वाटिकन सिटी, सोमवार, 4 अप्रैल 2016 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों का आह्वान किया है कि वे दया के कार्यों द्वारा येसु ख्रीस्त के सुसमाचार के सन्देशवाहक बने।
रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में ईशकरुणा को समर्पित रविवार को ख्रीस्तयाग के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा ने कहा, "हम सब सुसमाचार के जीवन्त लेखक और सन्देश वाहक बनने के लिये बुलाये गये हैं तथा इस कार्य को हम शारीरिक एवं आध्यात्मिक रूप से दया के कृत्यों द्वारा अनजाम दे सकते हैं।" उन्होंने कहा, "दया के कार्य ख्रीस्तीय धर्म और ख्रीस्तीय जीवन का प्रमाण चिन्ह है।"
उन्होंने कहा, "दया के साधारण किन्तु शक्तिशाली कृत्यों द्वारा हम ज़रूरतमन्दों का साथ देते तथा ईश्वर की कोमलता एवं सान्तवना से उनका परिचय कराते हैं।"
सन्त पापा ने कहा, "सुसमाचार ईश करुणा की पुस्तक है, जिसे बारम्बार पढ़ा जाना चाहिये क्योंकि जो कुछ येसु ने किया वह सब ईश करुणा की अभिव्यक्ति है।" उन्होंने कहा कि सुसमाचारों में जो लिखा है और जो नहीं लिखा गया है वह सब शिष्यों के प्रति येसु के प्रेम की कहानी तथा ईश्वरीय दया का साक्ष्य है।
उन्होंने कहा, "ईश्वर की दया में हमारी सभी कमज़ोरियाँ चंगाई प्राप्त करती हैं। उनकी दया सब प्रकार की निर्धनताओं का साक्षात्कार करती तथा विश्व को हर प्रकार की दासता से मुक्ति दिलाती है। दया के प्रेरित होने का अर्थ है उन घावों को चंगा करना जिनसे हमारे इतने अधिक भाई और बहन आज पीड़ित हैं। इन घावों का उपचार कर हम प्रभु येसु ख्रीस्त में अपने विश्वास की अभिव्यक्ति करते, उन्हें विद्यमान एवं जीवन्त बनाते तथा अन्यों को उनकी दया का स्पर्श कराते हैं।"
सन्त पापा ने कहा, "ईश्वर की दया अनन्त है, उसका अन्त कभी नहीं होता, बन्द दरवाज़े के आगे भी वह थकती नहीं। उनकी इसी अनन्तता में हम कठिनाई एवं दुर्बलता के क्षणों में शक्ति प्राप्त करते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि प्रभु ईश्वर कभी भी हमारा परित्याग नहीं करते।"
All the contents on this site are copyrighted ©. |