2016-05-06 15:19:00

दुनिया में दुःख के आँसू के बीच येसु ही सांत्वना प्रदान कर सकते हैं


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 6 मई 2016 (एशियान्यूज़): संत पापा फ्राँसिस ने 5 मई को प्रभु के स्वर्गारोहण महापर्व के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर में ″आँसू पोंछने हेतु″ जागरण प्रार्थना का नेतृत्व, उन लोगों के लिए किया जिन्हें सांत्वना दिये जाने की आवश्यकता है।  

प्रार्थना के दौरान संत पापा ने अपने संदेश में कहा, ″विश्वभर में हर पल आँसू बहाये जाते हैं, अलग-अलग किन्तु एक साथ मिलकर वे दुःख के सागर का निर्माण करते हैं। तब भी हम ईश्वर के सामीप्य एवं उनकी दृष्टि की कोमलता का एहसास कर सकते हैं जो हमें विश्राम प्रदान करता है। उनके वचनों की शक्ति हमें समर्थन और आशा देती है।″  

जागरण प्रार्थना में तीन लोगों ने अपना साक्ष्य प्रस्तुत किया। तीनों ने सिराकुस की आँसू की माता मरियम के पवित्र अवशेष के सम्मुख दीप चढ़ा कर, उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। 

ज्ञात हो कि सन् 1953 ई. में एक आश्चर्यजनक घटना घटी थी जब एक विवाहित युवा दम्पति के घर, माता मरियम की तस्वीर से मानव के आँसू बहने लगे थे। 

तीन साक्षियों में से एक पाकिस्तानी पत्रकार कैसर फेलिक्स जो एशियान्यूज़ में कार्यरत हैं, साक्ष्य देते हुए कहा कि उन्हें अपना देश इसलिए छोड़ना पड़ा क्योंकि वे काथलिक हैं। उनके परिवार को मुस्लिम चरमपंथियों से लगातार धमकियाँ मिल रही थी।

संत पापा ने उपस्थित विश्वासियों से कहा, ″प्यारे भाइयो एवं बहनो, हमने हृदय विदारक साक्ष्य सुना है, प्रभु के वचन के प्रकाश में ही हमारे दुःख अधिक अर्थपूर्ण हैं। हम पवित्र आत्मा से याचना करें कि वे हमारे बीच आयें और हमारे मन को ज्योति प्रदान करें ताकि हमें सांत्वना के सही शब्द मिल सके। वे हमारा हृदय उस निश्चितता के लिए खोल दें कि ईश्वर हमेशा उपस्थिति हैं तथा दुःख की घड़ी में हमें कभी नहीं छोड़ते। प्रभु येसु ने अपने चेलों से प्रतिज्ञा की थी कि वे उन्हें कभी नहीं छोड़ेंगे वरन अपनी आत्मा को भेज कर सदा उनके साथ रहेंगे जो सांत्वना, दिलासा, सहायता तथा सहानुभूति प्रदान करता है।″ 

संत पापा ने कहा कि उदासी, दुःख, बीमारी, अत्याचार एवं विपत्ति की घड़ी में, सभी लोग दिलासा भरे एक शब्द की आशा करते हैं। अपने करीब किसी की उपस्थिति का एहसास चाहते हैं, सहानुभूति रखे जाने की चाह करते हैं। हम यह अच्छी तरह अनुभव करते हैं कि गुमराह, खिन्न तथा उलझन में पड़ने का अर्थ क्या है। हम अपने चारों ओर अनिश्चितता ही अनिश्चितता देखते हैं तथा यह देखने की कोशिश करते हैं कि क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जो हमें सचमुच समझ सकता है। हमारा मन प्रश्नों से भर जाता किन्तु उत्तर बिलकुल नहीं मिलता क्योंकि तर्क शक्ति में उतनी क्षमता नहीं होती कि वह हमारे गहरे दुःख की कड़वाहट को समझ सके तथा पीडा का एहसास कर उसका उत्तर दे सके। ऐसे समय में तर्क शक्ति की अपेक्षा हृदय की आवश्यकता पड़ती हैं। केवल वही हमें उस रहस्य को समझने में मदद दे सकता है कि कौन-सी बात हमें अकेलेपन के घेरे में रखी है।

संत पापा ने कहा कि हमारे आस-पास कितने चेहरों को देखते हैं जो उदासी से भरे होते हैं। हर घड़ी दुनिया में कितने आँसू बहाये जाते हैं जो एक साथ मिलकर सागर का निर्माण करते। यह मायूसी का सागर है जो दया, सहानुभूति एवं दिलासा की मांग करता है। सबसे कड़वी आँसू मानवीय बुराई के कारण उत्पन्न होती है। वह आँसू जिसने प्रियजन को हिंसा में टूटते देखा है।

हमें उस करुणा और सहानुभूति की जरूरत है जो प्रभु से आता है। यह हमारी लाचारी के समान प्रतीत हो होता है किन्तु नहीं यह हमारा वैभव है। हम प्रभु से सहानुभूति की याचना करें जो अपनी कोमलता में हमारे आँखों से आँसू पोंछने आते हैं। 

उन्होंने कहा कि हमारे दुःख में हम अकेले नहीं हैं येसु जानते हैं कि प्रियजनों को खोने का दुःख क्या होता है। येसु ने भी लाजरूस की मृत्यु पर आँसू बहायी थी।

संत पापा ने दुःख की घड़ी में प्रार्थना का सहारा लेने की सलाह देते हुए कहा कि भ्रम, निराशा और आँसू के क्षण, येसु का हृदय प्रार्थना हेतु पिता की ओर उठा था क्योंकि प्रार्थना ही हमारे दुःखों की सच्ची दवा है। प्रार्थना द्वारा हम ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव कर सकते हैं। येसु ने लाजरूस की कब्र के सामने सामने खड़े होकर प्रार्थना की, ″पिता, मैं तुझे धन्यवाद देता हूँ क्योंकि तूने मेरी सुनी है।″ संत पापा ने कहा कि हमें भी यह एहसास किये जाने की आवश्यकता है कि पिता हमारी सुनते तथा हमारी मदद करने आते हैं। ईश्वर का प्रेम जो हमारे हृदयों में उँडेला गया है, हमें यह कहने हेतु प्रेरित करता है कि जब हम प्यार करते हैं तो उस प्रेम से हमें कोई भी ताकत अलग नहीं कर सकता। संत पौलुस विश्वासियों को अत्यन्त दिलासापूर्ण बात कहते हैं, ″ख्रीस्त के प्रेम से कौन हमें अलग कर सकता है क्या दुःख, उदासी, अत्याचार, भूख, नग्नता अथवा तलवार? नहीं इन सब पर येसु ने विजय पा ली है वे हमें सब कुछ से बढ़कर प्रेम करते हैं।″ संत पापा ने कहा कि प्रेम की शक्ति दुःख को ख्रीस्त के विजय में बदल देता है। उनके साथ संयुक्त होकर हम आशा करते हैं कि एक ऐसा दिन आयेगा जब हम सब पुनः एक साथ होंगे तथा ईश्वर को साक्षात् रूप में देख पायेंगे जो जीवन एवं प्रेम का अनन्त स्रोत हैं। सभी प्रकार के क्रूस तले येसु की माता मरियम सदा उपस्थित रहती हैं। अपनी ममतामय स्नेह से सभी के आँसू पोंछती हैं तथा पुनः उठकर आशा के मार्ग पर आगे बढ़ने में मदद देती हैं। 








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