2016-04-06 11:42:00

भारत में बाल यौन शोषण निरंकुश नहीं, पुरोहित का दावा


पणजी, बुधवार, 6 अप्रैल 2016 (ऊका समाचार): गोवा में काथलिक पुरोहितों के एक उच्च स्तरीय  सम्मेलन में भाग लेने आये एक वरिष्ठ पुरोहित ने कहा है कि भारत में बाल यौन शोषण के मामले निरंकुश नहीं है जैसे कि वे विदेशों में है।

मंगलवार, 05 अप्रैल को गोवा में भारत के 275 धर्मप्रान्तीय पुरोहितों का तीन दिवसीय सम्मेलन शुरु हुआ। इसका उद्देश्य भारत के काथलिक पुरोहितों को उनकी पुरोहिताई पर समझदारी उत्पन्न कराना तथा धर्मप्रान्तीय पुरोहितों के बीच सहभागिता को प्रोत्साहित करने में मदद प्रदान करना है।

भारत में इस समय लगभग 10,000 धर्मप्रान्तीय पुरोहित विभिन्न क्षेत्रों में सेवारत हैं।

मंगलवार को शुरु हुए तीन दिवसीय सम्मेलन का विषय है: "ईशसेवक रूप में पुरोहित सन्त पापा फ्राँसिस में प्रतिबिम्बित"।  

तीन दिवसीय सम्मेलन के पूर्व आईएएनएस समाचार से धर्मप्रान्तीय पुरोहितीय संगठन के अध्यक्ष काथलिक पुरोहित फदार फिलोमन दॉस ने कहा, "भारत में बाल यौन शोषण के मामले निरंकुश नहीं है, ऐसा विदेशों में हो सकता है।"

भारतीय पुरोहितीय सम्मेलन के समर्थक वारंगल के धर्माध्यक्ष ऊदुमाला बाला भी उक्त सम्मेलन में उपस्थित हैं। उन्होंने पत्रकारों से बाल यौन शोषण के मामले पर कहा, "भारतीय धर्माध्यक्षों ने एक दस्तावेज़ तैयार किया था जिसे लगभग चार माहों पूर्व वाटिकन से अनुमोदन मिल गया है।"

उन्होंने कहा कि वाटिकन से मिली निर्देशिका के अनुसार, "आरोपी पुरोहित को ततकाल बरख़ास्त कर दिया जायेगा। द्वितीय, नागर अधिकारियों को सूचना दे दी जायेगी और यदि मामले में किसी प्रकार का सच पाया गया तो आरोपी पुरोहित के प्रति किसी प्रकार की सहिष्णुता नहीं दर्शाई जायेगी। बाल यौन शोषण के मामले में शून्य सहिष्णुता, कोई क्षमा नहीं।"

धर्माध्यक्ष बाला ने बताया कि वाटिकन से मिली निर्देशिका के बाद से दो पुरोहितों के विरुद्ध बाल शोषण के मामले समाने आये थे जिनकी रिपोर्ट नागर अधिकारियों के पास कर दी गई है।








All the contents on this site are copyrighted ©.