2016-04-27 11:18:00

याजकवर्ग का कार्य लोगों की सेवा होनी चाहिये, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, बुधवार, 27 अप्रैल 2016 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि याजकवर्ग का कार्य लोगों की सेवा होनी चाहिये। याजकवाद की कड़ी निन्दा करते हुए सन्त पापा ने कहा कि कलीसिया के पुरोहित लोगों का दुरुपयोग अपने स्वार्थ के लिये नहीं कर सकते।

लातीनी अमरीका की कलीसियाओं के लिये गठित परमधर्मपीठीय आयोग के अध्यक्ष कार्डिनल मार्क ओले को प्रेषित एक पत्र में सन्त पापा ने कलीसिया के पुरोहितों के मिशन को स्पष्ट किया। यह पत्र वाटिकन द्वारा मंगलवार को प्रकाशित किया गया था।

सन्त पापा ने कहा, "पुरोहित यह तय नहीं कर सकता कि विश्वासी को सार्वजनिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में क्या कहना है और क्या नहीं। इसके बजाय उसे याजकवाद में पड़े बिना लोकधर्मियों की प्रतिबद्धता को प्रोत्साहन देना चाहिये तथा हर पथ पर उनके संग-संग चलना चाहिये।"  

उन्होंने कहा कि पुरोहित को इस भ्रम में नहीं रहना चाहिये कि लोकधर्मी पुरोहितों का, पल्लियों का अथवा धर्मप्रान्त को नौकर है तथा उसे पुरोहितों के अधीन रहना चाहिये। सन्त पापा ने कहा कि इस प्रकार का विचार भ्रामक है, यह याजकीयता को जीने का ग़लत तरीका है  और द्वितीय वाटिकन महासभा द्वारा दर्शाये मार्ग के विरुद्ध है।

उन्होंने कहा, "इस प्रकार का व्यवहार हमारे ख्रीस्तीय व्यक्तित्व को ही रद्द नहीं करता अपितु पवित्रआत्मा द्वारा लोगों के हृदयों में विद्यमान बपतिस्मा की कृपा का अवमूल्यन करता है।"

वर्तमान विश्व में व्याप्त फेंक देनेवाली संस्कृति के प्रति चेतावनी देते हुए सन्त पापा ने कहा, "आज कई शहरों में उत्तरजीविता एक समस्या बन गई है जिसके चलते फेंकदेनेवाली, उपेक्षाभाव वाली अथवा अन्यों की अवहेलना कर देनेवाली संस्कृति को प्रश्रय मिल रहा है। हमारे कई लोकधर्मी विश्वासी परिवार इस प्रकार के दैनिक संघर्ष में लिप्त हैं तथा अन्याय एवं अवरोधों से छुटकारा पाने के लिये प्रभु की खोज में लगे हैं। इन लोगों में आशा जगाना तथा उन्हें उनके दैनिक संघर्ष में सम्बल प्रदान करना पुरोहितों का परम दायित्व है।"  

उन्होंने कहा, "हमें चिन्तनशील ढंग से शहरों की समस्याओं को मान्यता देनी होगी तथा लोगों के बीच भले गड़ेरिये के सदृश काम करना होगा, विशेष रूप से, निर्धनों एवं ज़रूरतमन्दों के बीच ताकि जीवन की कठिनाइयों के बावजूद वे प्रभु येसु ख्रीस्त में आशा की किरण देख सकें।"








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