2016-06-03 12:13:00

प्रेरक मोतीः सन्त चार्ल्स मवाँगा और उनके साथी (19वीं शताब्दी के शहीद)


वाटिकन सिटी, 03 जून सन् 2016:

यूगाण्डा का राजा मवाँगा एक हिंसक शासक था तथा बच्चों के विरुद्ध दुराचार किया करता था और इसीलिये उन ख्रीस्तीयों को उत्पीड़ित किया करता था जो बच्चों और युवाओं को शोषण से बचाने का प्रयास करते थे। 25 वर्षीय जोसफ मुकासा नामक एक ख्रीस्तीय धर्मानुयायी राजा के दरबार में नौकरी करता था तथा राजा मवाँगा के बहुत करीब था। 

जब राजा मवाँगा ने एक प्रॉटेस्टेन्ट मिशनरी और उसके साथियों की हत्या करवा दी थी तब जोसफ मुकासा ने राजा का सामना कर उसके कृत्य की कड़ी निन्दा की थी। राजा मवाँगा जोसफ के बहुत करीब था किन्तु इसके बावजूद वह अपनी बुरी आदतें छोड़ने तथा जीवन शैली को बदलने के लिये तैयार नहीं था और इसीलिये उसने जोसफ से मित्रता तोड़ दी। जोसफ पर तलवार से वार कर उसने उसे मरवा डाला। जब हत्यारे जोसफ के पास आये और उसके हाथ बाँधने लगे तब जोसफ ने कहा, "ईश्वर के प्रति समर्पित ख्रीस्तीय धर्मानुयायी मौत से नहीं डरते।" जोसफ ने मवाँगा को क्षमा कर दिया किन्तु उससे अपने पाप स्वीकार करने का अन्तिम निवेदन किया।

दुष्ट राजा मवाँगा का दिल नहीं पसीजा और उसने उन सब लोगों का पता लगवाया जो राजा के विरुद्ध आवाज़ उठाते थे। इन्हीं में विख्यात थे ख्रीस्तीय धर्मानुयायी चार्ल्स लवाँगा और उनके साथी। इन लोगों को भी राजा के शोषण एवं दुराचारों के विरुद्ध आवाज़ उठाने तथा ख्रीस्तीय धर्म के प्रचार के लिये मार डाला गया था। काथलिक कलीसिया यूगाण्डा के इन्हीं शहीदों की स्मृति तीन जून को मनाती है।    

चिन्तनः "प्रबल वासना प्रज्वलित आग जैसी है. वह भस्म हो जाने से पहले नहीं बुझती। जो मनुष्य अपना शरीर व्यभिचार को अर्पित करता है, वह तब तक नहीं सम्भलेगा जब आग उसे जला न दे।    व्यभिचारी को हर प्रकार का चारा मीठा लगता है, वह तब तक उसे नहीं छोड़ता जब तक वह नहीं मरता है। ...सर्वोच्च प्रभु सब कुछ उनकी सृष्टि से पहले जानता है... व्यभिचारी को नगर के चौकों पर दण्ड दिया जायेगा और वह उस समय पकड़ा जायेगा, जब उसे उसकी कोई आशंका नहीं। वह सबके सामने कलंकित होगा क्योंकि उसे प्रभु पर श्रद्धा नहीं थी" (प्रवक्ता ग्रन्थ अध्याय 22)। 








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