2016-05-09 15:36:00

येसु की मृत्यु, उनके पुनरुत्थान और स्वर्गारोहण के साक्षी बनें


वाटिकन सिटी, सोमवार, 9 मई 2016 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 8 मई को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया। स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

आज इटली और कई अन्य देशों में हम प्रभु के स्वर्गारोहण का पर्व मनाते हैं जो पास्का के चालीस दिनों बाद घटित हुआ था। हम चिंतन करते हैं कि येसु ने किस तरह हमारी धरती से बाहर आकर, मानव जाति को अपने साथ लेते हुए, ईश्वर की महिमा में प्रवेश किया। इस प्रकार, मानव जाति को पहली बार स्वर्ग में प्रवेश करने का अवसर मिला।

सुसमाचार पाठ में संत लूकस येसु का अपने शिष्यों के बीच से विदा होने की घटना का वर्णन करते हैं। ″आशीष देते-देते वे उनकी आँखों से ओझल हो गये और स्वर्ग में आरोहित कर लिए गये।″ (लूक.24:51) संत पापा ने कहा कि यद्यपि उन्हें बिछुड़ने का दर्द महसूस हो रहा था तथापि ″वे उन्हें दण्डवत् कर बड़े आनन्द के साथ येरूसालेम लौटे और ईश्वर की स्तुति करते हुए सारा समय मंदिर में बिताते थे।″ (पद. 52) वे उस शहर में निडर होकर लौटे जिसने येसु का बहिष्कार किया था, जिसमें येसु का विश्वासघाती यूदस था, जहाँ से शिष्य तितर-बितर हो गये थे तथा जहाँ हिंसा की शक्ति ने सभी को भयभीत कर दिया था।

उस दिन से प्रेरितों एवं येसु के सभी शिष्यों को येरूसालेम एवं दुनिया के अन्य हिस्सों में जीना सम्भव था। अब अन्याय और हिंसा से तबाह क्षेत्र के लिए भी एक ही आसमान था जहाँ सभी लोग आशा के साथ निहार सकते थे। येसु सच्चे ईश्वर हैं किन्तु स्वर्ग में मानव शरीर के साथ सच्चे मनुष्य भी। संत पापा ने कहा कि यही हमारी आशा है और इस आशा पर हमें पूर्ण भरोसा है।

ईश्वर इसी स्वर्ग में निवास करते हैं जिन्होंने नाजरेथ के येसु बनकर मानव चेहरे में अपने को हमारे अति करीब प्रकट किया। उनके द्वारा ईश्वर सदा हमारे साथ रहते तथा हमें अकेले नहीं छोड़ते हैं। हम ऊपर ताकते हुए हमारे भविष्य को देख सकते हैं क्योंकि येसु के स्वर्गारोहण, उनके क्रूसित किये जाने एवं जी उठने में ईश्वर के साथ हमारे अनन्त जीवन में सहभागी होने की प्रतिज्ञा है।

अपने मित्रों से विदा लेने के पूर्व येसु अपनी मृत्यु और पुनरुत्थान की घटना का जिक्र करते तथा कहते हैं, ″तुम इन बातों के साक्षी हो।″ (48) शिष्य उसी दिन से येसु की मृत्यु, उनके पुनरुत्थान, और स्वर्गारोहण के साक्षी हैं।  

अपने प्रभु को स्वर्ग में आरोहित होते देखने के बाद शिष्य वापस लौटे तथा पुनर्जीवित ख्रीस्त प्रदत्त नये जीवन का आनन्द पूर्वक साक्ष्य दिया, ″और उनके नाम पर येरूसालेम से लेकर सभी राष्ट्रों को पाप क्षमा के लिए पश्चाताप का उपदेश दिया जायेगा।″ (47) संत पापा ने कहा कि यही साक्ष्य है जो न केवल शब्दों द्वारा किन्तु दैनिक जीवन के द्वारा दिया गया। यही साक्ष्य हम प्रत्येक रविवार को जब हम गिरजाघर से निकलते हैं तब अपने घर, कार्यालय, स्कूल, मनोरंजन के स्थानों, अस्पतालों, क़ैदख़ानों, वृद्धाश्रमों, आप्रवासियों तथा सुदूर गाँवों में देने की कोशिश करें। हम यह साक्ष्य दें कि ख्रीस्त हमारे साथ हैं, वे स्वर्ग में आरोहित किये गये हैं तथा हमारे साथ सदा जीवित हैं। येसु हमें आश्वासन देते हैं कि इस घोषणा तथा साक्ष्य द्वारा हम ऊपर की शक्ति से सम्पन्न किये जायेंगे। (49) अर्थात् हम पवित्र आत्मा के वरदान प्राप्त करेंगे। यहीं हमारे मिशन का रहस्य निहित है, हमारे बीच पुनर्जीवित प्रभु की उपस्थिति जो पवित्र आत्मा के वरदानों द्वारा हमारे मन और हृदयों को खोलते हैं ताकि हम हमारे शहरों के कठोर लोगों के बीच भी उनके प्रेम एवं दया का प्रचार कर सकें। पवित्र आत्मा कलीसिया तथा दुनिया के बप्तिस्मा प्राप्त सभी लोगों के लिए गवाही के वास्तविक वास्तुकार हैं। इस प्रकार, हम ईश्वर की स्तुति में एकत्रित समुदाय में भाग लेने तथा पवित्र आत्मा के वरदानों की याचना करने से अपने को नहीं रोक सकते हैं। यह सप्ताह हमारे लिए पेंतेकोस्त महापर्व को लेकर आता है अतः पवित्र आत्मा को ग्रहण करने हेतु हम आध्यात्मिक रूप से माता मरियम के साथ ऊपरी कमरे में प्रवेश करें। पोमपेई के तीर्थस्थल पर परम्परागत रूप से हम इसे अब भी विश्वासियों के साथ किया जाता है।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

स्वर्ग की रानी प्रार्थना समाप्त करने के बाद संत पापा ने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।

संत पापा ने द्वितीय वाटिकन महासभा द्वारा आरम्भ किये गये विश्व सामाजिक सम्प्रेषण की 50 वीं वर्षगाँठ पर इसके महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ″महासभा के धर्माचार्यों ने समकालीन विश्व में कलीसिया पर चिंतन करते हुए सम्प्रेषण के महत्व को समझा जो लोगों, परिवारों तथा सामाजिक दलों के बीच सेतु का निर्माण करता है।″  

संत पापा ने संम्प्रेषण विभाग से जुड़े सभी लोगों को शुभकामनाएँ अर्पित करते हुए कहा, ″इस विज्ञान एवं डीजिटल युग में मैं उन सभी लोगों को अपनी हार्दिक शुभकामनाएँ अर्पित करता हूँ जो इस कार्य से जुड़े हैं। मैं आशा करता हूँ कि कलीसिया में हम जो संचार का काम करते हैं वह सुसमाचार प्रचार पर आधारित हो, एक ऐसा तरीका जो सच्चाई और करुणा को एक साथ मिलाये।″

अंत में उन्होंने सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की। 








All the contents on this site are copyrighted ©.