2016-03-23 15:44:00

ईश्वर का प्रेम अनन्त है


वाटिकन सिटी, बुधवार 23 मार्च 2016, (सेदोक, वी.आर.) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को, धर्मग्रन्थ पर आधारित ईश्वर की करुणा विषय पर अपनी धर्मशिक्षा माला को आगे बढ़ते हुए इतालवी भाषा में  कहा,

प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात,

ईश्वर की करुणा पर मनन अब हमें पास्का दिवसत्रय पर ले आता है। हम पुण्य बृहस्पतिवार, पुण्य शुक्रवार और पुण्य शनिवार इन तीन दिनों में अपने विश्वास के रहस्य येसु ख्रीस्त के दुःखभोग, क्रूस मरण और पुनरुत्थान पर और अधिक गहराई से मनन करेंगे। इन तीन दिनों में येसु हमें अपनी करुणा और प्रेम के बारे प्रत्यक्ष रूप में कहते हैं। हम येसु के जीवन के अन्तिम दिनों के बारे में सुनेंगे। प्रेरित संत योहन हमें उनके प्रेम को गहराई से समझने में मदद करते हैं, “वे अपनों को, जो इस संसार में थे प्यार करते आये थे और अब अपने प्रेम का सब से बड़ा प्रमाण देने वाले थे।” (यो.31.1) ईश्वर का प्रेम अनन्त है। संत अगुस्तीन ने इसे कई बार दुहराते हुए कहा है कि ईश्वर का प्रेम सीमान्तों तक जाता है। वे सचमुच हम में से प्रत्येक के लिए अपना सब कुछ दे देते हैं। इस सप्ताह हम ईश्वर के उसी प्रेम के रहस्य की आराधना करते हैं जिसे कुछ भी नहीं रोक पाता। येसु का दुःखभोग दुनिया के अनन्त तक बन रहता है क्योंकि यह मानवता के दुःख तकलीफों में उनकी सहभागिता की कहानी है जो हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। संक्षेप में ये त्रिदिवसीय उस प्रेम की यादगारी है जो हमें यह आश्वासन दिलाती हैं कि हम अपने जीवन की विपतियों में कभी नहीं छोडें जायेंगे। 

पुण्य बृहस्पतिवार को येसु ने पवित्र परम प्रसाद संस्कार को स्थापित किया कलवारी जो गोलगोथा में उनके पास्का बलिदान को दिखलाता है। अपने शिष्यों को अपने साथ प्रेम में सहभागी होने हेतु उन्हें उनके पैर धोते हुए उन्हें उदाहरण दिया जिसे उन्हें भी अपने जीवन के द्वारा करना है। परमप्रसाद एक प्रेम है जो सेवा में परिणत हो जाता है। यह येसु ख्रीस्त की महान् उपस्थित है जिसके द्वारा वे सबों को खिलाना चाहते हैं, विशेषकर, जो अति संवेदनशील हैं। अपने को भोजन के रूप में देते हुए येसु हमसे यही चाहते हैं कि हम अपने को तोड़ कर दूसरों को देना सीख़ें जिन्हें हमारी जरूरत है जिससे उन्हें जीवन प्राप्त हो सके। वे अपने को हमें देते और कहते हैं कि हम उनके साथ बने रहें जिससे हम ऐसा कर पाएँ।

पुण्य शुक्रवार येसु के प्रेम की चरमसीमा है। येसु का क्रूस मरण पिता के हाथों में उनका सब कुछ निछावर कर देना है जो दुनिया के अन्त तक उनके अनन्त प्रेम को व्यक्त करता है। यह प्यार बिना किसी अलगाव सबों को अपने में सम्माहित करता है। यह प्रेम हर जगह और हर समय सबके लिए व्याप्त है जो हम पापियों को मुक्ति हेतु बुलाने में कभी नहीं थकता। यदि ईश्वर ने येसु ख्रीस्त की मृत्यु में हमें यह असीम प्यार प्रदर्शित किया है तो हमें भी पवित्र आत्मा से प्रेरित होकर दूसरों को प्यार करना और प्यार कर सकना चाहिए।

और अंत में पुण्य शनिवार ईश्वर की खामोशी का दिन है। येसु कब्र में रखे जाते हैं जो पूरी मानवता के साथ दुःखद मरण में उनकी सहभागिता है। यह एक खामोशी है जो प्रेम में बिछुड़न के समय एकजुटता को सदैव व्यक्त करता है जहाँ पुत्र एक खालीपन को भरने हेतु आते जो पिता के अथाह करुणा के द्वारा ही भरा जाता जा सकता है। प्यार में ईश्वर शांत रहते हैं। इस दिन प्रेम पुनरुत्थान में आने वाला नया जीवन बनता है। यह वह प्रेम है जो संदेह नहीं करता लेकिन येसु के वचनों में विश्वास करता है जो पास्का रविवार को अपनी चमक के साथ प्रमाणित होता है। यह करुणा और प्रेम में एक महान रहस्य है। हमारे शब्द इसे व्यक्त करने हेतु कम और नगण्य हैं।

नार्व की एक अशिक्षित बलिका, जूलियन ने येसु के दुःख भोग को अपने दिव्य दर्शन में देखा था जिसे वह अपने साधारण शब्दों में, जो की तीक्ष्ण और गूढ़, करुणा के विचार भावों से भरे हैं व्यक्त करती है, “येसु ने मुझ से पूछा, “क्या तुम खुश हो की मैंने तुम्हारे लिए दुःख भोगा है?” मैंने कहा, हाँ, मेरे भले प्रभु, और मैं आप का बहुत धन्यवाद करती हूँ। हाँ, मेरे भले प्रभु आपकी स्तुति हो” और तब येसु हमारे भले प्रभु ने कहा, “यदि आप खुश हैं तो मैं खुश हूँ, तुम्हारे लिए दुःख उठाकर मुझे खुशी है, एक अनन्त खुशी और यदि हो सके तो मैं और दुःख उठाऊँगा।”

कितने मधुर हैं ये शब्द। वे हमें अपने इस अतुल्य प्रेम को समझने में मदद करें। आइए, हम ईश्वर की करुणा से अपने को अंगीकृत होने दें जब हम येसु के दुःखभोग और क्रूस मरण की ओर अपनी निगाहें रखते हैं। हम अपने दिल में उनकी महानतम प्यार का स्वागत करें जो हमें पुनरूत्थान की राह दिखाता है।

इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सभी का अभिवादन करते हुए कहा, मैं अंग्रेजी बोलने वाले विश्वसियों और तीर्थयात्रियों का जो आयरलैण्ड, आस्टेलिया इन्डोनेशिया, जपान और संयुक्त राज्य अमेरीका से, आज के आमदर्शन समारोह में भाग लेने आये हैं अभिवादन करता हूँ। पुण्य पास्का हेतु शुभकामनाओं के साथ मैं आपके लिए और आप के परिवार के लिए सर्वशक्तिमान पिता ईश्वर और येसु ख्रीस्त से कृपाओं की याचना करता हूँ। इतना कहने के बाद संत पापा ने सब को अपने प्रेरितिक आर्शीवाद दिया।








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