2016-05-14 14:25:00

धर्मनिष्ठता का अर्थ सहानुभूति एवं दया के भाव को अपनाना


वाटिकन सिटी शनिवार, 14 मई 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि धर्मनिष्ठता शिष्यों पर पवित्र आत्मा के सात वरदानों में से एक है जो उन्हें दिव्य प्रेरणा के प्रति आज्ञाकारी बनने हेतु उदार बनाता है।

वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में शनिवार 14 मई को करुणा के जयन्ती वर्ष में जारी आमदर्शन समारोह में संत पापा ने पवित्र आत्मा के सात वरदानों से एक धर्मनिष्ठता पर चिंतन किया।

उन्होंने कहा, ″जब हम इस शब्द को सुनते हैं तो हम निश्चय ही धार्मिकता एवं भक्ति की बात सोचते हैं किन्तु इसका अर्थ उनसे कहीं बढ़कर है। धर्मनिष्ठता का अर्थ है सहानुभूति एवं दया के भाव को अपनाना।″ उन्होंने सुसमाचार का हवाला देते हुए कहा कि येसु दया हेतु लोगों की याचना के प्रति संवेदनशील थे। वे उनकी आवश्यकताओं को समझते हुए उन्हें सहानुभूति एवं प्रेम से प्रत्युत्तर देते थे। उन्हें ईश्वर तथा उनकी वाणी एवं उनके चमत्कारों पर भरोसा रखने का प्रोत्साहन देते हैं।

संत पापा ने कहा कि हम ख्रीस्त धर्मानुयायी की धर्मनिष्ठता का अनुसरण करने हेतु बुलाये जाते हैं। लोगों के रूदन से हम अपने को उदासीन तथा दूर न कर लें बल्कि उनकी आवश्यकताओं पर ध्यान दें।

संत पापा ने धर्मनिष्ठता की आदर्श माता मरियम से प्रार्थना की ताकि करुणा के इस वर्ष में हम उनके पुत्र येसु की धर्मनिष्ठता का अनुसरण, लोगों के प्रति सहानुभूति में बढ़कर कर सकें। 








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