2016-03-07 11:37:00

करुणावान पिता का दृष्टांत


वाटिकन सिटी, सोमवार, 7 मार्च 2016 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 6 मार्च को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

संत लूकस रचित सुसमाचार के 15 वें अध्याय में करुणा पर हम तीन दृष्टांतों को पाते हैं, भटकी हुई भेड़, खोया हुआ सिक्का तथा खोया हुआ लड़का का बड़ा दृष्टांत, जिसे हम करुणावान पिता का दृष्टांत भी कह सकते हैं। (लूक.15:11-32)

संत पापा ने कहा कि हम सुसमाचार से संत लूकस के 15 वें अध्याय के तीनों दृष्टांतों का पाठ करें। चालीसा काल की यात्रा में सुसमाचार पाठ का अंतिम भाग हमें करुणावान पिता के दृष्टांत को प्रस्तुत करता है जो दो पुत्रों के पिता हैं। कहानी पिता के गुणों को स्पष्ट करता है कि वे क्षमा करने तथा आशा के विपरीत आशा करने के लिए सदा तैयार रहते हैं। यह सबसे पहले छोटे बेटे द्वारा घर छोड़ने के निर्णय पर उनके धीरज में परिलक्षित होता है। यद्यपि वे उसे नाबालिग मानकर उसके निर्णय का विरोध कर सकते थे अथवा किसी वकील द्वारा अपने जीवित रहते अपनी सम्पति का बटवारा करने से इन्कार भी कर सकते थे किन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया बल्कि  जोखिम के बावजूद भी उसे जाने दिया। संत पापा ने कहा कि ईश्वर हमें स्वतंत्रता प्रदान करते हैं गलती करने तक की स्वतंत्रता, क्योंकि हमारी सृष्टि कर उन्होंने हमें स्वतंत्रता का महान वरदान प्रदान किया है। यह हमें दिया गया है ताकि हम इसका प्रयोग अच्छाई के लिए करें। स्वतंत्रता का वरदान हमें सदा ही विस्मित कर देता है।

पुत्र के साथ उनकी जुदाई मात्र शारीरिक थी किन्तु दिल में वे उसे सदा अपने साथ रखते थे। वे बड़ी बेसब्री से उसका इंतजार करते एवं बड़ी आशा से उसकी राह देखते थे। एक दिन उन्होंने दूर से उसे देख लिया। (पद.20) संत पापा ने कहा कि इसे साफ जाहिर होता है कि वे अपने पुत्र को देखने के लिए हर रोज घर की छत पर चढ़ते और अपने पुत्र के वापस आने का इंतजार करते थे।

जब उन्होंने अपने पुत्र को दूर से देखा तो वे दौड़कर उनकी ओर बढ़े, उन्हें गले लगाया तथा अगाध स्नेह के उनका चुम्बन किया। वह पुत्र जिसने उनके विरूद्ध अपराध किया वे उसका आपार खुशी के साथ स्वागत करते हैं।

वही मनोभाव वे दूसरे पुत्र के साथ भी रखते हैं जो घर में ही था किन्तु वह क्रोधित था। उसने  तथा धारणा दी क्योंकि वह पिता को नहीं समझ पाया तथा अपने भाई की गलती की याद कर उसके साथ अच्छाई को बांट नहीं सका। पिता उससे भी मिलने के लिए बाहर आये तथा याद दिलाया कि जो कुछ मेरा है वह तुम्हारा है (31) परन्तु आनन्द मनाना और उल्लसित होना उचित ही था क्योंकि तुम्हारा भाई जो खो गया था वह फिर मिल गया है।″ संत पापा ने कहा कि यह मुझे इस बात का स्मरण दिलाता है कि जब व्यक्ति अपने आप में पापी महसूस करता है तो हम उसे साधारण बात मानते हैं किन्तु जब कोई कहता है कि मैं गंदा हूँ तो यह पिता के पास जाने का उपयुक्त समय है। दूसरी ओर कोई यह अनुभव करता है कि उसने सब कुछ सही किया है तब भी पिता उसपर नजर रखते हैं क्योंकि ‘मैं बिलकुल सही हूँ’ का मनोभाव भी सही मनोभाव नहीं है, यह घमंड की भावना है, शैतान की भावना। पिता अपने को सही ठहराने वालों की अपेक्षा उन्हें अधिक पसंद करते हैं जो अपने को पापी स्वीकार कर पिता के पास लौटते हैं।

