2016-03-30 16:11:00

आमदर्शन समारोह में स्तोत्र ग्रंथ पर चिंतन


वाटिकन सिटी, बुधवार, 30 मार्च 2016 (वीआर सेदोक): बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में विश्व के कोने-कोने से एकत्रित हजारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।

उन्होंने इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात, ″आज हम पुराने व्यवस्थान से, करुणा पर धर्मशिक्षा माला समाप्त करते हुए, स्तोत्र ग्रंथ के 51 वें अध्याय पर चिंतन करेंगे। यह पश्चाताप की प्रार्थना है। इस स्तोत्र को परम्परागत रूप से राजा दाऊद का बातशेबा के साथ पाप में गिरने के बाद क्षमा याचना की प्रार्थना मानी जाती है। स्तोत्र के पदों की  शुरूआत इस प्रकार हुई है, ″ईश्वर तू दयालु है मुझ पर दया कर।″ जो अपने पापों को स्वीकार करने की एक हृदय स्पर्शी प्रार्थना है। इस प्रार्थना में करुणावान ईश्वर के प्रति पश्चाताप और दृढ़ आशा परिलक्षित होती है।″  

अपने पापों से क्षमा और शुद्ध किये जाने की मार्मिक प्रार्थना के साथ-साथ स्तोत्र के रचनाकार ईश्वर के असीम न्याय और पवित्रता का बखान करता है। वह अपने पापों से क्षमा प्राप्त करने हेतु प्रार्थना करता और हृदय की शुद्धता तथा दृढ़ भावना की कामना करता है ताकि नवीकृत होकर दूसरे पापियों को धार्मिकता के रास्ते पर वापस ला सके। ईश्वर की क्षमाशीलता उनकी असीम दया का सबसे बड़ा चिन्ह है।

करुणा की माता मरियम की प्रार्थना द्वारा हम उस दिव्य करुणा का ठोस साक्ष्य बन सकें जो हमारे पापों को क्षमा प्रदान करता तथा हम में नये हृदय की रचना करता है ताकि हम ईश्वर का संसार के साथ मेल-मिलाप के प्रेम की घोषणा कर सकें।

धर्मशिक्षा माला समाप्त करने के उपरांत उन्होंने भारत, इंगलैंड, स्वीजरलैंड,  इंडोनेशिया, जापान, कनाडा,  अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा पुनर्जीवित प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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