2016-04-28 15:34:00

कलीसिया को पुरोहितों के प्रशिक्षण पर ध्यान देना चाहिए


एलुरु, बृहस्पतिवार, 28 अप्रैल 2016 (एशियान्यूज़): ″सुसमाचार की शक्ति जीवन के अंधकारमय क्षणों में ज्योति प्रदान करती है। आप अपने में बंद होने के प्रलोभन से बचें।″ उक्त बात आंध्रप्रदेश के एलुरू में, धर्माध्यक्ष जॉर्ज पल्लीपरम्बिल ने पाँच पुरोहितों के अभिषेक समारोह में कही।

उन्होंने कहा, ″हम विभिन्न प्रकार के अध्ययन और उच्च शिक्षा के माध्यम से बहुत कुछ पाते हैं किन्तु इतने ज्ञान एवं अनुभवों के बावजूद चरवाहे की आवाज सुनने तथा लोगों को अनन्त जीवन की राह पर ले जाने में असफल हो जाते हैं।″

धर्माध्यक्ष ने प्रवचन में कहा, ″हमें अपने को दूसरों की सेवा हेतु अर्पित करना तथा अपने पड़ोसियों से प्रेम करना चाहिए। सबसे बड़ी मांग है कि हम गुरु का अनुसरण करें जो कहता है, ″जैसे मैंने तुम्हें प्यार किया है उसी तरह तुम भी एक दूसरे को प्यार करो।″

उन्होंने कहा कि पुरोहित को एक मशाल के समान होना चाहिए।

धर्माध्यक्ष ने भारत में पाँच महीनों के भीतर पुरोहितों की आत्महत्या पर दुःख व्यक्त करते हुए इसे कलीसिया के लिए बड़ी चिन्ता का विषय कहा। उन्होंने कलीसिया के नेताओं को पुरोहितों के प्रशिक्षण हेतु ध्यान देने का आग्रह किया।

समारोह के मुख्य अनुष्ठाता ने पुरोहितों को कलीसिया तथा अधिकारियों की आज्ञा मानने की सलाह दी।

नव अभिषिक्त पुरोहित दया के मिशनरी धर्मसमाज के सदस्य हैं। इसकी स्थापना 2003 में हुई है। धर्मसमाज में कुल 80 पुरोहित तथा 180 गुरूकुल छात्र हैं जो भारत के 14 धर्मप्रांतों में सेवा देने के अलावे विदेशों में भी मिशनरी के रूप में कार्यरत हैं।  








All the contents on this site are copyrighted ©.