2016-04-16 15:29:00

मोरिया के शरणार्थियों से संत पापा ने कहा कि वे आशा न खोयें


लेसवोस, शनिवार, 16 अप्रैल 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 16 अप्रैल को लेसवोस द्वीप स्थित मोरिया शरणार्थी शिविर में शरणार्थियों से मुलाकात कर उन्हें सान्तवना दी।

उन्हें सम्बोधित कर उन्होंने कहा, ″मैं आज आप लोगों के साथ होना चाहता था। मैं बताना चाहता था कि आप अकेले नहीं हैं।″ इन हफ्तों एवं महीनों में आप लोगों ने अपने लिए बेहतर जीवन की तलाश में बहुत कष्ट उठाया है। संघर्ष और अत्याचार के कारण तथा अपने बच्चों के खातिर बहुत लोगों को मजबूरन भागना पड़ा। आपने अपने परिवार के लिए बड़ा त्याग किया है। आपने उस दर्द को महसूस किया है जो अपने प्रिय वस्तुओं को पीछे छोड़ने से मिलता है और जो सबसे कठिन है। भविष्य की बिलकुल अनिश्चितता के साथ। आपके जैसे कई लोग शिविरों अथवा शहरों में जीवन की नई शुरूआत की आशा लिए इंतजार कर रहे हैं।

मैं अपने भाइयो, प्राधिधर्माध्यक्ष बरथोलोमियो तथा महाधर्माध्यक्ष एरोनेमोस के साथ आप लोगों के पास आया हूँ ताकि आपकी दास्ताँ सुन सकूँ। हम इस गहरी मानवीय संकट के प्रति विश्व का ध्यान खींचना चाहते हैं तथा इसके समाधान का उपाय चाहते हैं। विश्वास के व्यक्तियों के रूप में हम आपकी आवाज ऊंची करना चाहते हैं। हम आशा करते हैं कि दुनिया इस दुखद परिस्थिति को समझ पायेगी तथा आम मानवता के योग्य प्रत्युत्तर दे पायेगी।

ईश्वर ने एक मानव परिवार की सृष्टि की है जब हमारे कोई भाई या बहन को कष्ट होता है तब हम उसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाते। हम अनुभव से जानते हैं कि किसी को दुःख झेलते हुए अनदेखा करना अथवा उनकी दुर्बलता के कारण उनका शोषण करना कितना आसान है किन्तु हम यह भी जानते हैं कि ये संकट हमारे लिए अच्छी चीज भी ला सकती है। इस अच्छाई को आपने अपने आप में तथा ग्रीक के लोगों में देखा है जिन्होंने अपनी समस्याओं के बावजूद आपको बड़ी उदारता से स्वीकारा है। आपने इस अच्छाई को कई अन्य लोगों में भी देखा है विशेषकर, यूरोप तथा विश्व भर के युवा जो आपकी मदद कर रहे हैं। निश्चय ही, बहुत कुछ किया जाना बाकी है किन्तु हम ईश्वर को धन्यवाद दें जो हमारे दुखों में हमें कभी नहीं छोड़ते।

संत पापा ने शरणार्थियों को अपना संदेश देते हुए कहा कि वे आशा न खोयें। सबसे बड़ा उपहार जो वे एक-दूसरे को दे सकते हैं वह है प्रेम, एक करुणामय दृष्टि, सुनने और समझने की तत्परता, प्रोत्साहन के शब्द तथा प्रार्थना। ईश्वर हम पर दया करते हैं तथा चाहते हैं कि हम भी उन लोगों के प्रति दयालु बनें जिन्हें इसकी आवश्यकता है। हमारे सभी भाई बहनें भले समारितानी की तरह भाईचारा, एकात्मता, सम्मान एवं मानव प्रतिष्ठा के साथ आप लोगों की मदद हेतु आगे आयें। अंत में संत पापा ने सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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