2016-06-04 16:40:00

सत्ता नहीं सेवा महत्वपूर्ण है, उपयाजकों से संत पापा


वाटिकन सिटी, शनिवार, 4 जून 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 4 जून को वाटिकन स्थित प्रेरितिक प्रासाद में उपयाजकों के अंतरराष्ट्रीय केंद्र के 30 प्रतिनिधियों से मुलाकात की।

केंद्र की स्वर्ण जयन्ती के उपलक्ष्य में रोम आये उपयाजकों को सम्बोधित कर संत पापा ने कहा, ″येसु ने प्रेरितों को एक नयी आज्ञा दी थी कि तुम एक-दूसरे को प्यार करो जैसा कि मैंने तुम्हें प्यार किया है।″ (यो.13:34)

संत पापा ने कहा कि प्रेम करने की यह आज्ञा येसु की अन्तिम इच्छा थी जिसको उन्होंने उपरी कमरे में शिष्यों के पैर धोने के बाद उन्हें दिया था। ईश्वर की जिस योजना को पूरा करने के लिए येसु इस दुनिया में आये उस मिशन को प्रेरितों ने आगे बढ़ाया। पवित्र आत्मा के माध्यम से उन्होंने भाई- बहनों की सेवा द्वारा प्रेम करने की नयी आज्ञा को पूरा किया। उन्होंने लोगों की देखभाल करने एवं उनकी आवश्यकताओं का ख्याल रखने के लिए उपयाजकों का चुनाव किया। संत पापा ने कहा कि उपयाजक अन्यों की सेवा में ईश्वर का अनुसरण करते हुए येसु की आज्ञा को विशेषरूप से पूरा करते हैं। उस ईश्वर का अनुसरण जो स्वयं प्रेम हैं तथा हमारी सेवा करते हैं।

ईश्वर धैर्य, दयालुता एवं सहानुभूति के साथ कार्य करते तथा हमारी मदद हेतु सदा तैयार रहते हैं। प्रेरितों के उतराधिकारी, धर्माध्यक्ष, पुरोहित तथा उनके सहकर्मी हैं तथा उपयाजक ठोस रूप से सेवा कार्यों को पूरा करते हैं। उपयाजक कलीसियाई समुदाय में लोगों के साथ जीते और चलते हैं उनके लिए सत्ता नहीं किन्तु सेवा महत्वपूर्ण है।  

संत पापा ने सभी उपयाजकों को शुभकामनाएं दी कि जयन्ती वर्ष में रोम की तीर्थयात्रा द्वारा वे ईश्वर की करुणा का विशेष अनुभव करें तथा ख्रीस्त के प्रति अपनी बुलाहट में दृढ़ता प्राप्त करें। संत पापा ने उनके लिए प्रार्थना की कि ईश्वर उनके सेवा कार्यों को सहयोग दे ताकि वे उनके प्रेम पर अधिक विश्वास करते हुए आनन्द एवं समर्पण में बढ़ सकें।








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