2016-06-08 16:18:00

काना का विवाह भोज


वाटिकन सिटी, बुधवार 06  जून 2016, (सेदोक, वी.आर.) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर,  धर्मग्रन्थ पर आधारित ईश्वर की करुणा विषय पर अपनी धर्मशिक्षा माला को आगे बढ़ते हुए, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को इतालवी भाषा में कहा,

प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात,

करुणा के कुछ दृष्टान्तों का जिक्र करने के बाद, आज हम येसु के प्रथम चमत्कार पर चिंतन करेंगे। संत योहन इसे एक चिन्ह की संज्ञा देते हैं क्योंकि येसु ने इसे लोगों में आश्चर्य उत्पन्न करने हेतु नहीं किया लेकिन इसके द्वारा उन्होंने पिता के प्रेम को प्रकट किया। यह एक प्रकार का “प्रवेश द्वार” है जहाँ येसु ख्रीस्त के जीवन का रहस्योद्घाटन होता और शिष्य विश्वास में अपने जीवन को खोलते हैं।

परिचय के रुप में पद दो हमें येसु और उनके शिष्यों के बारे में बतलाता है। येसु अपने साथ रहने हेतु उन्हें बुलाते हैं जो एक समुदाय का निर्माण करते हैं। इस तरह वे एक परिवार के रुप में विवाह भोज में सम्मिलित होते हैं। काना के विवाह भोज में येसु अपने प्रेरितिक कामों की शुरुआत करते हैं जहाँ वे अपने को एक दुल्हे के रुप में प्रकट करते हुए हम सभों के साथ एक घनिष्ठ संबंध की स्थापना करते हैं जो की प्रेम का संबंध है। हमारे विश्वास का आधार क्या है? करुणा के कार्य जिसके द्वारा येसु हमारे साथ जुड़ते हैं। हमारा ख्रीस्तीय जीवन इसी प्रेम का प्रत्युत्तर है यह दो प्रेमियों की एक प्रेम कहानी के समान है। ईश्वर और मानव का मिलन जिससे वे अपने प्रेम का आदान प्रदान कर सकें जैसा कि सुलेमान के ग्रंथ में प्रेमी और प्रेमिका के प्रेम गीत का मधुर वर्णन है। कलीसिया येसु का परिवार हैं जहाँ वे अपने प्रेम को उड़ेलते हैं इस प्रेम को कलीसिया अपने में संग्रहित करती और हर एक के साथ साझा करना चाहती है।

प्रेम के इस बंधन में माता मरियम की पैनी नजर है जो कहती हैं “उनके पास अंगुरी नहीं है।” हम विवाह और मिलन समारोह को अंगूरी के बिना कैसे मना सकते हैं जिसकी चर्चा नबी मुक्ति विधान के भोज का विशिष्ट अंग के रूप में करते हैं। (ओम.9. 13-14, गाल. 2.24 इसा. 25.6) पानी हमारे जीवन के लिए आवश्यक है लेकिन अंगूरी बहुतायत में हमारी खुशी और समारोह को घोषित करती है। येसु शुद्धिकरण हेतु रखे गये मटकों में भरे गये पानी को अंगूरी में बदल देते हैं। (यो.6) इसके साथ ही येसु मूसा के नियम को खुशी में परिणत कर देते हैं। जैसे संत योहन स्वयं करते हैं,“संहिता मूसा के द्वारा दिये गये थे, कृपा और सत्य येसु ख्रीस्त के द्वारा आते हैं (यो. 1.17)

माता मरियम के द्वारा सेवकों को कहे गये विवाह भोज के शब्द, “वह तुम्हें जो भी कहे” काना के विवाह समारोह में मुकुट के समान बन जाता है। ये कथन हमें सिनाई पर्वत के विधान की याद दिलाती है जिसके अनुरूप इसराएली याहवे पर अपने विश्वास को व्यक्त करते है, “याहवे ने हमें जो कुछ कहा है हम उसी के अनुरूप करेंगे।” (नि.19.8) काना के सेवकों ने येसु की आज्ञा का पालन किया। येसु ने उनसे कहा, “मटकों में पानी भर दो” और उन्होंने उन्हें पानी से लबालब भर दिया। फिर येसु ने उनसे कहा, “अब निकाल कर भोज के प्रबंधक के पास ले जाओ।” उन्होंने वैसा ही किया। (7.8) विवाह के इस भोज में एक नये विधान की स्थापना हुई और ईश्वर के सेवक अर्थात् सारी कलीसिया को एक नया प्रेरितिक कार्य दिया गया, “वह तुम्हें जो भी कहे”, यह ईश्वर की सेवा करना उसके वचनों को सुनना और उसका पालन करना है। हम सभी ईश्वरीय वचन के अनुरूप अपने जीवन में कार्य करने हेतु बलाये जाते हैं जहाँ ईश्वर के वचन हमारे जीवन में प्रभावकारी होते। हम प्रबंधक की भाँति नई अंगूरी को चख कर जो पानी से दाखरस बन चुका था, विस्मय में कहते हैं, “आपने बढ़िया अंगूरी अब तक छोड़ रखी है।”(10) हाँ येसु हमारी मुक्ति हेतु उत्तम अंगूरी बचा कर रखते हैं जो येसु के छिदे हृदय से निरन्तर हमारे लिए बहता रहता है।

संत पापा ने कहा कि कहानी का अंतिम भाग एक निर्णय की तरह लगता हैं। “येसु ने अपना यह चमात्कार गलीलिया के काना में दिखालाया। उन्होंने अपनी महिमा प्रकट की और उनके शिष्यों ने उन में विश्वास किया।” (11) काना के विवाह भोज का दृष्टान्त येसु के प्रथम चमत्कारों की साधारण चर्चा से बढ़कर है। वे अपनी मानव पहचान और दुनिया में आने के उद्देश्य को गुप्त रखते हैं, दुल्हा एक अपेक्षित शुरुआत प्रदान करते जो पास्का रहस्य में परिपूर्णता तक पहुँचता है। विवाह भोज में येसु अपने को शिष्यों के साथ एक नये निश्चित विधान से संयुक्त करते हैं। काना में शिष्य येसु के परिवार का अंग बनते और विश्वास में कलीसिया की स्थापना करते हैं। विवाह भोज में हम सब को निमंत्रण दिया जाता है जिससे कि हम नयी अंगूरी से वंचित न रहें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सभी तीर्थ यात्रियों और विश्वासियों का अभिवादन करते हुए कहा,

मैं अँग्रेज़ी बोलने वाले तीर्थयात्रियों का जो इस आमदर्शन समारोह में भाग लेने आये हैं, विशेषकर इंग्लैण्ड, स्कॉटलैण्ड, फ्राँस, नीदलैण्ड, चीन, भारत, इन्डोनेशिया, मलेशिया, सिंगपुर और संयुक्त राज्य अमरीका से आये आप सबों का अभिवादन करता हूँ। मेरी प्रार्थना भरी शुभकामनाएँ आप के साथ हो जिससे करुणा की जयन्ती वर्ष आपके और आप के परिवारों हेतु आध्यात्मिक नवीकरण का समय हो। येसु ख्रीस्त की खुशी और शांति आप सभों के साथ बनी रहे। इतना कहने के बाद संत पापा ने सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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