने में मात्र एक तकनीकी स्वरूप लगता है।

इतने सारी कठिनाइयों और विपत्तियों के आगे ऐसा प्रतीत होता है कि मानवता को हमेशा नयी अप्रत्याशित चुनौतियों का समाना करना पड़ेगा। आपको अपने कार्य में इसका अनुभव हुआ होगा लेकिन यह आप को विचलित न करें। आप एक दूसरे को सहायता और प्रोत्साहित करें जिससे आप परीक्षा की घड़ियों और हताशी भरी उदासी की चुनौतियों पर विजय प्राप्त कर सकें। इससे भी बढ़कर आप यह विश्वास करें कि आपकी रोजदिनी सेवा दुनिया को करुणा, एकता, आपसी सहायता और कृतज्ञता की एक नई चेतना प्रदान करती है। जितनी अधिक आपकी उदारता, द्दढ़ता और विश्वास होगा उतना अधिक आपको बहुपक्षीय सहयोग मिलता रहेगा जिसके द्वारा आप मुसीबतों का सही हल निकाल सकें। लेकिन ठीक इसके विपरीत यदि हम अपने स्वार्थ तक ही सीमित रहते तो यह मानव समाज के अतिसंवेदनशील लोगों को अत्यधिक हानि पहुँचा है। 








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