संत पापा ने कहा कि इस दृष्टांत में हम एक तीसरे पुत्र को भी पाते हैं। वह छिपा हुआ है। वह अपने को पिता के समान अधिक सौभाग्यशाली नहीं मानता किन्तु सब कुछ खाली कर सेवक का रूप धारण करता है। (फिल. 2:6-7) संत पापा ने कहा कि यह सेवक पुत्र है, येसु। जिसने अपनी बाहें तथा हृदय पिता को अर्पित किया। ऊड़ाव पुत्र के वापस आने पर वह उसका स्वागत करता, उनके गंदे पैरों को धोता तथा क्षमाशीलता के उत्सव के लिए भोज की तैयारी करता है। वह पिता के समान दयालु बनने का उदाहरण देता है।

संत पापा ने दृष्टांत की व्याख्या करते हुए कहा कि दृष्टांत में पिता का चित्रण ईश्वर के हृदय को प्रकट करता है। वे करुणावान पिता हैं जो येसु के माध्यम से हमें सब कुछ से अधिक प्यार करते हैं। जब कभी हम गलती करते हैं वे हमारे पश्चाताप का इंतजार करते हैं और हमारा इंतजार करते जब हम उनसे दूर चले जाते हैं। चाहे जो कुछ भी हो वे हमारे लिए अपनी बाहें फैलाने हेतु सदा तैयार रहते हैं।

सुसमाचार पाठ में प्रस्तुत पिता के समान ईश्वर भी अपने बच्चों का सदा ख्याल रखते हैं। खोने के बाद जब हम उनके पास वापस लौटते हैं तो बड़ी कोमलता से वे हमारा आलिंगन करते हैं तथा जब हम अपने को सही समझते हैं तब भी वे हमारे साथ विनम्रता से पेश हैं। बड़ी से बड़ी गलती  उनके निष्ठावान प्रेम को कम नहीं कर सकती। मेल-मिलाप संस्कार द्वारा हम हमेशा नई शुरूआत कर सकते हैं। पिता सदा हमारा स्वागत करते, हमें अपने पुत्र-पुत्रियाँ होने की प्रतिष्ठा पुनः प्रदान करते तथा शांति से आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।

चालीसा काल की इस अवधि में जो पास्का से अब भी दूर है हमें पश्चाताप की आंतरिक यात्रा तय करनी है। हम पिता की प्रेमी निगाहों के पास आयें तथा सारे हृदय से उनके पास लौट आयें। पाप के हर समझौते का परित्याग करें। दिव्य करूणा के आलिंगन हेतु धन्य कुँवारी मरियम हमारी सहायता करे।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने यमन में हिंसक आक्रमण की शिकार मिशनरीस ऑफ चैरिटी की धर्मबहनों की याद की तथा उनके कारण शोकित धर्मसमाज की धर्मबहनों एवं उनके प्रियजनों को सांत्वना देते हुए उनके प्रति अपना आध्यात्मिक सामीप्य व्यक्त किया। 

उन्होंने कहा, ″मैं अपना आध्यात्मिक सामीप्य मिशनरीस ऑफ चैरिटी की धर्मबहनों के प्रति प्रकट करता हूँ जो दो दिनों पूर्व यमन के एडेन में वृद्धों की सेवा कर रही अपनी चार धर्मबहनों की हत्या से शोकित हैं। मैं चारों धर्मबहनों एवं आक्रमण में मारे गये सभी लोगों के लिए प्रार्थना करता हूँ। मैं उनके सभी प्रियजनों के लिए भी प्रार्थना करता हूँ। वे आज के शहीद हैं।″ संत पापा ने कहा कि उन्होंने कलीसिया के लिए अपना जीवन अर्पित किया है। वे उन लोगों की हत्या के शिकार हुए हैं जिन्होंने उन्हें मार डाला किन्तु विश्व की उदासीनता की भी शिकार रही हैं जिन्हें ऐसी घटनाओं से कोई आपत्ति नहीं है। स्वर्ग में मदर तेरेसा अपनी शहीद पुत्रियों के साथ हैं, शांति एवं मानव जीवन की पवित्रता का सम्मान करने हेतु वे हमारे लिए प्रार्थना करें।

संत पापा ने शरणार्थियों के लिए इटली में स्थापित मानवीय प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा, शांति और जीवन के लिए ठोस चिन्ह के रूप में समर्पित, शरणार्थियों के लिए इटली द्वारा किये गये इस मानवीय प्रयास की मैं सराहना करता हूँ। एकात्मता एवं सुरक्षा की यह योजना युद्ध एवं हिंसा से भाग रहे लोगों को मदद प्रदान करेगा। अब जहाँ बीमार, बच्चों और अपंगों के साथ 100 शरणार्थी पहुँच चुके हैं। मैं उनका स्वागत करता हूँ क्योंकि यह संत इजिदो समुदाय द्वारा इटली की एवंजेलिकल, वाल्देसियन तथा मेथोडिस्ट कलीसियाओं को ख्रीस्तीय एकता हेतु प्रोत्साहन प्रदान करेगा।

अंत में संत पापा ने सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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