2016-05-03 16:47:00

आदिवासी ईसाइयों का गांव से पलायन


भोपाल, मंगलवार 3 मई 2016 (ऊकान): छत्तीसगढ़ राज्य के कांकेर जिले में स्थित काटोडी गांव के पादरी मूसा अन्नेल ने 2 मई को ऊका समाचार से कहा कि गोंड़ आदिवासी ईसाइयों के छह परिवारों को एक सप्ताह के उत्पीड़न और हमलों के बाद मजबूर होकर अपने प्राण बचाने के लिए 29 अप्रैल को गाँव से भागना पड़ा।

अन्नेल ने कहा कि गाँव के बहुमत हिंदू आदिवासियों ने उन्हें ईसाई धर्म को छोड़ने और हिन्दु धर्म को स्वीकार करने के लिए कहा। ईसाइयों के इनकार करने पर उन्हें बहुत पीटा गया और उनके घरों को नष्ट कर दिया गया। इनमें से छह को आंतरिक चोट लगी है और अभी भी एक सरकारी अस्पताल में इनका इलाज चल रहा है।

पुलिस निरीक्षक डी.पी. श्रीवास्तव ने कहा कि 25 अप्रैल को गांव के मंदिर त्योहार के लिए ईसाइयों द्वारा पैसे "योगदान" करने से इनकार करने के बाद तनाव भड़क उठी। उन्होंने कहा, "यह एक धार्मिक मुद्दे के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। दोनों दलों के लोग आदिवासी थे और इसका फैसला हो गया था।"

इस पर अन्नेल ने कहा कि हमला धर्म के आधार पर किया गया था। 25 अप्रैल को गांव के बैठक में छह ईसाई परिवारों को बुलाया गया और ईसाई धर्म छोड़ने के लिए उन्हें निर्देश दिया गया। एसा नहीं करने पर उन्हें मार डालने की धमकी दी गई।

खतरे के कारण ईसाइयों को अपने गांव से 70 किलोमीटर की दूर एक जंगल में पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

ईसाई नेताओं का कहना है कि पुलिस ईसाइयों पर हुए हमलों के प्रति उदासीन है और सरकार मौन रूप से धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हिंसा का समर्थन करती है। 

रायपुर महाधर्मप्रांत के प्रतिधर्माध्यक्ष फादर सेबास्टियन पूमात्ताम ने कहा कि नरेंद्र मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद स्थिति बहुत ही खराब हो गई है।

उन्होंने कहा, "पिछले कुछ वर्षों में ईसाइयों के खिलाफ हमलों में अचानक वृद्धि हो गई है और सभी सुनियोजित हमले हो रहे हैं।"








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