2016-05-17 10:55:00

फ़ैसलाबाद के ख्रीस्तीयों ने की धर्माध्यक्ष जॉन जोसफ के बलिदान की याद


फ़ैसलाबाद, मंगलवार, 17 मई 2016 (एशियान्यूज़): पाकिस्तान में लागू ईश निन्दा कानून के विरुद्ध संघर्ष करनेवाले फ़ैसलाबाद के काथलिक धर्माध्यक्ष जॉन जोसफ़ के निधन की 18 वीं बरसी पर उनके बलिदान को याद किया गया।

धर्माध्यक्ष जॉन जोसफ को समर्पित युहन्नाबाद के प्राथमिक स्कूल में, 06 मई को, लाहौर महाधर्मप्रान्त के प्रतिधर्माध्यक्ष फादर फ्रांसिस गुलज़ार ने ख्रीस्तयाग अर्पित किया जिसमें हज़ारों श्रद्धालु उपस्थित हुए।

पाकिस्तान में ईश निन्दा कानून तथा मानवाधिकारों के उल्लंघन के विरोध में 18 वर्ष पूर्व साहिवाल की अदालत के प्रवेश द्वार पर धर्माध्यक्ष जॉन जोसफ ने आत्महत्या कर ली थी। उस समय लाहौर महाधर्मप्रान्त ने कहा था कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों के अतिक्रमण के कारण धर्माध्यक्ष जोसफ तनावग्रस्त थे तथा अवसाद से पीड़ित थे। पाकिस्तान में उन्हें "लोगों के धर्माध्यक्ष" एवं "हाशिये पर जीवन यापन करनेवालों की आवाज़" आदि नामों से पुकारा जाता है।

ख्रीस्तयाग समारोह के अवसर पर धर्माध्यक्ष की पोती सबिना रिफ्फत ने कहा, "उनके बलिदान ने राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ईश निन्दा कानून के दुरुपयोग पर वाद-विवाद को जन्म दिया था। वे उन लोगों की आवाज़ बने जिनपर इस कानून के तहत झूठा आरोप लगाया गया है। अपने जीवन के अन्तिम वर्ष उन्होंने लोगों की भेंट हेतु पाकिस्तान की जेलों में व्यतीत किये।"

पाकिस्तान के संविधान में ईश निन्दा कानून सन् 1986 में जेनरल ज़िया उल-हक द्वारा लागू किया गया था। इस कानून के तहत हज़रत मुहम्मद एवं कुरान पाक का अपमान करने के आरोपी के लिये सज़ा-ए-मौत का प्रावधान है। मानवाधिकार कार्यकर्त्ताओं का कहना है कि व्यक्तिगत रंजिश के कारण इस कानून का दुरुपयोग किया जाता है तथा प्रायः अल्पसंख्यकों पर झूठा आरोप लगाकर उन्हें दण्डित किया जाता है। आज तक लगभग 1,400 लोगों पर ईश निन्दा का आरोप लगाया जा चुका है। मुकद्दमें से पहले ही कारावासों में आरोपियों की हत्या कर दी जाती है या फिर वे पुलिस की प्रताड़ना के कारण अपनी जान गँवा देते हैं।








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