2016-05-05 15:55:00

कुम्भ मेला में जल संरक्षण एवं बेहतर स्वच्छता पर ध्यान देने हेतु धर्माध्यक्ष की पहल


भोपाल, बृहस्पतिवार, 5 मई 2106 (ऊकान): मध्यप्रदेश के काथलिक धर्माध्यक्ष ने अन्य धर्मों के नेताओं के साथ, पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने एवं महीने भर मनाये जाने वाले कुम्भ मेला में बेहतर स्वच्छता को प्रोत्साहन देने हेतु 3 मई को एक सभा का आयोजन किया।

12 वर्षों के बाद आने वाले इस त्यौहार में करोड़ों श्रद्धालु भाग लेते हैं।  

उज्जैन के धर्माध्यक्ष सेबास्तियन वादाक्केल ने हिन्दू एवं सिक्ख नेताओं ने विचार किया कि वे कुम्भ मेला में भाग लेने वाले लोगों को जल सुरक्षा, स्वच्छता तथा शौचालयों के प्रयोग की शिक्षा देंगे। अनुमान लगाया जा रहा है कि उत्सव मनाने हेतु उज्जैन के क्षिप्रा नदी के तट पर करीब 5 करोड़ लोग जमा होंगे तथा 22 मई से शुरू होने वाले 30 दिनों के इस उत्सव में नदी में स्नान करेंगे।

कुम्भ मेला गंगा नदी के किनारे बसे इलाहाबाद, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में लगाया जाएगा। हिन्दूओं का विश्वास है कि इस पवित्र नदी में स्नान करने से उनके सारे पाप धुल जाते हैं।

धर्माध्यक्ष वदाकेल ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा, ″कुम्भ मेला का उत्सव मेरे लिए नदियों एवं जलाशयों की सुरक्षा तथा स्वच्छता को बढ़ावा के विचार को दूसरों को बांटने का एक महान अवसर है, खासकर, शौचालयों का प्रयोग तथा अवशिष्ट पदार्थों को सही स्थान पर फेंके जाने आदि के सम्बध में।″ उन्होंने कहा कि भारत में कई घरों में शौचालय की सुविधा नहीं है, इस प्रकार, यदि खुले में शौच किया जाए तो बीमारी फैलने का बड़ा खतरा है। उन्होंने अधिकारियों एवं जनता से अपील की कि शौचालयों का प्रबंध किया जाए।

धर्माध्यक्ष ने जल की सुरक्षा पर जोर देते हुए पानी को बर्बादी से बचाने एवं जल स्रोतों को स्वच्छ रखने को अति महत्वपूर्ण कहा।

हिन्दू नेता स्वामी अवदेशानन्द गिरि महाराज ने कहा, ″जल मानव जीवन का एक मौलिक तत्व है। यह दुनिया में जीवन के लिए प्रथम विशिष्ट तत्व है।″ उन्होंने जल की सुरक्षा को एक बड़ा आध्यात्मिक कार्य बताया जो जीवन की रक्षा करने में मदद करता है।

सिक्ख नेता जनेंद्र ज्ञान गुरूचरण सिंह ने कहा कि मात्र दो प्रतिशत जल पीने लायक बाकी है यदि जल प्रदूषण जारी रहा तो जीवित प्राणियों पर काफी बुरा असर पड़ेगा। 








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