2016-05-16 15:57:00

पेंतेकोस्त महापर्व, स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पूर्व संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, सोमवार, 16 मई 2016 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 15 मई को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया। स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

आज हम पेंतेकोस्त का महापर्व मना रहे हैं जो ख्रीस्त के पुनरुत्थान के पचास दिनों बाद, पास्का काल को पूर्ण कर देता है। धर्मविधि हमें पवित्र आत्मा के वरदानों के लिए हमारे मन और हृदय को खोलने हेतु निमंत्रण देती है, जिसके विषय में येसु ने अपने शिष्यों से कई बार प्रतिज्ञा की थी। पुनरुत्थान एवं स्वर्गारोहण के बाद यह उनका प्रथम एवं श्रेष्ठ उपहार था। इस वरदान के लिए स्वयं येसु ने पिता से प्रार्थना की थी। जिसका उदाहरण हम आज के सुसमाचार पाठ में पाते हैं जो अंतिम ब्यारी के समय घटित हुआ था। येसु अपने शिष्यों को बतलाते हैं कि ″यदि तुम मुझे प्यार करोगे, तो मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे। मैं पिता से प्रार्थना करूँगा और वह तुम्हें एक दूसरा सहायक प्रदान करेगा, जो सदा तुम्हारे साथ रहेगा। ″(यो.14:15-16)

संत पापा ने कहा कि ये शब्द हमें सबसे बढ़कर एक व्यक्ति के प्रति प्रेम को दर्शाता है और साथ ही साथ प्रभु के प्रति भी, जिसे मात्र शब्दों से नहीं किन्तु कार्यों द्वारा प्रमाणित किया जा सकता है। आज्ञा पालन को अस्तित्वपरक भावना के अर्थों में समझा जाना चाहिए जिससे उनके जीवन में शामिल हो सकें। वास्तव में, ख्रीस्तीय होने का अर्थ मूलतः किसी खास संस्कृति अथवा एक निश्चित सिद्धांत का पालन करना नहीं है बल्कि येसु और उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं से अपने को जोड़ना है। यही कारण है कि येसु ने अपने शिष्यों को पवित्र आत्मा की प्रतिज्ञा की। पवित्र आत्मा ही पिता एवं पुत्र को प्रेम के सूत्र में बांधता तथा उनसे अग्रसर होता है।

संत पापा ने कहा कि हम भी येसु के जीवन को अपना सकते हैं। वास्तव में, पवित्र आत्मा हमें उन सभी बातों की शिक्षा देता है जो हमारे लिए ईश्वर के समान प्रेम करने हेतु आवश्यक है। पवित्र आत्मा की प्रतिज्ञा द्वारा येसु दूसरे सहायक को बुलाते हैं।(16) अर्थात् दिलासा का आत्मा, समर्थक एवं मध्यस्थ का आत्मा जो जीवन की यात्रा में, अच्छाई एवं बुराई के बीच संघर्ष में, हमारी सहायता करता और हमें सुरक्षा प्रदान करता है। येसु उसे दूसरा सहायक कहते हैं क्योंकि प्रथम वे स्वयं हैं जिन्होंने हमारी मानवीय परिस्थिति को अपने ऊपर लिया तथा हमें पाप की गुलामी से मुक्त किया है।

संत पापा ने कहा कि पवित्र आत्मा शिक्षा देता एवं स्मरण दिलाता है। येसु कहते हैं, ″परन्तु वह सहायक, वह पवित्र आत्मा, जिसे पिता मेरे नाम पर भेजेगा तुम्हें सब कुछ समझा देगा। मैंने तुम्हें जो कुछ बताया, वह उसका स्मरण दिलायेगा।″ (26) संत पापा ने कहा कि पवित्र आत्मा कोई अलग शिक्षा नहीं देता किन्तु येसु की शिक्षा को सजीव और सक्रिय बनाता है ताकि समय के साथ यह फीका न पड़ जाए। पवित्र आत्मा इस शिक्षा को हमारे हृदय में डालते हैं तथा इसे आत्मसात करने में मदद करते एवं हमारे जीवन का हिस्सा बनाते हैं। साथ ही साथ, हमारे हृदय को तैयार करते ताकि हम येसु के वचन एवं उदाहरणों को स्वीकार कर सकें। जब कभी ईश वचन को हमारे हृदय में आनन्द के साथ स्वीकार किया जाता है तो यह पवित्र आत्मा का कार्य है।

संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, ″हम एक साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ करें जो इस वर्ष के लिए अंतिम बार होगा। हम धन्य कुँवारी मरियम से मातृ तुल्य मध्यस्थता की याचना करें ताकि हम पवित्र आत्मा से संचालित होकर, ख्रीस्त का साक्ष्य साहस पूर्वक दे सकें एवं उनके अनन्त प्रेम के लिए अपने को अधिक उदार बना सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

स्वर्ग की रानी प्रार्थना के उपरांत उन्होंने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।

उन्होंने विश्व मिशन दिवस की याद कर कहा, ″आज पेन्तेकोस्त के दिन विश्व मिशन दिवस हेतु मेरा संदेश अत्यन्त उपयुक्त होगा जो हर साल अक्तूबर महीने में मनाया जाता है। पवित्र आत्मा सभी मिशनरियों को सामर्थ्य प्रदान करे तथा विश्वभर में कलीसिया के मिशन को समर्थन दे। पवित्र आत्मा कलीसिया में ऐसे युवाओं को प्रदान करे जो सुसमाचार प्रचार हेतु समर्पित होना चाहते हैं।″

उसके बाद संत पापा ने विभिन्न दलों का अभिवादन किया, ″मैं आप सभी परिवारों का अभिवादन करता हूँ, जो इटली तथा विश्व के विभिन्न कलीसियाओं, संगठनों, तीर्थयात्रियों, खासकर, मड्रीड, पराग्वे थाईलैंड एवं लंदन स्थित काथलिक समुदायों के सदस्यों हैं।″  

संत पापा ने संत जोन लातेरन की 25 वीं वर्षगाँठ पर राष्ट्रीय उत्सव में भाग लेने वालों का अभिवादन किया एवं कहा, ″यह त्यौहार एकता का चिन्ह है। विभिन्न प्रकार की संस्कृतियाँ हमें शांति के रास्ते को पहचानने में मदद देते हैं। यह हमें एकता बनाये रखने एवं विविधता का सम्मान करने की प्रेरणा प्रदान करे।″  

संत पापा ने राष्ट्रीय सम्मेलन हेतु अस्ती में एकत्र अल्पाईन के लोगों का स्मरण किया। उन्हें संदेश देते हुए कहा, ″मैं उन्हें करुणा एवं आशा का साक्ष्य बनने का आग्रह करता हूँ। धन्य डोन कार्लो नोक्की, धन्य लुईजी बोरदिनो तथा माननीय तेरेसियो साल्लोवॉर्नस का अनुसरण करें जो अपने पवित्र जीवन द्वारा अल्पाईन को सम्मान प्रदान करते हैं।

अंत में उन्होंने सभी को पेंन्तेकोस्त महापर्व की शुभकामनाएँ देते हुए प्रार्थना का आग्रह किया तथा सभी विदा ली।








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