2016-05-24 15:38:00

ईश्वर की उपस्थिति में चलने का मतलब पवित्रता की ओर बढ़ना, संत पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 2 मई 2016 (सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मार्था के प्रार्थनालय में अपने प्रातःकालीन मिस्सा के दौरान प्रवचन में कहा कि ईश्वर की उपस्थिति में चलने का मतलब पवित्रता की ओर बढ़ना है।

संत पापा ने कहा कि पवित्रता खरीदी नहीं जा सकती और न मानवीय बल पर इसका अर्जन किया जा सकता है। यह हर ख्रीस्तीय के दैनिक जीवन की साधारण गतिविधि है। इसे हासिल करने के लिए साहस, आशा, अनुग्रह और मनपरिवर्तन के मार्ग पर चलने की जरुरत है।

संत पापा ने संत पेत्रुस के प्रथम पत्र से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ पवित्रता के बारे में कहा गया है।

उन्होंने कहा कि पवित्रता को कोई खरीद नहीं सकता है और न ही बेच सकता है। यह एक ऐसा मार्ग है जिसे दूसरे मेरे लिए प्रदान नहीं कर सकते हैं किन्तु ईश्वर की उपस्थिति में, मुझे खुद इसे तय करना है। पवित्रता के मार्ग में चलने के लिए साहस की जरुरत होती है। येसु के राज्य उन लोगों का है जो साहस और आशा के साथ आगे बढ़ते हैं। हम येसु से मिलने की आशा रखते हैं।

पवित्रता का तीसरा तत्व है अनुग्रह। संत पेत्रुस लिखते हैं " ईश्वर के अनुग्रह पर अपनी आशा रखो।" ईश्वर के अनुग्रह के बिना हम पवित्रता को हासिल नहीं कर सकते हैं।

एक सच्चा और पवित्र ख्रीस्तीय जीवन जीने के लिए हर दिन हमें ईश्वर से कृपा मांगनी चाहिए।

संत पापा ने कहा पवित्रता के मार्ग पर चलने का 4था तत्व है मनपरिवर्तन।

मनपरिवर्तन के लिए प्रायश्चित के बड़े कामों को करने की जरुरत नहीं है, परंतु हर दिन प्रायश्चित के छोटे कामों जैसे सहकर्मी या पड़ोसी की आलोचना न करके पवित्रता को हासिल कर सकते हैं। संत पापा ने पवित्रता के मार्ग पर सभी विश्वासियों को साहसपूर्वक आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।








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