2016-03-16 14:19:00

ईश्वर निष्ठावान हैं वे दुःखी को नहीं छोड़ते


वाटिकन सिटी, बुधवार 16 मार्च 2016, (सेदोक, वी.आर.) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को, धर्मग्रन्थ पर आधारित ईश्वर की करूणा विषय पर अपनी धर्मशिक्षा माला को आगे बढ़ते हुए इतालवी भाषा में  कहा,

प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात,

नबी येरेमियाह के ग्रंथ का अध्याय 30 और 31 “संत्वाना की पुस्तिका” कहलाती हैं क्योंकि इसमें ईश्वर की करुणा को सामर्थ्य के रूप में प्रकट किया गया है जो दुःखियों को सान्त्वना और द्दढ़ प्रदान करते हुए उनके दिल में आशा जगाते हैं। आज हम ईश्वर की सान्त्वना के संदेश पर चिंतन करेंगे।

येरेमियाह इस्राएलियों को जो निर्वासित कर लिये गये थे उन्हें अपने घर वापसी का संदेश सुनाते हैं। यह वापसी पिता ईश्वर के अनन्त प्रेम की निशानी है जिसके कारण वे अपने बच्चों को यूँ ही नहीं छोड़ते वरन् वे उनकी चिन्ता और देख भाल करते हैं। निर्वासन इस्राएलियों के लिए एक बहुत ही विध्वंस अनुभव था। उनका विश्वास हिल गया था क्योंकि उनके पूजा के स्थल, अपने मन्दिर नहीं थे, वे बलिदान और प्रार्थना के बिना थे, अपने देश का सर्वनाश देखा कर उनका अपने ईश्वर में विश्वास बनाये रखना कठिन हो गया था।   

संत पापा ने कहा कि हम भी कभी-कभी निर्वासित स्थिति में रहते हैं जब हम अकेलेपन, पीड़ा और मृत्यु का अनुभव करते जहाँ हमें ऐसे लगता कि हम ईश्वर के द्वारा छोड़ दिये गये हैं। हमारे कितने भाई-बहन हैं जो इस प्रकार कि वास्तविक स्थिति में रह रहे हैं। वे अपने घरों को उजड़ता देख, अपने दिल में अपने प्रियजनों को खोने का भय लिये अपने घरों से दूर हैं। ऐसी स्थिति में कोई यह सवाल कर सकता है कि ईश्वर कहाँ हैं? क्यों स्त्री, पुरूष और निर्दोष बच्चों को ऐसे दुःख झेलना पड़ता है?   

नबी येरेमियाह हमें इसका जवाब देते हैं। निर्वासित लोग अपने घरों को वापस लौट आयेंगे और ईश्वर की करुणा का अनुभव करेंगे। यह एक बहुत बड़ी सांत्वना की घोषणा है। ईश्वर हम से दूर नहीं हैं, वे हमारे निकट हैं। वे उनके लिए मुक्ति के महान कार्य करते जो उन पर विश्वास करते हैं। हम सभी हताश और निराश न हों लेकिन ईश्वर पर भरोसा रखना जारी रखें जो बुराई पर विजय होते और हमारे आँसू पोंछते हुए हमें भय से बचाते हैं। येरेमियाह ईश्वर के प्यार की चर्चा करते हुए कहते हैं,

“मैं अनन्त काल से तुम को प्यार करता आ रहा हूँ, इसलिए मेरी कृपाद्दष्टि निरन्तर तुम पर बनी रही। कुँवारी इस्रराएल मैं तुम्हें फिर बनाऊँगा और तुम्हारा नवनिर्माण हो जायेगा। तुम फिर हाथ में डफली लेकर गाने-बजाने वालों के साथ नाचोगी।” (31,3-4)

ईश्वर निष्ठावान हैं वे दुःखी को नहीं छोड़ते। वे हमें अपने अनन्त प्यार से प्यार करते हैं यहां तक की वे पापों को अपने वश में कर लेते, ईश्वर को धन्यवाद क्योंकि वे हमारा हृदय अपनी खुशी और आनन्द से भर देते।  

नबी येरेमियाह घर वापसी की खुशी को शब्दों में व्यक्त करते हुए लिखते हैं, “वे आ रहें हैं और सियोन पर्वत पर आनन्द के गीत गा रहें हैं। वे प्रभु के उदार दानों के पास आ रहें हैं- गेहूँ, नयी अंगूरी और तेल, मवेशी और भेड़-बकरियाँ। सींची हुई वाटिका के सद्दश उन में नवजीवन का संचार हो रहा है। (31,12)

निर्वासित आनन्द और कृतज्ञता से सियोन पवित्र पर्वत पर चढ़ाते हुए प्रभु के घर लौटेंगे और पुनः गीत और प्रार्थनाएँ ईश्वर को अर्पित की जायेंगी जिन्होंने उन्हें बचाया। येरुसलेम वापसी और इसके धन का जिक्र “प्रवाहित, बहना” जैसे क्रियाओं से किया गया है। लोगों की तुलना नदी की विपरीत धारा से की गयी है जो सियोन पर्वत से बहते हुए नीचे उतरते और पुनः पर्वत की ओर ऊपर बहते हैं। यह अपने लोगों के प्रति ईश्वर की करुणा को प्रतिबिम्बित करता है। जमीन जिसे लोगों को छोड़नी पड़ी थी जो शत्रुओं के शिकार बन उदास हो गये थे अब वे सजीव बन कर समृद्धि हो जायेंगे। वे हरी-भरी वाटिका के समान एक ऊपजाऊ भूमि बन जायेंगे। इस्राएल अपने ईश्वर के द्वारा घर वापस लाया जायेगा और वे मृत्यु और श्राप पर जीवन और कृपाओं की विजय का साक्ष्य देंगे।

कैसे ईश्वर अपने लोगों को सान्त्वना और सुख प्रदान करेंगे। इस संदर्भ में नबी खुशी की घोषणा करते हुए कहते हैं,“मैं उनका शोक हर्ष में बदलकर उन्हें सान्त्वना दूँगा मैं उन्हें आनन्द और खुशी प्रदान करुँगा।” (31,13) येसु हमारे पापों को क्षमा कर हमें यही उपहार देना चाहते हैं जो हममें परिवर्तन लाता है और एक दूसरे से हमारा मेल-मिलाप करता है। 

संत पापा ने कहा कि नबी येरेमियाह हमारे लिए निर्वासन से घर वापसी खुशी की घोषणा करते हुए कहते हैं कि पश्चतापी हृदय को ईश्वर अपनी खुशी से भर देते हैं। निर्वासन के अंधकार से घर लौटने की सच्ची खुशी, ईश्वर की सान्त्वना, उनके अनन्य प्रेम, करूणा, शांति और अनन्त जीवन का अनुभव हम पास्का में करते हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सभों का अभिवादन करते हुए कहा, मैं अंग्रेजी बोलने वाले विश्वसियों और तीर्थयात्रियों का जो इंग्लैण्ड, आयरलैण्ड, इन्डोनेशिया जपान, कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरीका से आज के आमदर्शन समारोह में भाग लेने आये हैं अभिवादन करता हूँ। मैं आप सबको अपनी प्रार्थनामय शुभकामनाएं अर्पित करता हूँ कि जयन्ती का वर्ष आपके लिए और आप के परिवार के लिए कृपा और आध्यात्मिक नवीकरण का समय हो। ईश्वर आप सब को अपनी खुशी और शांति प्रदान करें। इतना कहने के बाद संत पापा ने सब को अपने प्रेरितिक आर्शीवाद दिया।  








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