2016-04-29 17:41:00

संत पापा के पर्यावरण जनादेश पर काथलिकों की प्रतिक्रिया


नई दिल्ली, शुक्रवार, 29 अप्रैल 2016 (ऊकान): संत पापा फ्रांसिस द्वारा पर्यावरण पर विश्व प्रेरितिक पत्र “लौदातो सी” (तेरी स्तुति हो) जारी करने के लगभग एक वर्ष के बाद भारत के धर्मप्रातों और कलीसियाई संस्थाओं ने कई परियोजनाओं को शुरू किया है।

विदित हो 18 जून 2015 को वाटिकन सिटी में पर्यावरण पर संत पापा फ्राँसिस के नये विश्वपत्र लौदाती सी’ को प्रस्तुत किया गया। यह संत पापा फ्राँसिस का सबसे प्रभावपूर्ण दस्तावेज़ है इसमें पर्यावरण की चर्चा करते हुए उसकी रक्षा हेतु हमारे उत्तरदायित्व पर प्रकाश डाला गया है।

कलासिया द्वारा दैनिक जीवन में जागरूकता अभियान और वृक्षारोपण अभियान, जैविक कृषि, सौर ऊर्जा और पर्यावरण के अनुकूल तरीकों को प्रयोग में लाकर पर्यावरण को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

कारितास इंडिया के कलीसियाई सामाजिक सेवा शाखा के कार्यकारी निर्देशक फादर फ्रेडरिक डिसूजा ने कहा, " जब संत पापा कुछ कहते हैं तो कलीसिया इसे जनादेश के रूप में देखती और इसे लागू करना चाहती है।

फादर डिसूजा ने कहा कि धर्मप्रांतों और पल्लियों में पर्यावरण को बचाने के बारे में जागरूकता बढ़ रही है।

लगभग हर धर्मप्रांत के सामाजिक सेवा संस्थानों में पर्यावरण की रक्षा के लिए जागरूकता कार्यक्रमों को शुरु किया गया है। जैविक खेती के तरीकों को बताकर लोगों को जागरुक किया जा रहा है।

दिल्ली महाधर्मप्रांत के चेतनालय सामाजिक सेवा केन्द्र ने धर्मप्रांतीय स्कूलों में पर्यावरण के अनुकूल जीवन जीने के लिए अध्यापकों और छात्रों को पुनर्चक्रण कागजों के उपयोग करने हेतु प्रोत्साहित किया है।

चेतनालय के निर्देशक फादर सावरी राज ने ऊका समाचार से कहा कि वे लोगों को कम पानी का उपयोग, सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग, वृक्षारोपन,  सौर ऊर्जा का उपयोग और अपशिष्ट खाद के उपयोग के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।

एक पर्यावरणविद् तथा राष्ट्रव्यापी तरुमित्र के संस्थापक फादर रॉबर्ट अत्तिकल ने कहा कि तरुमित्र के छात्रों ने श्रद्धा के साथ जैविक खेती को पृथ्वी के उपचार के रुप में लिया है। विद्याथियों के परिश्रम से मेघालय, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल राज्यों में जैविक खेती की शुरुआत हुई है।








All the contents on this site are copyrighted ©.