2016-05-03 10:13:00

उत्पीड़न काल में भी पवित्रआत्मा साक्ष्य सुदृढ़ करते, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 3 मई 2016 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने अत्याचार के शिकार लोगों को आश्वासन देते हुए कहा है कि पवित्रआत्मा अनवरत हमारे विश्वास को सुदृढ़ करते तथा अत्याचार और अनाचार के समय भी हमारे साक्ष्य को मज़बूत करते हैं। उन्होंने कहा कि भले ही उत्पीड़न गम्भीर हो अथवा छोटा जैसे आलोचना या फिर बकवाद।

वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में, सोमवार को, ख्रीस्तयाग के अवसर पर सन्त पापा फ्राँसिस ने प्रेरित चरित ग्रन्थ के उस पाठ पर चिन्तन किया जिसमें थियात्रिया की लिडिया नामक महिला प्रेरितवर सन्त पौल के प्रवचन सुनने के लिये बहुत दूर से पहुँचती है। सन्त पापा ने कहा कि प्रभु ने लिडिया के हृदय के द्वारों को खोल दिया था ताकि वह ईश वचन को सुन सुके।

उन्होंने कहा, "इस महिला ने अपने अन्तर में कुछ महसूस किया जिसने उसे यह कहने पर विवश किया कि "यह सच है" और मैं उन बातों पर विश्वास करती हूँ जो प्रभु येसु ख्रीस्त का साक्ष्य प्रस्तुत करनेवाले पौल के मुख से निकली हैं।"

सन्त पापा ने कहा, "सच तो यह है कि पवित्रआत्मा ने इस महिला को प्रेरित किया और उसने विश्वास किया कि येसु ख्रीस्त ही प्रभु हैं। पौल का साक्ष्य सुनकर महिला ने विश्वास किया। सन्त पापा ने कहा, "पवित्रआत्मा येसु के साक्षी हैं और प्रत्येक बार जब हम अपने अन्तर में कुछ महसूस करते हैं तब हम येसु के क़रीब जाते हैं। पवित्रआत्मा हमारे हृदयों में क्रियाशील रहते हैं।"  

सन्त पापा ने कहा कि स्वतः को ख्रीस्तानुयायी घोषित करनेवाले लोग पवित्रआत्मा के सामर्थ्य से जीवन्त ईश्वर का साक्ष्य प्रस्तुत करते तथा अपने दैनिक जीवन में येसु ख्रीस्त के सुसमाचारी प्रेम को जन-जन में फैलाते हैं। अस्तु, सन्त पापा ने कहा, "पवित्रआत्मा से हम सतत् प्रार्थना करें ताकि येसु ख्रीस्त से कभी भी अलग न होवें।"








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