2016-04-18 15:23:00

येसु की आवाज नहीं सुनने वाला उसका शिष्य नहीं हो सकता


वाटिकन सिटी, सोमवार, 18 अप्रैल 2016 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 17 अप्रैल को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया, स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,

″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

आज का सुसमाचार पाठ (यो.10:27-30) येसु के कथन के उसी भाव को प्रकट करता है जिसको उन्होंने येरूसालेम में प्रतिष्ठान महापर्व के समय कहा था। येसु मंदिर के सुलेमान मण्डप में टहल रहे थे और उस पवित्र स्थल पर उन्हें भेड़ और चरवाहे की प्रेरणा मिली। येसु अपने को एक भले चरवाहे के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहते हैं, ″मेरी भेड़ें मेरी आवाज पहचानती हैं मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरा अनुसरण करते हैं। मैं उन्हें अनन्त जीवन प्रदान करता हूँ उनका कभी सर्वनाश नहीं होगा और उन्हें मुझसे कोई छीन नहीं सकेगा। (पद. 27-28)

संत पापा ने कहा कि येसु के ये शब्द हमें यह समझने में मदद देते हैं कि कोई भी व्यक्ति येसु का शिष्य नहीं हो सकता, यदि वह उनकी आवाज नहीं सुनता है। उन्होंने कहा कि इस सुनने के अर्थ को सतही रूप से नहीं समझा जाना चाहिए किन्तु गहरे अर्थ में एक सच्चे आपसी समझदारी के रूप में देखा जाना चाहिए, जो उनके उदार अनुसरण से आता है। ″वे मेरा अनुसरण करते हैं″ का अर्थ न केवल कान से सुनना किन्तु हृदय से अनुभव करना है।

इस प्रकार, गड़ेरिये तथा भेड़ की छवि, येसु का हम सभी के साथ निकटता का संबंध स्थापित करने की इच्छा को अभिव्यक्त करता है। वे हमारे अगुवे हैं, हमारे गुरु, हमारे मित्र, हमारे आदर्श किन्तु उन सबसे बढ़कर वे हमारे मुक्तिदाता हैं।

सुसमाचार पाठ में अगली पंक्ति कहता है, ″मैं उन्हें अनन्त जीवन प्रदान करता हूँ, उनका कभी सर्वनाश नहीं होगा उन्हें मुझसे कोई छीन नहीं सकता। (पद. 28) संत पापा ने कहा कि कौन ऐसा कह सकता है? मात्र येसु क्योंकि येसु के हाथ पिता के साथ हैं और पिता सबसे महान हैं।

ये शब्द ईश्वर की पूर्ण सुरक्षा और महान कोमलता की भावना को अभिव्यक्त करता है। हमारा जीवन येसु तथा पिता के हाथों पूर्ण रूप से सुरक्षित है। जो एक-दूसरे से संयुक्त हैं, वे  एक प्रेम, एक करुणा तथा एक ही क्रूस बलिदान द्वारा सभी लोगों के लिए प्रकट हुए हैं।

संत पापा ने कहा कि खोया हुआ भेड़ हम सभी का प्रतीक है जिन्हें बचाने के लिए येसु बलि का मेमना बन गये तथा दुनिया के पापों को अपने ऊपर ले लिया। इस प्रकार, उन्होंने हमें अपना जीवन अर्पित किया। यूखरिस्त की वेदी पर वे हमें प्रचुर मात्रा में जीवन प्रदान करते हैं। जहाँ भेड़ अपनी भूख मिटाने हेतु एकत्र होते हैं। जहाँ हम ईश्वर तथा अपने पड़ोसियों के साथ एक हो जाते। अतः हम हमारे जीवन के सर्वनाश के भय से घबराते नहीं। हमें येसु के हाथ से कोई छीन नहीं सकता, उनके प्रेम को कोई भी वस्तु अथवा व्यक्ति जीत नहीं सकता। येसु का प्रेम अजेय है। बुराई जो ईश्वर तथा उनकी सृष्टि का सबसे बड़ा शत्रु है, अनन्त जीवन को छीन लेने का हर सम्भव   प्रयास करता है किन्तु वह कुछ बिगाड़ नहीं सकता यदि हम अपनी आत्मा का द्वार उसके तथा उसके झूठ के लिए नहीं खोलेंगे।

