2016-03-11 15:03:00

करुणा की अभिव्यक्ति दूर रहकर नहीं होती


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 11 मार्च (सेदोक) संत पापा और परमधर्मपीठीय रोमी कार्यालय में कार्यरत लोगों ने रोम के अरीच्चा में अपनी आध्यात्मिक साधना के पाँचवें दिन येसु और भले समारी की भाँति दुःखियों के प्रति करुणा के भाव पर मनन-चिंतन किया।

आध्यात्मिक साधना के संचालक फादर रोन्की ने येसु ख्रीस्त के पुनरुस्थान पर मनन ध्यान हेतु अपने प्रवचन में कहा कि क्रब के पास रोती हुए मरियम मगदलेना से येसु पूछते हैं, “भद्रे आप क्यों रोती हैं? आप किसे ढूढ़ती हैं?”  

फादर रोन्की ने करूणा को तीन अन्य क्रियाओं में व्यक्त करते हुए कहा कि पुनर्जीवित प्रभु जीवन के स्रोत हैं जो मगदलेना के आंसुओं की चिंता करते हैं। उन्होंने कहा कि पुण्य शुक्रवार के दिन क्रूस मरण के अंतिम क्षणों में येसु के दुःख-दर्द की चिंता एक डाकू को हुई और पुनरुत्थान के सुबह येसु मगदलेना के दुःखों और प्रेम की चिंता करते हैं।

उन्होंने कहा, “येसु साक्षात्कार करते हैं। वे किसी के पापों की ओर कभी ध्यान नहीं देते लेकिन वे उसके दुःख और आवश्यकता की ओर ध्यान देते हैं। हम भी येसु और भले समारी से करुणा के बारे में सीख सकते हैं। उन्होंने ने देखा, रुका और स्पर्श किया। ये तीन क्रियाएँ हैं जिसके द्वारा हम दुःख सह रहे लोगों के साथ अपनी करूणा को साझा करते हैं।”  

सुसमाचार में बहुत से ऐसे दृश्य हैं जहाँ येसु लोगों के दुःख में अपनी करुणा को व्यक्त करते हैं। सच्ची करुणा, रोन्ची ने बतलाया कि पेट में एक ऐंठन के समान है। यह हमारे हृदय के अन्दर एक प्रतिक्रिया है जिसके कारण भला समारी, लेवी और पुरोहित के भाँति दुःख में पड़े व्यक्ति को छोड़कर यूँ ही नहीं गुजरता।

रोन्की ने कहा, “हमारी भिन्नता का कारण यह नहीं कि हम ख्रीस्तीय मुस्लिम या यहूदी हैं बल्कि असल भिन्नता विश्वास नहीं करने में है, वे जो विश्वास करते लेकिन कहते कि वे विश्वास नहीं करते हैं। असल भिन्नता उनके बीच हैं जो पीडितों को देखकर उनकी सेवा हेतु रुकते हैं और कुछ हैं जो नहीं रूकते। यदि मैं दुःखी व्यक्ति के साथ एक घण्टे व्यतीत करता हूँ तो मैं अधिक बुद्धिमान व्यक्ति हूँ। मैं जीवन के ज्ञान से भरा हूँ।”  

स्पर्श के बारे में रोन्ची ने कहा, “येसु जब कभी निकटता का अनुभव करते तो वे लोगों का स्पर्श करते हैं। वे अछूत कोढ़ी को छूते हैं। वे नाईम शहर में विधवा के बेटे का स्पर्श करते और नियमों का उल्लंघन करते हैं, उन सारी चीजों को करते जिसे कोई नहीं करता है। वे मृत पुत्र को लेते और उसे जीवन देकर उसकी माता को देते हैं।”  

उन्होंने कहा, “जब हम जरुरतमन्दों प्रवासी, शरणार्थी और गरीबों को देखते और रूककर उनका स्पर्श करते हुए उनके आँसू पोंछते तो हम दुनिया को नहीं बदलते, न ही दुनिया की असमनता को बदल सकते हैं लेकिन हम अपने काम के द्वारा इस बात का साक्ष्य देते हैं कि भूख अजेय नहीं हैं।  “करूणा” मानवीय जीवन हेतु महत्वपूर्ण है और येसु क्षमा करते हैं दस्तवेज के द्वारा नहीं लेकिन अपने हाथों से, अपने स्पर्श के द्वारा।”  








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