2016-05-17 11:07:00

पुरोहित सांसारिक वस्तुओं का महत्वाकाँक्षी नहीं, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 17 मई 2016 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि पुरोहित ईश्वर सेवक है, उसे निर्धनों के संग निर्धन बनना चाहिये तथा सांसारिक वस्तुओं का महत्वाकाँक्षी नहीं होना चाहिये।   

सोमवार को वाटिकन में इताली धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की 69 वीं आम सभा का उदघाटन करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने काथलिक पुरोहितों के दायित्वों को परिभाषित किया। इस आम सभा का विषय हैः "अनवरत जारी प्रशिक्षण द्वारा पुरोहितों का नवीनीकरण"।  

सन्त पापा ने कहा, "काथलिक पुरोहित के जीवन की विशिष्टता है, ईश्वर, कलीसिया एवं ईश राज्य के प्रति निष्ठा, यह वह अनमोल कोष है जिसे सुरक्षित रखा जाना तथा समर्थन दिया जाना अनिवार्य है और यह धर्माध्यक्षों का दायित्व है जिसे धैर्य, सूझ-बूझ एवं अपना समय देकर वे साकार करें।"

सन्त पापा ने कहा कि पल्ली पुरोहितों को इस तथ्य पर मनन-चिन्तन करना चाहिये कि उनकी प्रेरिताई और उनके जीवन को कौन महत्व प्रदान करता है, उनका जीवन किसके लिये है और किसकी सेवा में अर्पित है तथा उनके समर्पण का क्या लक्ष्य है?

उन्होंने कहा, "वर्तमान विश्व में जहाँ लोग केवल अपने बारे में सोचते हैं तथा उसी को पाने के लिये कुछ भी करने को तैयार रहते हैं पुरोहितों को अन्यों की ज़रूरतों के प्रति सतर्क होना चाहिये क्योंकि असंख्य लोग ऐसे हैं जो किसी सन्दर्भ बिन्दु के अभाव में तथा बन्धनों के टूटने के घाव से पीड़ित हैं। ऐसे विश्व में जहाँ सब कुछ का मापदण्ड ढूँढ़ लिया गया है तथा जहाँ भाई और पड़ोसी के लिये कोई जगह खाली नहीं रह गई है वहीं हमारे पुरोहितों की प्रेरिताई प्रकाशित होती तथा लोगों के लिये एक विकल्प बनती है।"

उन्होंने कहा, "वही सच्चा पुरोहित है जो सत्ता और कैरियर की महत्वाकांक्षा का परित्याग कर देता है, वह आध्यात्मिक अन्तरंगता की भी शरण नहीं लेता बल्कि लोगों के बीच जाकर उनकी सेवा करता है। इस तथ्य के प्रति सचेत रहकर कि उसे भी चंगाई की ज़रूरत है वह मानवीय दुर्बलताओं को समझता तथा कठोरपन एवं सतही सहानुभूति दर्शाने से दूर रहकर लोगों की मदद करता है।"








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