2016-05-27 16:49:00

डॉन ओरिओने धर्मसमाजियों को संत पापा का संबोधन


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 27 मई 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने डान ओरियोने धर्मसमाज के आम सम्मेलन में धर्मसमाज के नये परमाधिकारी और धर्मबन्धों से मुलाकात की और उन्हें अपना संदेश दिया।

उन्होंने कहा कि हम सभी येसु के अनुयायी हैं। सारी दुनिया को येसु अपने साथ चलने हेतु निमंत्रण देते हैं जिससे हम मानवता की जरूरतों, शरीर हेतु रोटी और आध्यात्मिकता हेतु विश्वास को पूरा कर सकें जैसे कि डान ओरियोने ने अपने पत्र में लिखा है। अपने स्थापक की बातों को आत्मसात करने और उसे अपने जीवन में जीने हेतु आपने अपने धर्मसमाज के अधिवेशन में धर्म समाज के सार “ईश्वर और गरीबों की सेवा” पर मनन चिंतन किया है। आप का बुलावा और अभिषेक ईश्वर के द्वारा हुआ है जिससे आप येसु के साथ रह सकें और उनकी सेवा गरीबों में कर सकें। गरीबों की सेवा के द्वारा आप ईश्वर का स्पर्श करते और उनके साथ एक संबंध स्थापित करते हैं। आप का विश्वास एक सोच मात्र नहीं और करुणा के कार्य केवल परोपकारी कार्य नहीं रह जाते हैं।
येसु के सेवक के रुप में आपके प्रेरितिक कार्य फलप्रद होते हैं। डान ओरियोने आप से अनुरोध करते हुए कहते हैं, “आप लोगों के घावों को चंगा करने, उनकी बीमारी दूर करने की कोशिश कीजिए, उनकी नैतिक और भौतिक ज़रूरतों की पूर्ति कीजिए इस तरह आप के कार्य प्रभावशाली मात्र नहीं वरन् ख्रीस्तीय और बचाने वाले के समान होगें।” मैं आप को ये कार्य करने हेतु प्रोत्साहित करता हूँ क्योंकि ये सच्चे हैं। इन्हें करते हुए आप न केवल एक भले समारी के सामान येसु का अनुसरण करते वरन् लोगों के जीवन में येसु से मिलने की खुशी लाते जो हमें मुक्ति देने आते हैं। “वे जो अपने को येसु के द्वारा बचाने की अनुमति देते वे पापों से, दुःखों, आंतरिक खालीपन और अकेलापन से बचाये जाते हैं। येसु हमेशा जन्म लेते और खुशियाँ जन्मती हैं।” (एभानजेलुम गौदियुम 1)

हमारे समय में सुसमाचार की घोषणा येसु के प्रेम की अति माँग करता है। संत बेर्नाड की याद कीजिए प्रेम सदैव मार्ग में हैं। आप के स्थापक के संग मैं आप से यह निवेदन करता हूँ कि आप अपने दायरे में बंद न रहें लेकिन इससे बाहर निकलें। आज पुरोहितों और धर्मसमाजियों को अपने संस्थानों से बाहर निकले की जरूरत है जिससे वे ख्रीस्त के प्रेम की सुगंध को लोगों तक पहुँचा सकें। आप कलीसिया और अपने धर्म समाज समुदाय के निर्देशों से दिशाहीन न हों वे आपके हदय में रहे लेकिन आप अपने से बाहर निकल कर बिना भेदभाव के ईश्वर की करुणा का वाहक बनें।
आपकी सेवा कलीसिया हेतु अति प्रभावशाली है। अपने सुन्दर समर्पण का साक्ष्य देते हुए आप युवाओं के लिए एक मिसाल बनेंगे। जीवन के द्वारा जीवन उत्पन्न होता है पवित्र और धर्मी धर्म समाजी नयी बुलाहट हेतु एक प्रेरणा का स्रोत बनता है।

 








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