2016-04-16 16:16:00

पर्यावरण के संरक्षण के लिए सम्मानितः सिमोन उराँव


नई दिल्ली, शनिवार 15 अप्रैल 2016(ऊकान): सिमोन उरांव, एक बुजुर्ग आदिवासी काथलिक ने अपने क्षेत्र के पर्यावरण की रक्षा और पानी के संरक्षण के लिए भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्राप्त किया।

भारतीय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 12 अप्रैल को नई दिल्ली के संसद भवन में एक समारोह के दौरान, झारखंड राज्य के “डांड़ी” नाम से प्रसिद्ध 83 वर्षीय सिमोन मिंज को पद्म श्री पुरस्कार प्रदान किया। राज्य की राजधानी रांची के निकट बेड़ो क्षेत्र के आदिवासियों की बंजर भूमियों को खेती के लायक बनाने और हरियाली लाने के लिए उन्हें इस पुरस्कार से नवाजा गया।

सिमोन ने ऊका समाचार से कहा, "मैं ने जो कुछ भी किया, वह समुदाय की सहायता के कारण हुआ है। मैं कैसे इस पुरस्कार को अकेले ले सकता हूँ? यह पद्मश्री उन सभी लोगों का है जिन्होंने मेरे लक्ष्य को हासिल करने में सहयोग दिया है। "

बचपन में ही उन्होंने अकाल और घोर गरीबी को करीब से देखा था। सूखे ने खेती को नष्ट कर दिया और पशुओं को मार डाला। अपने परिवार और ग्रामीणों के जीवन को बचाने के लिए के लिए उन्हें  पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

ग्रामीणों की ज्वलंत समस्याओं से परिचित होकर उन्होंने उनके समाधान के लिए ठोस कदम उठाया। उन्होंने ग्रामीणों को समझाया और कार्य योजना को साकार रुप देने के लिए उन्हें अनुप्राणित किया। 1961 में,  उन्होंने मिलकर  वर्षा जल को जमा करने के लिए नदी में बांध का निर्माण किया। ।
उन्होंने बाँध में तीन फीट गहरा नहर बनाकर 5000 फीट लम्बी नहर जंगल से होकर निकाली। नदी को बाँधकर रोकने से न सिर्फ जमीन की रक्षा हुई पर बाँध के पानी को खेतों में पहुँचाया गया और पूरा इलाका खेती-बारी से लहलहाने लगा।  ग्रामीणों ने दो बांधों और पांच तालाबों को बनाया। मिट्टी का कटाव रोकने के लिए सिमोन और  ग्रामीणों ने करीब 30,000 फलदार पेड़ लगाए।
उन्होंने कहा, "हमने बहुत मेहनत की है और अब यह 1600 से अधिक परिवारों को लगभग 850 हेक्टेयर भूमि पर फसलें पैदा करने के लिए मदद करता है अब हम रांची, जमशेदपुर और कोलकाता में सब्जियों की आपूर्ति कर रहे हैं।"
नई दिल्ली में येसु समाजियों द्वारा संचालित भारतीय सामाजिक संस्थान ने अन्य सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के लिए सिमोन को एक प्रेरणास्रोत कहा है।
सिमोन के बेड़ो दिघिया पल्ली के फादर प्रफुल्ल टोप्पो ने कहा कि इस आदिवासी का "ईश्वर में विश्वास और सादगी" अनुकरणीय है।
 








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