2016-05-21 16:53:00

समर्पित जीवन के नये धर्मप्रांतीय धर्मसंघ की स्थापना पर संत पापा का स्पष्टीकरण


वाटिकन सिटी शनिवार, 21 मई 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने समर्पित जीवन के नये धर्मप्रांतीय धर्मसंघ की स्थापना पर, काथलिक कलीसिया के नियम (कैनन लो) में उठने वाले सवाल का एक बाध्यकारी स्पष्टीकरण जारी किया।

संत पापा ने अध्यादेश जारी कर यह निश्चित कर दिया है कि स्थानीय धर्माध्यक्ष से मशविरा करने के बाद, समर्पित जीवन हेतु नये धर्मसंघ की स्थापना करने की इच्छा रखने वाला, धर्मसंघ की स्थापना के पूर्व संत पापा का परामर्श ले। 

कलीसियाई विधानों के लिए बने परमधर्मपीठीय समिति के सचिव धर्माध्यक्ष जॉन इग्नासियो अरियेत्ता ने वाटिकन रेडियो से कहा कि अध्यादेश के अनुसार स्थानीय धर्माध्यक्ष से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है किन्तु नये धर्मसंघ की स्थापना हेतु स्थापना के पूर्व परमधर्मपीठ से परामर्श लेना जरूरी है। 

उन्होंने कहा कि धर्माध्यक्ष अपने धर्मप्रांत के लिए हमेशा उत्तरदायी हैं अतः उन्हें धर्मसंघ के उत्तर एवं उनकी राय का मूल्यांकन करना चाहिए। धर्मसंघ के विचारों को सुनने के बाद वे आगे की कार्रवाई करने हेतु स्वतंत्र हैं किन्तु उन्हें राय पर संतुलन बनाना चाहिए जो कि बहुत महत्वपूर्ण है यहाँ तक कि धर्मप्रांतीय प्रशासन में भी।

संत पापा का अध्यादेश तब आया जब समर्पित जीवन हेतु धर्मसंघ की स्थापना का एक निवेदन किया गया था। संत पापा ने अध्यादेश वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्र परोलिन द्वारा प्रकाशित किया। 

काथलिक कलीसिया के कानून न. 579 पर वाटिकन राज्य सचिव ने 4 अप्रैल 2016 को हस्ताक्षर किया। इसमें संत पापा का अध्यादेश है कि परमधर्मपीठ की पूर्व परामर्श को समर्पित जीवन के नये धर्मप्रांतीय धर्मसंघ की स्थापना हेतु वैधता के लिए आवश्यक माना जाए।

अध्यादेश का प्रकाशन 1 जून 2016 को किया जाएगा। 








All the contents on this site are copyrighted ©.