2016-04-21 16:19:00

अपने जीवन में प्रभु के सुन्दर कार्यों का स्मरण करना चाहिए


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 21 अप्रैल 2016 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में बृहस्पतिवार, 21 अप्रैल को, संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तयाग प्रवचन में बताया कि ख्रीस्तानुयायी किस तरह अपने विश्वास के रास्ते पर बल प्राप्त करता है।

उन्होंने कहा, ″अपनी यात्रा पर ख्रीस्तीय सदा उन परिस्थितियों की याद करते हैं जिनमें उन्होंने अपने जीवन में ईश्वर की उपस्थिति का एहसास किया है क्योंकि उसके द्वारा उन्हें विश्वास की यात्रा में शक्ति प्राप्त होती है। संत पापा ने कहा कि विश्वास एक यात्रा है जिसमें हम सदा बीती बातों की याद करते हैं। उन अच्छी चीजों की याद करते हैं जिनको ईश्वर ने हमें दिया और साथ ही कुछ रूकावटें भी क्योंकि वे हमारे साथ चलते हैं।

संत पापा ने प्रवचन में प्रेरित चरित से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ संत पौलुस अंतियोख के एक सभागृह में प्रवेश करते हैं। वे सुसमाचार का प्रचार करते हुए पुराने व्यवस्थान में निहित ईश प्रज्ञा के चुनाव तथा अब्राहम, मूसा एवं मिश्र देश और अंत में येसु के आगमन का स्मरण दिलाता है। संत पापा ने कहा कि यद्यपि संत पौलुस की यह शिक्षा ऐतिहासिक थी तथापि यह मानव जीवन में ईश्वर की उपस्थिति का स्मरण दिलाती है। 

येसु ने हमारी मुक्ति के लिए यूखरिस्त की स्थापना की तथा उस यादगारी को सदा बनाये रखने का आदेश दिया। संत पापा ने कहा कि हमें ईश्वर के मुक्ति कार्य को याद करना है कि उन्होंने मानव जाति को बचाने हेतु क्या किया।

कलीसिया इसे ‘स्मृति’ अर्थात् पवित्र यूखरिस्त संस्कार के नाम से जानती है। विधि विवरण  ग्रंथ में इस्राएलियों को स्मरण दिया लाया जाता था कि किस तरह उनके पूर्वजों को मिश्र की दासता से मुक्ति मिली थी तथा ईश्वर ने उनका साथ दिया था।

संत पापा ने कहा कि एक ख्रीस्तीय के लिए यह याद रखना अच्छा है कि ईश्वर ने उसके जीवन में किस तरह उसका मार्गदर्शन दिया जबकि कई बार हमने उन्हें दूर करने का प्रयास करते किन्तु प्रभु हमारा सम्मान करते हैं तथा हमारी उदण्डता के बावजूद वे हमारा साथ देते हैं।

संत पापा ने विश्वासियों को सलाह दी कि वे येसु के प्रति धन्यवादी हों जो हमारे जीवन में हमारा साथ देना कभी नहीं छोड़ते।

उन्होंने कहा कि याद हमें ईश्वर के करीब लाती है। संत पापा ने परामर्श दिया कि हम अपने बीते जीवन का अवलोकन करें कि मेरा जीवन कैसा था, प्रभु के साथ मेरा संबंध कैसा था। जीवन में प्रभु के महान एवं सुन्दर कार्यों की याद हमेशा करें।








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