धन्य कुँवारी मरियम ने भले चरवाहे की आवाज को बड़ी तत्परता से सुना। हमें भी वे मदद दें कि हम शिष्य बनने हेतु येसु के निमंत्रण को आनन्द पूर्वक स्वीकार कर सकें तथा ईश्वर के पिता तुल्य हाथों में सुरक्षित जीवन व्यतीत करने की कृपा प्राप्त कर सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

स्वर्ग की रानी प्रार्थना के उपरांत उन्होंने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।

उन्होंने लेसवोस यात्रा की सफलता हेतु आभार व्यक्त करते हुए कहा, ″मैं उन सभी लोगों को धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने ग्रीक के लेसवोस में यात्रा हेतु प्रार्थना द्वारा मेरी सहायता की है। मैंने शरणार्थियों एवं ग्रीक के लोगों के लिए कलीसिया की एकात्मता प्रकट की है। मेरे साथ ओर्थोडोक्स प्राधिधर्माध्यक्ष बरथोलोमियो तथा एथेंस के महाधर्माक्ष एरोनेमुस थे जिन्होंने प्रभु के सभी शिष्यों के प्रति उदारता हेतु महत्वपूर्ण एकता का परिचय दिया है। 

हमने एक शरणार्थी शिविर का दौरा किया जहाँ ईराक, अफगानिस्तान, सीरिया, अफ्रीका तथा कई अन्य देशों के शरणार्थी रहते हैं। हमने एक-एक कर करीब 300 शरणार्थियों से मुलाकात की। उनमें से अधिकांश बच्चे थे इन बच्चों ने अपने माता-पिता तथा मित्रों की मृत्यु देखी है। बहुत से लोग समुद्र में डूबने के कारण मृत्यु के शिकार हो गये। मैंने बहुत अधिक पीड़ा देखी, विशेष कर, एक युवा के बारे बतना चाहूँगा जो 40 से भी कम उम्र का था। मैंने उससे कल उसके दो बेटों के साथ मुलाकात की, वह बहुत रो रहा था। वह एक मुसलमान है तथा बताया कि उसने एक ख्रीस्तीय महिला से शादी की थी। वे आपस में प्रेम तथा एक-दूसरे का सम्मान करते थे। दुर्भाग्य से, उसकी पत्नी आतंकवादियों द्वारा मार डाली गयी क्योंकि उसने ख्रीस्त तथा अपने ख्रीस्तीय विश्वास का परित्याग करने से इन्कार किया। वह शहीद बन गयी।

संत पापा ने इक्वाडोर और जापान में भुकम्प के शिकार लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि एक विनाशकारी भुकम्प ने उन क्षेत्रों में बहुत अधिक विनाश लाया। हम उन सभी के लिए प्रार्थना करें। ईश्वर तथा पड़ोसियों की सहायता उन्हें बल तथा समर्थन प्रदान करे।

बुलाहट हेतु विश्व प्रार्थना दिवस का स्मरण दिलाते हुए संत पापा ने पुरोहिताई एवं समर्पित जीवन की बुलाहट हेतु प्रार्थना करने का आग्रह किया। उन्होंने नये पुरोहितों का अभिवादन करते हुए कहा, ″आज प्रातः मैंने 11 नये पुरोहितों का अभिषेक किया। मैं सभी नये पुरोहितों उनके परिवार के सदस्यों तथा मित्रों का अभिवादन करता हूँ। उन्होंने सभी पुरोहितों एवं गुरूकुछ छात्रों से आग्रह किया कि वे जून माह में होने वाली जयन्ती में भाग लें।

संत पापा ने युवाओं को सम्बोधित कर पुरोहिताई एवं समर्पित जीवन के लिए प्रभु की पुकार को सुनने हेतु प्रेरित किया। उन्होंने इटली तथा विश्व के विभिन्न हिस्सों से आये तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया।

अंत में उन्होंने सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








All the contents on this site are copyrighted ©.