2016-05-25 16:55:00

भारतीय कलीसिया द्वारा दलित ख्रीस्तीयों को आरक्षण


नई दिल्ली, बुधवार, 25 मई 2016 (ऊकान) : नई दिल्ली में 23 मई को बी.आर. अम्बेडकर के जन्म की 125 वीं वर्षगांठ समारोह के दौरान भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल बसेलिओस क्लीमिस ने 72 दलित ईसाइयों को पुरस्कार प्रदान किया। पुरस्कार विजेताओं को एक स्मृति चिन्ह और एक प्रमाण पत्र दलित समुदायों को सशक्त बनाने के कार्यों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दिया गया।

समारोह के दौरान कार्डिनल बसेलेओस क्लीमिस ने कहा, " कलीसिया द्वारा दलितों के आर्थिक, सामाजिक और आध्यात्मिक विकास के लिए किया गया कार्य पर्याप्त नहीं है। हमें एक लम्बा रास्ता तय करना है। भारतीय कलीसिया में दलित ख्रीस्तीयों पर हो रहे भेदभावपूर्ण व्यवहार के उन्मूलन के लिए नीतियाँ बनाई जाएँगी।"

सम्मानित लोगों में से तमिलनाडु की एक 30 वर्षीय जुलीयेस थी, जिन्होंने दलित बच्चों के लिए एक केंद्र खोला जहाँ अंग्रेजी, गणित और कौशल आधारित प्रशिक्षण विषयों की शिक्षा दी जाती है। दलित समुदाय से आने वाली जुलियेस ने कहा, "मैं पुरस्कार पाकर सम्मानित महसूस कर रही हूँ बचपन से मुझे भेदभाव का सामना करना पड़ा है।"

कार्डिनल बसेलेओस क्लीमिस ने कलीसिया के भीतर भेदभावपूर्ण व्यवहार के उन्मूलन हेतु नीतियाँ बनाने एवं कलीसिया द्वारा संचालित शिक्षण संस्थानों में दलित ईसाई छात्रों के लिए सीटें आरक्षित करने का वादा किया।

दलित अधिकारों के लिए काम करने वाले फादर ए.एक्स.जे बॉस्को ने ऊका समाचार से कहा कि देश में दलित ईसाइयों के प्रतिशत ऊँची के बावजूद भारत में 171 धर्माध्यक्षों में केवल 10 दलित धर्माध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा कि भारत में जाति व्यवस्था इतनी गहराई से निहित है कि ख्रीस्तीयों के बीच भी इसका व्यापक प्रभाव है।








All the contents on this site are copyrighted ©.